Categories
कविता

प्‍यारे लाल देशमुख के कबिता संग्रह ले दू ठन कबिता

बरदान दे हे गउरी के लाला गजानंद, हमला तंय बरदान दे. बिगडे तोर लईका मन ला, सोझ रावन मा लान दे. दारू सीजर रोज पियत हे, पान मसाला खावत हे, घर मा आके दाई ददा के, बारा रोज बजावत हे. पढई लिखई म चंट होवय, अइसन उनला गियान दे, बिगडे तोर लईका मन ला सोझ […]

Categories
कविता

प्‍यारे लाल देशमुख के कबिता संग्रह ले दू ठन कबिता

बरदान दे हे गउरी के लाला गजानंद, हमला तंय बरदान दे. बिगडे तोर लईका मन ला, सोझ रावन मा लान दे. दारू सीजर रोज पियत हे, पान मसाला खावत हे, घर मा आके दाई ददा के, बारा रोज बजावत हे. पढई लिखई म चंट होवय, अइसन उनला गियान दे, बिगडे तोर लईका मन ला सोझ […]

Categories
व्यंग्य

दर्रा हनागे

संझौती बेरा कोतवार हाका पारत रिहिस- नरवा मा नावा बने पुलिया हा तियार होगे हे, आज ले पांचवा दिन इतवार के हमर कोती के मंतरी फकालूराम हा फीता काटके उदघाटन करही। कोतवार केहाका ला सुनके गांव के लईका-सियान, दाई-बहिनी तिहार बरोबर उछल-मंगल मनात हें, अऊ टुटपुंजिहां गांव के नेता मन अइसे करत हें, जईसे ऊही […]

Categories
व्यंग्य

हमर छत्तीसगढ के होगे बिकास … ??

हमर भारत देस के अडबड बिकास होवत हे, संगें-संग हमर छत्तीसगढ राज बने ले ओखरो अडबड बिकास होवत हावय। कई पहरो ले हमर छत्तीससगढ ला गवांर, अनपढ अउ ना जाने का का कहि के हीने जात रहे हे। अगरेज मन के भागे के पाछू घलोक अडबड माय-मौसी के दुख सहे हे फेर अब दिन बहुर […]

Categories
कविता

वन्देमातरम् : महूं पांवे परंव तोर भुँइया

जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मँइया अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार इँदिरावती हा पखारय तोर पइयां महूं पांवे परंव तोर भुँइया । जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मइया ।। सोहय बिंदिया सहीं घाटे डोंगरी पहार चंदा सुरूज बनय तोर नैना सोनहा धाने के अंग लुगरा हरियर हे रंग तोर बोली हावय सुग्घर बैना […]

Categories
कविता

छत्तीसगढिय़ा हांव मैं

छत्तीसगढिय़ा हांव मैंसब ले बढिय़ा हांव मैंइहां के पानी इहां के माटीरहईयां इहां के इहां के भूईय्याकहे सोन चिरईय्या हंव मैंछत्तीसगढ़ के मोर भुईय्या ला धान कटोरा कईथेसब्बों धरम के संगी साथी जुरमिल के बने रहिथेलड़ई अऊ झगड़ा ले दूर रहिथेंहम सब झने मन एक हे कहिथेंअऊ कहिथे-छत्तीसगढिय़ां हंव मैं सबले बढिय़ा हंव मैंबस्तर के […]

Categories
कविता

मोर सोनहा बिहान

किरन – किरन के चरन पखारन आरती उतारन, रे मोर सोनहा बिहान, बगराये अँजोर, छत्तीसगढ़ मां । मोर बिहनिया तोला अगोरत, सइघो रात पहागे छाती पोंठ करेन हम्मन ते, ठंड़का तैं अगुवागे तोला परघाये बर आइन, जुरमिल सबो मितान रे मोर सोनहा बिहान, बगराये अँजोर, छत्तीसगढ़ मां । दाई – ददा लइका–सियान सब, तोरेच गुन […]

Categories
कविता

भारत के बाग

महर–महर महकत हे, भारत के बाग । भुँइया महतारी के अमर हे सुहाग ।। ममहाती पुरवहिया, झूमय लहरावय डारा–डारा, पाना–पाना, मगन सरसरावय पंड़की–परेवना मन, मन ला लुभावय कोइली हर कुहकै नंदिया गाना गावय मिट्ठु हर तपत कुरू बोलै अमरइया में – कोकड़ा–मेचका जुरमिल गावत हें फाग । उठौ उठौ जँहुरिया अब रात ह पहागै । […]

Categories
कविता

जिनगी के रद्दा

जिनगी के रद्दा अड़बड़ लम्भा दू ठिन हमरे चरन गोड़ ला कहाँ–कहाँ हमन धरन चले पुरवहिया सनन सनन् । बिजहा रे डारेन नाँगर चलाएन धाने के नेवता माँ बादर ला बलाएन किंजर–किंजर के बरसौ रे बादर, तुंहरे पंइया परन सावन भादों मां ठंऊका रे बरसिस पानी झनन झनन चले पुरवहिया सनन सनन् । अगहन मां […]

Categories
कविता

कइसे बचाबो परान

ठगुवा कस पानी ह ठगत हे, मूड़ धरे बइठे किसान ये बिधाता गा मोर कइसे ब चाबो परान । एक बछर नाँगर अऊ बइला ला बोर बोर, ओरिया अऊ छान्ही ले, पानी ह गली खोर, खपरा बीच बोहावै, ना ये भाई, खपरा बीच बोहावय । रद रद, रद रद रोंठ–रोंठ रेला मन, बारी के सेमी […]