आमा के चटनी ह अब्बड़ मिठाथे, दू कंऊरा भात ह जादा खवाथे । काँचा काँचा आमा ल लोढहा म कुचरथे, लसुन धनिया डार के मिरचा ल बुरकथे। चटनी ल देख के लार ह चुचवाथे, आमा के चटनी ह अब्बड़ मिठाथे । बोरे बासी संग में चाट चाट के खाथे, बासी ल खा के हिरदय ह जुड़ाथे , खाथे जे बासी चटनी अब्बड़ मजा पाथे , आमा के चटनी ह अब्बड़ मिठाथे । बगीचा में फरे हे लट लट ले आमा , टूरा मन देखत हे धरों कामा कामा । छुप…
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छत्तीसगढ़ी भाषा का मानकीकरण : कुछ विचार
डॉ. विनय कुमार पाठक और डॉ. विनोद कुमार वर्मा की पुस्तक ‘छत्तीसगढ़ी का संपूर्ण व्याकरण’ पढ़ने को मिली। इसमें देवनागरी लिपि के समस्त वर्णों को शामिल करने की पुरजोर वकालत की गई है। यह भी ज्ञात हुआ कि डॉ. वर्मा और श्री नरेन्द्र कौशिक ‘अमसेनवी’ की पुस्तक ‘ छत्तीसगढ़ी का मानकीकरण : मार्गदर्शिका’ भी शीघ्र प्रकाशित होने वाली है। यहाँ मैं ‘छत्तीसगढ़ी का संपूर्ण व्याकरण’ पुस्तक पर अपने कुछ सवाल और विचार रखना चाहता हूँ। क्या व्यक्तिवाचक संज्ञा के लिए ही देवनागरी लिपि के सभी वर्णों को स्वीकार किया गया…
Read Moreअक्ती तिहार
छत्तीसगढ़ म हर तिहार ल हमन सुघ्घर रूप ले मनाथन। तिहार ह हमर घर, परिवार, समाज अउ संसकिरिती म रचे-बसे हावय जेखर कारन येखर हमर जीनगी म अब्बडेच़ महत्तम हे। तिहार ह हमर खुसी उत्साह के परतीक हावय जेला हमन सबो झन जुर-मिर के मनाथन। तिहार से हमन ल एक नवा उरजा मिलथे जेखर ले हमन अपन जीनगी म आने वाला कई परकार के बिघन-बाधा ल पार करके आघु बढ़े के सक्ती पाथन। पर आज के आघुनिकता के अंधा दउड़ म हमन अपन तीज-तिहार परिवारदार संगी-जवरिहां के संग मिल के…
Read Moreमजदूर
जांगर टोर मेहनत करथे, माथ पसीना ओगराथे । मेहनत ले जे डरे नहीं, उही मजदूर कहाथे । बड़े बिहनिया सुत उठके, बासी धर के जाथे । दिन भर बुता काम करके, संझा बेरा घर आथे । बड़े बड़े वो महल अटारी, दूसर बर बनाथे । खुद के घर टूटे फूटे हे , झोपड़ी मा समय बिताथे । रात दिन जब एक करथे, तब रोजी वो पाथे । मेहनत ले जा डरे नहीं, उही मजदूर कहाथे । पानी बरसा घाम पियास, बारो महीना कमाथे । धरती दाई के सेवा करके, सुघ्घर…
Read Moreपुण्य सकेले के दिन आय अक्ती
हमर देस मा तिहार मनाय के परंपरा आदिकाल से चले आवत हे। भगवान ले मनौती करेबर, अशीस पायबर अउ मनौती पूरा होय के धन्यवाद देयबर तिहार मनाय जाथे। अइसने एक समिलहा तिहार बइसाख महिना के तीज के दिन मनाय जाथे जौन ला अक्ती तिहार कहे जाथे। अक्ती तिहार के छत्तीसगढ़ मा घलाव अबड़ मानता हे। घर परिवार,खेती किसानी, बर बिहाव आदि बर ए दिन ला बहुतेच शुभ मानथे। नउकर अउ मालिक के बीच गठजोड़ होय के तिहार आवय। अक्ती ला अक्षय तृतीया के नाम से जाने जाथे।जेकर मतलब होथे जौन…
Read Moreपुतरी पुतरा के बिहाव
