प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – सर्वनाम

छत्तीसगढ़ी के सर्वनाम Chhattisgarhi pronouns मैं / मैं हर (मैं) – मैं रहपुर जावत रहेंव। हमन (हम) – हमन काली डोंगरी जाबो । तैं / लूँ /तें हर (तुम) – तैं काय कहत रहे ? तुमन(आप लोग) – तुमह तभे बनही। ओ / ओहर (वह) – ओर सुते हे। ओमन (वे) – ओमन नई मानिन। ए/एहर (यह) – एहर बिहनिया रोवत हे। एमन (ये) – एमन गम्मत करड्डया आय। शोधार्थी – राजेन्‍द्र कुमार काले, रायपुर. निदेशक – चित्‍तरंजन कर प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – मुहावरे प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली –…

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प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – आस्था, अंधविश्वास, बीमारियाँ

आस्था -देवी-देवता के नाम -सांहड़ा देवता, काली माई, चंड़ीदेबी, शीतला माता, देबीदाई, देंवता, मंदिर, भगवान, गणेश, महादेव, पारबती, राम, छिता, लछिमन, बजरंगबली, हनमान, बिसनू, लछमी, सरसती माई, महामाया, बमलेसरी, कंकालीन, बूढिमाता, भैंरो बाबा, सवरीन दाई, ठाकुर देवता, संतोषी दाई, बजारी माता, बामहन देवता, पंडित, पुजारी। सामग्री – उँवारा, जोत, नरियर, परसाद, फूल-पान, हूम-जग, चढोतरी, सेंग, बईगा, पूजा-पाठ, हवन, जग, कलस, कलावा, गंगाजल, नवदुरगा, जंवारा, कलस, कुंवारीभोज, पंडा, गोबर, चउक, आरती। अंधविश्वास / रूढिवाद – मसान, परेतिन, परेत, जिन्द, टोना, बरमभूत, करिया मसान, सरपीन, सकसा, मटिया, बधघर्रा, मुडकट्टी, टोनही, टोनहा, बइगा,…

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छत्तीसगढ़ी नवगीत : पछतावत हन

ओ मन आगू-आगू होगे हमन तो पछवावत हन हाँस-हाँस के ओ मन खावय हमन तो पछतावत हन। इही  सोंच मा हमन ह बिरझू अब्बड़ जुगत लखायेन काँटा-खूँटी ल चतवार के हम रद्दा नवा बनायेन। भूख ल हमन मितान बनाके रतिहा ल हम गावत हन। मालिक अउ सरकार उही मन हमन तो भूमिहार बनेन ओ मन सब खरतरिहा बनगे हमन तो गरियार बनेन। ढोकर-ढोकर के पाँव परेन मुड़ी घलो नवावत हन। उनकर हावै महल अँटारी टूटहा हमर घर हे उनकर छाती जब्बर हे चाकर देह हमर दुब्बर हे। ओ मन खावय…

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बरखा रानी

बहुत दिन ले नइ आए हस, काबर मॅुह फुलाए हस? ओ बरखा रानी! तोला कइसे मनावौंव? चीला चढ़ावौंव, धन भोलेनाथ मं जल चढ़ावौंव, गॉव के देवी-देवता मेर गोहरावौंव, धन कागज मं करोड़ों पेड़ लगावौंव। ओ बरखा रानी……? मॅुह फारे धरती, कलपत बिरवा, अल्लावत धान, सोरियावतन नदिया-नरवा, कल्लावत किसान… देख,का ल देखावौंव? ओ बरखा रानी…..? मैं कोन औं जेन तोला वोतका दूरिहा ले बलावत हौं? मानुस,पसु,पक्छी, पेड़-पउधा… वो जीव-निरजीव, जेखर जीवन,जरूरत, सुघरई अउ सार तैं, मैं तोर वोही दास आवौंव। ओ बरखा रानी! तोला कइसे मनावौंव? केजवा राम साहू ‘तेजनाथ‘ बरदुली,कबीरधाम…

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किताब कोठी : हीरा सोनाखान के

“हीरा सोनाखान के”, ये किताब अमर शहीद वीर नारायण सिंह के वीरता के गाथा आय, इही पाय के एला वीर छन्द मा लिखे गेहे । वीर छन्द ला आल्हा छन्द घलो कहे जाथे | ये मात्रिक छन्द आय। विषम चरण मा 16 मात्रा अउ सम चरण मा 15 मात्रा होथे । सम चरण के अंत गुरु, लघु ले करे जाथे। अतिश्योक्ति अलंकार के प्रयोग सोना मा सुहागा कस काम करथे | ये किताब मा आल्हा छन्द सहित 21 किसम के छन्द पढे बर मिलही। … पढे जाने बिना चिंतन नई…

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प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – तीज-त्योहार और उपकरण

