तोर धरती तोर माटी : पवन दीवान

तोर धरती तोर माटी रे भइय्या तोर माटी ॥ लड़ई झगरा के काहे काम जे झन बेटा ते ठन नाम हिन्‍दू भाई ला करंव जय राम मुस्लिम भाई ला करंव सलाम छरती बर तो सबो बरोबर, का हांथी का चांटी रे भइय्या ॥ फूले तरोई के सुंदर फुंदरा जिनगी बचाये रे टुटहा कुंदरा हमन अपन घर मां जी संगी देखव तो कइसे होगेन बसुंदरा बडे बिहिनिया ले बेनी गंथा के, धरती हा पारे हे पाटी रे भइय्या ॥ खावव जी संगवारी धान के किरिया चंदन कस चांउर पिसान के किरिया…

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चल सहर जातेन : हेमनाथ यदु

चल सहर जातेन रे भाई गांव ला छोड़ के सहर जातेन । ढकर ढकर पसिया पीके, कमई करे जाथन बइला भंइसा कस कमाथन, गांव मां दुख पाधन दुख ला हरे जातेन रे भाई ..। माड़ी भरके चिखला हावय रद्दा किचकिच लगथे माड़ी ऊपर धोती उघारत अडबड लाज लगथे चिक्कन चिक्कन रेंग तेन रे भाई .. । टिमटिम टिमटिम दिया करे, धुंगिया आँखी भरथे डर लागथे कोलिहा के बोली, हुवां हुवां जब करथे बिजली बत्ती बारतेन रे भाई .. । – हेमनाथ यदु चंदैनी गोंदा के लोकप्रिय गीत Chal Shahar Jaten

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गांव अभी दुरिहा हे : नारायणलाल परमार

तिपे चाहे भोंभरा, झन बिलमव छांव मां जाना हे हमला ते गांव अभी दुरिहा हे। कतको तुम रेंगाव गा रद्दा हा नइ सिराय कतको आवयं पडाव पांवन जस नई थिराय तइसे तुम जिनगी मां, मेहनत सन मीत बदव सुपना झन देखव गा, छांव अभी दुरिहा हे। धरती हा माता ए धरती ला सिंगारो नइ ये चिटको मुसकिल हिम्मत ला झन हारो ऊंच नीच झन करिहव धरती के बेटा तुम मइनखे ले मइनखे के नांव अभी दुरिहा हे। – नारायणलाल परमार चंदैनी गोंदा के लोकप्रिय प्रसिद्ध गीत

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वारे मोर पंडकी मैना संग लक्ष्मण मस्तूरिहा के 9 लोकप्रिय गीत

भारत मां के रतन बेटा, बढिया अंव रे (Bharat man ke ratan beta badhiya anv re) मंय छत्तीसगढिया अंब गा, मंय छत्तीसगढिया अंव रे भारत मां के रतन बेटा, बढिया अंव रे ॥ सोन उगाथंव माटी खाथंव मान ल देके हांसी पाथंव खेती खार संग मोर मितानी घाम सयारू हितवां पानी मोर इही जिनगानी मंय नंगरिहा अंव गा। किसन के बडे भइया हलधरिया अंव रे ॥ देस मया के भारत गीता दाइ ददा मोर राम अउ सीता दया मया मोर परवा छानी परके सेवा मोर सिखानी घाम पानी सहवइया मंय…

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मंय बंदत हंव दिन रात ओ

मंय बंदत हंव दिन रात ओ मोर धरती मइय्यां जय होवय तोर। मोर छइय्यां भुंइय्यां जय होवय तोर॥ सुत उठ के बड़े बिहिनिया तोरे पइय्यां लागंव सुरुज जोत मां करंव आरती गंगा पांव पखारंव फेर काया फूल चढावंब ओ मोर धरती मइय्यां….॥ तोर कोरा सब जी जंतू के घर दुवार अउ डेरा तहीं हमन के सुख दुख अउ ये जिनगी के घेरा तोर मयां मां जग दुलरावंब ओ मोर धरती मइय्यां॥ राजा परजा देवी देवता तोर कोरा म आइन जइसन सेवा करिन तोर वो तइसन फल ल पाइन तोर महिमा…