पुतरी पुतरा के बिहाव होवत हे, आशीष दे बर आहू जी। भेजत हाँवव नेवता सब ला, लाड़ू खा के जाहू जी।। छाये हावय मड़वा डारा, बाजा अब्बड़ बाजत हे। छोटे बड़े सबो लइका मन, कूद कूद के नाचत हे।। तँहू मन हा आके सुघ्घर, भड़ौनी गीत ल गाहू जी। भेजत हावँव नेवता सब ला, लाड़ू खा के जाहू जी।। तेल हरदी हा चढ़त हावय, मँऊर घलो सौंपावत हे। बरा सोंहारी पपची लाड़ू, सेव बूंदी बनावत हे।। बइठे हावय पंगत में सब, माई पिल्ला सब आहू जी। भेजत हावँव नेवता सब…
Read Moreअक्षय तृतीया विशेष : पुतरी पुतरा के बिहाव
हिन्दू धर्म में बहुत अकन तिहार मनाये जाथे । ये तिहार हा मनखे मे नवा जोश अउ उमंग पैदा करथे । आदमी तो रोज काम बुता करत रहिथे फेर काम ह कभू नइ सिराय । येकर सेती हमर पूर्वज मन ह कुछ विशेष तिथि ल तिहार के रुप में मनाय के संदेश दे हे । वइसने एक तिहार अक्छय तृतीया के भी मनाय जाथे । छत्तीसगढ़ में अकती या अक्छय तृतीया तिहार के बहुत महत्व हे । ये दिन ल बहुत ही शुभ दिन माने गेहे। ये दिन कोई भी…
Read Moreअकती बिहाव
मड़वा गड़ाबो अँगना मा, सुग्घर छाबो हरियर डारा। नेवता देबो बिहाव के, गाँव सहर आरा पारा।। सुग्घर लगन हावे अकती के, चलो चुलमाटी जाबो। शीतला दाई के अँगना ले, सुग्घर चुलमाटी लाबो।। सात तेल चघाके सुग्घर, मायन माँदी खवाबो। सुग्घर सजाबो दूल्हा राजा, बाजा सँग बराती जाबो।। कोनो नाचही बनके अप्सरा, कोनो घोड़ा नचाही। सुग्घर बजाके मोहरी बाजा, सुग्घर बराती परघाही।। पंडित करही मंत्र उच्चारण, मंगल बिहाव रचाही। सात बचन ला निभाहू कहिके, सातो वचन सुनाही।। धरम टिकावन होही सुग्घर, पियँर चउँर रंगाय। दाई टिकत हे अचहर-पचहर, ददा टिके धेनू…
Read Moreनंदावत हे अकती तिहार
अकती तिहार हमर छत्तीसगढ़ अँचल के बहुँत बढ़िया प्रसिद्ध परंपरा आय। ये तिहार ला छत्तीसगढ़ के गाँव-गाँव मे बड़ा हर्सोल्लास के संग मनाय जाथे। बैशाख महीना के अँजोरी पाख के तीसरा दिन मा मनाय जाथे।आज के जुग मा नवा-नवा मनखे अउ नवा-नवा जमाना के आय ले अउ हमर जुन्ना सियान मन के नंदाय ले हमर अतेक सुग्घर तिहार हा घलो नंदावत हे। पहेली के सियान मन अकती तिहार के पहेली ले जोरा करत राहय।अकती तिहार आही ता गाँव के डिही डोंगर ठाकुर दिया में अउ शीतला दाई में दोना में…
Read Moreकलिंदर
बारी में फरे हाबे सुघ्घर, लाल लाल कलिन्दर। बबा ह रखवारी करत, खात हावय जी बंदर।। लाल लाल दिखत हे, अब्बड़ मीठ हाबे। बाजार मे जाबे त, बीसा के तेहा लाबे।। एक चानी खाबे त, अब्बड़ खान भाथे। नइ खावँव कहिबे त, मन हा ललचाथे।। चानी चानी खाबे त, सुघ्घर मन ह लागथे। सोनू मोनू जादा खाथे, बारी डाहर भागथे।। प्रिया देवांगन “प्रियू” पंडरिया जिला – कबीरधाम (छत्तीसगढ़) Priyadewangan1997@gmail.com
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