आज अंधियारी म बितगे भले, त अवइया उज्जर कल बनव। सांगर मोंगर देहें पांव हे, त कोनो निरबल के बल बनव। पियासे बर तरिया नी बनव, त कम से कम नानुक नल बनव। रूख बने बर छाती नीहे, त गुरतुर अउ मीठ फल बनव। अंगरा बरोबर दहकत हे जम्मो, त ओला शांत करे बर जल बनव। कपट के केरवस मे रंगे रहे जिनगानी, त अब तो थोरिक निरमल बनव। रीझे यादव टेंगनाबासा(छुरा)
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कपड़ा
कतका सुघ्घर दिखथे वोहा अहा! नान-नान कपड़ा मं। पूरा कपड़ा मं, अउ कतका सुघ्घर दिखतीस? अहा!! केजवा राम साहू ‘तेजनाथ‘ बरदुली,कबीरधाम (छ.ग. ) 7999385846
Read Moreबंदौ भारत माता तुमला : कांग्रेस आल्हा
खरोरा निवासी पुरुषोत्तम लाल ह छत्तीसगढ़ी म प्रचार साहित्य जादा लिखे हे। सन 1930 म आप मन ह कांग्रेस के प्रचार बर, ‘कांग्रेस आल्हा’ नाम केे पुस्तक लिखेे रहेव। ये मां कांग्रेस के सिद्धांत अऊ गांधी जी के रचनात्मक कार्यक्रम के सरल छत्तीसगढ़ी म वरनन करे गए हे। कांग्रेस आल्हा के उदाहरन प्रस्तृत हे – वंदे मातरम् बंदौ भारत माता तुमला, पैंया लागौं नवा के शीश। जन्म भूमि माता मोर देबी, देहु दास ला प्रेम असीस।। विद्या तुम हौ धरम करम हौ, हौ सरीर औ तुम हौ प्रान। भक्ति शक्ति…
Read Moreउरमाल म मयारू तोर मुंह ल पोंछव उरमाल म
उरमाल म मयारू (गजामूंग) तोर मुंह ल पोंछव उरमाल म, उरमाल म ग बईहा तोर मुंह ल पोछवं उरमाल म। अमली फरे कोका-कोका जामुन फरे करिया ओ चल दूनो झन संगे जाबो तरिया। उरमाल म … आम गाँव जामगांव तेंदू के बठेना तोर बर लानेंव मय चना-फूटेना । उरमाल म … हाट गेंव बजार गेव उहाँ ले लानेव तारा, पूछत पूछत, आबे बही तैं हा टिकरीपारा । उरमाल म … खीरा खाले केकरी खाले अऊ खाले जोंधरा, चल बही दूनों देखबो दूधमोंगरा। उरमाल म …
Read Moreबखरी के तुमा नार बरोबर मन झूमरे
बखरी के तुमा नार बरोबर मन झूमरेे, डोंगरी के पाके चार ले जा लान दे बे । मया के बोली भरोसा भारी रे कहूँ दगा देबे राजा लगा लेहूँ फाँसी । बखरी के तुमा नार … हम तैं आगू जमाना पाछू रे कोनो पावे नहीं बांध ले मया म काहू रे । डोंगरी के पाके चार … तोर मोर जोडी गढ लागे भगवान, गोरी बइंहा म गोदना गोदाहूँ तेरा नाम । बखरी के तुमा नार … मऊहा के झरती कोवा के फरती … फागुन लगती राजा आ जाबे जल्दी ।…
Read Moreकोइली के गुरतुरबोली मैना के मीठी बोली जीवरा ल बान मारे रेे
कोइली के गुरतुरबोली मैना के मीठी बोली जीवरा ल बान मारे रेे … गिरे ल पानी चूहे ल ओइरछा, तोर मया म मयारू मारथे मूरछा । जीवरा ल बान मारे रै … गोंदा के फूल बूंभर कांटा रे तोर सुख-दुख म हे मोरो बांटा रे। जीवरा ल बान मारे रे … पीरा के ओर न पीरा के छोर तोर दरस बर संगी मन कल्पथे मोर जीवरा ल बान मारे रे … । दुखिया बाई, टिकरी पारा (गंडई ) राजनादगाव से प्राप्त।
Read Moreददरिया : तिरछी नजरिया भंवा के मारे
ये भंवा के मारे रे मोर रसिया तिरछी नजरिया भंवा के मारे । सिरपुर मंदिर म भरे ल मेला तोला फोर के खबवाहूँ नरियर भेला । ये भवा के मारे … । आये ल सावन छाये ल बादर, तोर सुरता के लगायेंव आंखी म काजर । ये भवा के मारे … । : धान के कंसी गहूँ के बाली, मोर मांग में लगा दे पीरित लाली । ये भवा के मारे … ।
Read Moreगीत : चौरा म गोंदा रसिया, मोर बारी म पताल हे
चौरा म गोंदा रसिया मोर बारी म पताल हे चौरा म गोंदा । लाली-गुलाली छींचत अइबे राजा मोर मैं रहिथंंव छेंव पारा म पूछत अइबे । चौरा म गोंदा … परछी दुवारी म ठाढेच रहिहंव राजा मोर मन महल म दियना बारेच रहिहंव । चौंरा म गोंदा … छिन-छिन तोरे बिन बरिस लागे राजा मोर मैं देखत रहूँ रद्दा तैं खिंचत आबे । चौंरा म गोंदा … : ओ मेरे रसिया ! मेरे घर में चबूतरे पर गेंदे के फूल हैं। मेरे राजा, मेरे प्रियतम! मैं लाली- गुलाली की बस्ती…
Read Moreददरिया : लागे रहिथे दिवाना, तोर बर मोर मया लागे रहिथे
लागे रहिथे दिवाना, तोर बर मोर मया लागे रहिथे । लागे रहिथे दिवानी तोर बर मोर मया लागे रहिथे । दाँते बत्तीसी नयन कजला या तोर मया के मारे होगेंव पगला । ये दिना … लागे रहिये … गहूँ पिसान के बनाये गुलगुल तोला झुलुप नई खुले कटाले बुलबुल । ये दिन… लागे रहिये …. मारे ल मछरी निकाले सेहरा या कहाँ डारे अनबोलना आगू के चेहरा ये दिना … लागे रहिये …. घरे बनाये एकेच कुरिया गा तोर मया के मारें नई जाँव दुरिहा । ये दिना … लागे…
Read Moreबसदेव गीत : भगवती सेन
सुन संगवारी मोर मितान, देस के धारन तंही परान हरावय करनी तोर महान, पेट पोसइया तंही किसान कालू बेंदरुवा खाय बीरो पान, पुछी उखनगे जरगे कान बुढवा बइला ल दे दे दान, जै गंगा… अपन देस के अजब सुराज भूखन लांघन कतको आज मुसुवा खातिर भरे अनाज कटगे नाक बेचागे लाज नीत नियाव मां गिरगे गाज बइठांगुर बर खीर सोहांरी, खरतरिहा नइ पावय मान.. जै गंगा… मंहगाई बाढ़े हर साल बेपारी होवत हें लाल अफसर सेठ उडावंय माल नीछत हें गरीब के खाल रोज बने जनता कंगाल का गोठियावंव सब…
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