तीज-त्योहार – हरेली, खम्हरछठ (हलषष्ठी), गणेश चतुर्थी, आठे कन्हैया, राखी, अक्षयतृतीया, तीजा-पोरा, पीतर, दसेरा, सुरूत्ती, देवारी, गोबरधनपूजा, छेरछेरा /माघीपुन्नी, होरी, गौरा-गौरी, अक्ती (पुतरी-पुतरा के तिहार), गुरबारी, होली, जेठउनी, जुमतिया, नागपंचमी। उपकरण – उपकरण के अंतर्गत घरेलू उपकरण, कृषि संबधी उपकरण, काम करने के औजार, सुरक्षा संबंधी हथियार आदि को अध्ययन की दृष्टि से अलग-अलग वर्गों में बाँटा जा सकता है। घरेलू उपकरण एवं वस्तुएँ – बटकी, सील-लोढा, चौकी-बेलना, थारी, लोटा, माली, परात, पैना, पसउना, बांगा, करछूल, कराही, झारा, लकरी, छेना, गुंडरी, थौना, चिमनी, कंडिल, दीया-बाती, जांता, ढेंकी, मूसर, खौना, चन्नी, सूपा, बहिरी, पोतनी, खरहारा, टठिया, परई, तसला,…

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प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – क्रिया

क्रिया – रंधई, खवई, पियइ, सुतइ, नचइ, कूदइ, खेलइ, इतरइ, हसड्, रोवइ, संगदेवइ, अवई-जवईइ, देख, किंजरइ, बनि-भुति करइ, कमई, लरइ-झगरा करइ, बकई, हनई, देवइ, बहरइ। क्रिया शब्दों को अंत में ना उपसर्ग लगाकर भी लिखा जाता है यथा – खाना मुसकाना धोना मया करना हदरना बतराना बहकना जड़ाना बहना खेलना बड़बड़ाना भगाना भागना बजाना लड़बडाना गोठियाना गाना बसना रेंगना लहराना फसाना समझाना हंकराना हड़बडाना हसना बुझाना पीटना खटकाना पीटना तीरना रोना फंदना बारना झटकना सुसकना जागना हफ्टना सजाना उजारना सुतना फोरना चिरना कलहरना हराना नहाना सटकना जोतना अमरना धोना पीना तिरियाना…

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जतन करव तरिया के

पानी जिनगी के सबले बड़े जरूरत आय।मनखे बर सांस के बाद सबले जरूरी पानी हरे।पानी अनमोल आय।हमर छत्तीसगढ़ म पानी ल सकेले खातिर तरिया,डबरी अउ बवली खनाय के चलन रिहिस।एकर अलावा नरवा,नदिया अउ सरार ले घलो मनखे के निस्तारी होवय। तइहा के मंडल मन ह अपन अउ अपन पुरखा के नाव अमर करे खातिर तरिया डबरी खनवाय।जेकर से गांव के मनखे ल रोजगार मिले के संगे संग अपन निस्तारी बर पानी घलो मिलय। छत्तीसगढ़ मे बेपार अउ निवास करइया बंजारा जाति के मनखे मन जघा-जघा अबड अकन तरिया खनवाय हवय।…

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छत्तीसगढ़ महतारी के रतन बेटा- स्व. प्यारे लाल गुप्त

हमर छत्तीसगढ़ ला धान के कटोरा कहे जाथे अउ ए कटोरा म सिरिफ धाने भर नई हे, बल्कि एक ले बढ़ के एक साहित्यकार मन घलाव समाए हावय। ए छत्तीसगढ़ के भुइंया म एक ले बढ़ के एक साहित्यकार मन जनम लिहिन अउ साहित्य के सेवा करके ए भुइयां मे नाम कमाइन। हमर छत्तीसगढ़ महतारी के कोरा म स्व. प्यारेलाल गुप्त जी 17 अगस्त सन् 1891 में छत्तीसगढ़ के प्राचीन राजधानी रतनपुर में जनम लिहिन। प्राथमिक शिक्षा ल रतनपुर में ग्रहण करे के बाद आगू के पढ़ाई करे बर बिलासपुर…

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अटल बिहारी वाजपेयी ‘‘राजनीतिज्ञ नई बलकि एक महान व्यक्तित्व रहिन’’

अटल बिहारी वाजपेयी के जनम 25 दिसम्बर बछर 1924 को ग्वालियर म एक सामान्य परिवार म होय रहिस। उंकर पिता जी के नाव कृष्ण बिहारी मिश्र रहिस। जे ह उत्तर परदेस म आगरा जनपद के प्राचीन असथान बटेश्वर के मूल निवासी रहिस। अउ मध्यपरसेद रियासत ग्वालियर म गुरूजी अउ एक कवि रहिस अउ उकर मॉं के नाम कृष्णा देवी रहिस। तीन बहिनी अउ भाई म सबसे छोटे अटल बिहारी ल उंखर दादी प्यार ले अटल्ला कई के बुलावत रहिस। काबर के अटल के पिता शिछक अउ कवि रहिस ये कारन…

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