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देखो फुलगे, चंदइनी गोंदा फुलगे

देखो फुलगे, चंदइनी गोंदा फुलगे, चंदइनी गोंदा फूलगे। एखर रंग रूप हा जिव मां, मिसरी सहीं घुरगे॥ अइसन फूलिस गोंदा चंदइनी कुछु कहे नहि जाये, बघेरा साँ फूलिस- भारत भर मां महमहाये, आंखी के आघुच आधू मां, देखो कइसे झुलगे॥ सुन संगवारी सबले आघू एक फूल टोरत हंव- सरसुती माई के मंय हां, गोड़ मां चघाथंव, जेखर दया ले मोर कंठ हा, सुवा सहीं खुलगे॥ बाँचे फूल मंय तुमला देथंव बबा, ददा अउ भाई- नानुक बाबू नोनी दुलउरिन बहिनी अउ मोर दाई तुंहर दरस ला पाके, हमर सबके भाग हा…

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माटी के काया

माटी के काया ल आखिर माटी म मिल जाना हे। जिनगी के का भरोसा,कब सांस डोरी टूट जाना हे। सांस चलत ले तोर मोर सब,जम्मो रिश्ता नाता हे। यम के दुवारी म जीव ल अकेला चलते जाना हे। धन दोगानी इंहे रही जही,मन ल बस भरमाना हे। चार हांथ के कंचन काया ल आगी मे बर जाना हे। समे राहत चेतव-समझव,फेर पाछू पछताना हे। मोह-माया के छोड़के बंधना,हंसा ल उड जाना हे। नाव अमर करले जग मे,तन ल नाश हो जाना हे। सुग्घर करम कमाले बइहा,फेर हरि घर जाना हे।…

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सरकारी इसकूल

लोगन भटकथें सरकारी पद पाए बर, खोजत रहिथें सरकारी योजना/सुविधा के लाभ उठाए बर, फेर परहेज काबर हे, सरकारी इसकूल, अस्पताल ले? सबले पहिली, फोकट समझ के दाई ददा के सुस्ती, उप्पर ले, गुरुजी मन उपर कुछ काम जबरदस्ती। गुरुजी के कमी,और दस ठोक योजना के ताम झाम मं, गुरुजी भुलाये रहिथे पढ़ई ले जादा दूसर काम मं। नइ ते सरकारी इसकूल के गुरुजी, होथे अतका जबरदस्त जइसे पराग कन फूल के, जेन सरकारी गुरुजी बने के योग्यता नइ रखै नइ ते बन नइ पावै, तेने ह बनथे संगी गुरुजी…

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समीक्षा : जुड़वा बेटी

छत्तीसगढ़ी साहित्य म गद्य लेखन नहीं के बतौर होवत हे। कहानी,एकांकी,उपन्यास के तो मानो टोंटा परे हवय। अइसन बेरा मा बादल जी के “जुड़वा बेटी” ल पढ़े के बाद ये आस जागिस हवय कि अब गद्य लेखन छत्तीसगढ़ी मा समृद्ध होही। बादल जी के कहानी मन आँचलिक समस्या ऊपर केंद्रित हवय। गाँव गवई में समाज के समस्या ल कहानी के रूप मा प्रस्तुत करके  पाठक ल जोड़े मा बादल जी पूरा सफल होय हवय। मुहावरा अउ लोकोक्ति के सुग्घर प्रयोग बादल जी के कहिनी म देखे बर मिलथे। कहानी के…

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सेल्फी के चक्कर

सेल्फी ले के चक्कर में , दूध जलगे भगोना में। सास हा खोजत हे अब्बड़, बहू लुकाय कोना में । आ के धर लिस चुपचाप सास हा हाथ, बहू हा देखके खड़े होगे चुपचाप । घर दुवार के नइहे कोनो कदर , मइके से ला हस का दूध गदर। एक बात बता ऐ मोबाइल मा का हे खास, सबो झन करथे इही मा टाइम पास। चींटू अऊ चींटू के दादा इही म बीजी रहीथे, थोकिन मांगबे ता जोर से चिल्लाथे। का जानबे डोकरी आजकाल के ऐप ला, घर मा पानी…

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