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गीत

मोर छत्तीसगढ़ के भुंइया

मोर छत्तीसगढ़ भुंइया के,कतका गुन ल मैं गांवव | चन्दन कस जेकर माटी हाबे,मैं ओला माथ नवांवव || ये माटी म किसम किसम के, आनी बानी के चीज हाबे | अइसने भरपूर अऊ रतन, कोनो जगा कहां पाबे || इही में गंगा इही में जमुना, इही में हे चारो धाम | चारों कोती तेंहा किंचजरले, […]

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कहानी किताब कोठी

बुढ़ुवा कोकड़ा

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किताब कोठी

मैं अक्‍खड़ देहाती अंव

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कविता

कोनजनि मनखे आवस कि राक्षत रे काटजू

कई पईत खाय हव अउ आघू घलो खाहुच्चे कहिथस गऊ माँस प्रोटीन आवय एमा परतिबंध गलत हे कहिथस कोंनजनि मनखे आवस कि राक्षत रे मार्कंडेय काटजू का तै भुला गे हस तय कोन देश म रहिथस? सुन एहा वो देश ए जिहा कृष्णा गउ सेवा बर आय हे बृज म जेखर रक्षा बर गोवर्धन ल […]

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कविता

जोहत हाबन गा अउ झन भुलाबे

जोहत हाबन गा नई चाहिबे तभो ले, ये सरकार के बोझ ल ढोए बर पड़थे I अऊ ओकर गलती के सजा, हमर सेना ल भुगते ले पड़थे I न्याय होही कईके जोहत रहिबे, अऊ अन्याय ह सफल होथे I सबर के बाण टूटथे त, माटी ह मोर लहुलुहान होथे I ये कईसन राज काज हे […]

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कविता

भुईया दाई करत हे गोहार

भुईया दाई करत हे गोहार भुईया दाई करत हे गोहार छोड़ के झन जा भैईया शहर के द्वार ये नदिया-नरवा, ये रूखराई तोला पुकारत हे मोर भाई चिरई-चिरबुन मया के बोली बोलत हे तुरह जवई जा देख जिहाँ खऊलत हे गाँव के बईला-भैईसा, गया-गरूवामन मया के आसु रोवत हे हमर जतन कराईया हा शहर मा […]

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कहानी

छत्तीसगढ़ी लोककथा : राजा के मया

एकठन राज मा एक राजा के बने-बने राजकाज चलत रहय। तइसने मा राजा ला एक मिट्ठू ले मया हो जाथे। राजा मिट्ठू बर बढ़िया सोना-चांदी रत्न ले गढ़े fपंजरा बनवाइस अऊ मिट्ठू ला पिंजरा मा धांध दिस। राजा मिट्ठू के मया मा रोज, दिन मा तीन बार मिट्ठू ला देखे बर आय अऊ अपन हाथ […]

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कविता

रोवत हावय महतारी

सहीद के अपमान के एक ठिन अउ घटना …अंतस बड़ हिलोर मारत हे …करेजा म बड़ पीरा…लहू उबाल मारत हे…कोनो के बेटो, कोनो के भाई, कोनो के जोही, कोनो के मया…सहीद होगे….सहीद होगे मोर संगवारी…मोर संगवारी ल समरपित ये गीत…. रोवत हावय महतारी… रोवत हावय महतारी रोवत अंगना-दुवारी हे तोर बिन अब का हे जीना […]

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कविता

मटमटहा टूरा

पढ़ई लिखई में ठिकाना नइहे गली में मटमटावत हे हार्न ल बजा बजा के फटफटी ल कुदावत हे। घेरी बेरी दरपन देख के चुंदी ल संवारत हे आनी बानी के किरीम लगा के चेहरा ल चमकावत हे। सूट बूट पहिन के निकले चसमा ल लगावत हे मुंहू में गुटका दबाके सिगरेट के धुंवा उड़ावत हे। […]

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कविता

मोर गाँव के किसान

मोर गाँव के किसान भईयाँ बुता-बनिहारी के करईयाँ अपन बनिहारी के खवईयाँ गाँव घर के रहईयाँ मोर गाँव के किसान भईयाँ। बनिहारी करके फसल उगईयाँ दुनियाँ के पालन करईयाँ बईला तोर मितान भईयाँ धान,गेहूँ, चना, उन्हारी के खेती करईयाँ मोर गाँव के किसान भईयाँ। हमर छत्तीसगढ़ महान हमर छत्तीसगढ़ हवय महान जिहाँ देवी देवता हवय […]