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कहानी

लोक कहिनी : ठोली बोली

छकड़ा भर खार पीये के जिनिस देख के सबे गांव वाला मन पनछाय धर लिन कब चूरय त कब सपेटन। ए क ठन गांव म नाऊ राहय। बड़ चतुरा अऊ चड़बांक। तइहा पइंत के कंथ ली आय। जाने ले तुंहरेच नी जाने ले तुंहरेच, गांव भर के हक-हुन्नर, मगनी, बरनी, छट्ठी, बरही अऊ कोनो घला […]

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कहानी

कहिनी : बेर्रा टूरा बेर्रा टूरा

सहदेव गुरूजी के ओ दिन इसकूल में पहिली दिन रहीस। ओहा पहिली कक्षा में लइका मन के हाजिरी लेवत रहीस। ओतके बेरा इसकूल में लइका मन गोहार पारे बर धर लीन। ”बेर्रा टूरा बेर्रा टूरा अपन दाई बर जठाथे पैरा” कहीके। गुरूजी कक्छा ले बाहिर निकल के देखीस तव उहां एक झन सोगसोगवान गड़हन के […]

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कविता

कबिता : बसंत रितु आथे!

हासत हे पाना डारा। लहलहात हे बन के चारा॥ कुद कुद बेंदरा खाथे। रितु राज बसंत आथे॥ चिरई चिरगुन चहके लागे। गुलाबी जाड़ अब आगे॥ लहलहात हे खेत खार। रुख राई लगे हे मेड़ पार॥ पेड़ ले अब गिरत हे पान। अइसे हे बसंत रितु के मान॥ टेसु सेम्हरा कस फूल फूलत हे। कोयली ये […]

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व्यंग्य

आन के तान

संगी हो! आजकाल मोला एक ठिक जबड़ भारी रोग हो गे हे। रोग का होय हे, मोर जीव के काल हो गे हे। रोग ये हे के मैं हर, आन कहत-कहत तान कहि पारथां, कोनो आन कहिथें त मैं हर तान समझ पारथों। पाछू, आठ महीना ले मोर कनिहा मा पीरा ऊचे लग गे। सोचेंव […]

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गोठ बात

नाटक अऊ डॉ. खूबचंद बघेल

आज जरूरत हे अइसना साहित्यकार के जेन ह छत्तीसगढ़ के धार्मिक राजनैतिक अऊ सामाजिक परिवेस के दरसन अपन लेखन के माध्यम ले करा सकय। बिना ये कहे के मैं ह पहिली नाटककार आवं के कवि आंव। आज के कुछ लेखक मन ये सोच के लिखत हावंय के मैं ह कोन मेर फिट होहूं। जल्द बाजी […]

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कहानी

कहिनी : लछमी

मास्टर ह रखवार ल कथे- चल जी मंय तोला परमान भीतरी दूंहू आ कहिके रखवार अऊ रऊत संग गुरुजी ह भीतरी म जाथे, गरूआ मन ओला देख के बिदके ल लगथे एती-ओती भागे ल धरथे त रखवार ह हांसथे- ले जम्मो तो तोला देखके भीतरी म भागथे बड़ा गाय वाला बनथस। मास्टर कथे अभी देख […]

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कहानी

कहिनी : ममता

ममता एक झन ल पूछिस जेहा गाड़ी म बइठे रीहिस। का होगे? कइसे लागत हे एला ओ मनखे ह थोरिक ढकेलहा कस जुबान दिस मोर गोसईन हरे। कालीचे भात रांधत-रांधत लेसागे। उही ल अस्पताल लाने हावन। म मता नांवेच ल सुनके पता चल जथे कि कतिक मया ल समोय हे अपन भीतरी। ममता अऊ मया […]

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व्यंग्य

अप्रैल फूल के तिहार

हमर देस मा तिहार मनाये के गजब सऊँख। सब्बो किसिम के तिहार ला हमन जुरमिलके मनाथन। तमाम जातपात, धरम-सम्प्रदाय के तिहार मन ला एकजुट होके मनाये के कारन सांप्रदायिक सदभाव अउ एकता के नाम मा हमर दुनिया में अलगेच पहिचान हे। तिहार मनाये बिना हमर बासी-भात तको हजम नई होवय। तिहार मनाये के सऊँख मा […]

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गीत

अरुण कुमार निगम के गीत : नइ भूलय मिट्ठू तपत कुरु ….

आई लव यू………आई लव यू….तयं बोल रे मिट्ठू , आई लव यू….तपत कुरु के गये जमानाबोल रे मिट्ठू – आई लव यू….. राम-राम के बेरा -मा, भेंट होही तो गुड मार्निंग कहिबेए जी,ओ जी झन कहिबे,कहिबे तो हाय डार्लिंग कहिबेसबो पढ़त हे इंग्लिश मीडियमतयं काबर रहिबे पाछू …..आई लव यू………आई लव यू….तयं बोल रे मिट्ठू […]

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गोठ बात

सुधा वर्मा के गोठ बात : नवरात म सक्ति के संचार

नवरात्र के शुरूवात घट इसथापना ले होथे घट म पानी भर के आमा पत्ता ले सजा के ऊपर म अनाज रखे जाथे। प्रकृति ले जुरे तिहार प्रकृति के पूजा करथे। पानी घट म रखना ‘जल ह जीवन आय’ के बोध कराथे। जेन कलस के हम पूजा करथन तेन म जल हावय। आज ये जल के […]