मोर छत्तीसगढ़ के माटी जी, मोर छत्तीसगढ़ के माटी। हीरा मोती सोना चाँदी…2 छत्तीसगढ़ के माटी… मोर छत्तीसगढ़ के माटी जी, मोर छत्तीसगढ़ के माटी। इही भुइयाँ मा महाप्रभु जी, लिये हावे अँवतारे हे…2 इही भुइयाँ मा लोमश रिसी, आसन अपन लगाये हे…2 बड़े-बड़े हे गियानी धियानी…2 छत्तीसगढ़ के माटी… मोर छत्तीसगढ़ के माटी जी, मोर छत्तीसगढ़ के माटी। इही भुइयाँ मा राजीव लोचन, सउँहत इहाँ बिराजे हे…2 बीच नदिया मा कुलेश्वर बइठे, आसिस अपन बगराये हे…2 जघा जघा बिराजे देंवता धामी…2 छत्तीसगढ़ के माटी… मोर छत्तीसगढ़ के माटी जी,…
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हिसार म गरमी
चालू होवत हवय गरमी, जम्मो लगावय डरमी कूल। लागथे सूरज ममा हमन ल, बनावत हे अप्रिल फूल।। दिन म जरे घाम अऊ, रतिहा म लागथे जाड़। एईसन तो हवय संगी, हरियाणा म हिसार।। कोन जनी का हवय, सूरज ममा के इच्छा। जाड़ अऊ गरमी देके, लेवय जम्मो के परीक्क्षा।। मोटर अऊ इंजन के खोलई, होवत हवे आरी-पारी। पना-पेंचिस के बुता म, मजा आवत हवय भारी।। टूरा ता टूरा इहाँ, नोनी मन घला मजा उठावत हे। अऊ जादा होवत हवय, ताहन मुहुँ ल फुलावत हे।। इंजन के पढ़ई म, अजय सर…
Read Moreरूख तरी आवव
रूख तरी आवव, झुलवा झुलव,थोरकुन बइठव, सुसता लेवव, रूख तरी आवव…… घाम गम घरी आगे रुख तरी छइया पावव, जिनगी के आधार रूख तरी आसरा पावव. रूख तरी आवव…… चिरिया-चिरगुन,पंछी-परेवा बर रूख सुघ्घर ठीहा हवय, चलत पुरवइया पवन ले ,जम्मो तन मन ल जुड़ावव. रूख तरी आवव……. चारो अंग कटगे जंगल झारी नागिन रददा रेंगत हवय, बगरगे मकान बहुमंजिला,बड़का कारखाना उठत, धुंगिया ले बचावव. रूख तरी आवव……. झन काटव रूख राई ल ,ग्लोबल वार्मिंग होवत हवय, परियावरन ल जुरमिर, धरती ल नास ले बचावव. रूख तरी आवव………. सीख ले मनखे…
Read Moreदारू छोड़व
झन पी तैं दारू ला संगी , एक दिन तेहा पछताबे। सब कुछ खतम हो जाही ता , काला तेहा खाबे।। छोड़ दे तेहा दारू पीना , आदी तैं हो जाबे। बड़े बड़े बिमारी आही, जान अपन गंवाबे।। लड़ाई झगड़ा छोड़ दे , झन कर तैं अपमान। नारी होथे दुर्गा काली , ओकर कर सम्मान ।। अगर पीबे दारू त , जाही तोर इमान। रखले सबके इज्जत ला , मत बन तैं बेइमान।। प्रिया देवांगन “प्रियू” पंडरिया जिला – कबीरधाम (छत्तीसगढ़) Priyadewangan1997@gmail.com
Read Moreलघुकथा – नौकरी के आस
राजेश अऊ मनोज दूनों पक्का दोस्त रिहिसे। दूनों कोई पहिली कक्षा से बारहवीं कक्षा तक एके साथ पढ़ीस लिखीस अऊ बड़े बाढ़हीस। दूनों झन के दोस्ती ह गांव भर में परसिद्ध रिहिसे। कहुंचो भी आना जाना राहे दूनों कोई एक दूसर के बिना नइ जावय। राजेश ह गरीब राहय त कई बार मनोज ह ओकर सहायता करे। पुस्तक कापी तक ले के दे देवत राहय । बारहवीं पढ़हे के बाद राजेश ह गरीबी के कारन आगे नइ पढ़ीस अऊ अपन घर के काम बूता में हाथ बंटाय लागीस। वोहा बैंक…
Read Moreझिरिया के पानी
मयं झिरिया के पानी अवं, भुंइया तरी ले पझरत हवव, मयं झिरिया के पानी अवं, मयं झिरिया के पानी……. अभे घाम घरी आगे, नदिया नरवा तरिया अटागे, नल कूप अउ कुआं सुखागे, खेत खार, जंगल झारी कुम्हलागे, तपत भुईया के छाती नदागे. पाताल भुंइया ले पझरत हवं,मयं झिरिया के पानी अवं, मयं झिरिया के पानी ………… गांव गवई, भीतरी राज के, परान ल बचाय के मोर उदिम हे, करसा ,हवला ,बांगा धरे, आवत जम्मो मोर तीर हे, अमरित हवय मोर पानी रे, कभू नइ सुखावव,मयं झिरिया के पानी अवं, मयं…
Read Moreनान्हे कहानी – सुगसुगहा
राजेश बड़ सुगसुगहा आय। थोरको मौसम बदलिस कि ओखर तबियत बिगड़ जातीस। धुर्रा माटी हा ओखर जनम के बैरी रिहिस होही। राजेश हा अइसे तो बड़का कंपनी मा नउकरी करथे। तनखा घलो बनेच मिलथे। दाई ददा ले दुरिहा, कंपनी के घर मा रहिथे। फेर एकेच ठन दुख मा गुनत हवय। उमर 35 पूरगे हवय अउ बिहाव नइ होय हवय।संग संगवारी मन बिहाव करेबर काहय तब मुच ले हाँस दय। भँइसा के सींग भँइसा ला भारी अइसने ओखर दुख हा दिनोंदिन ओला भारी होवत रहय।अइसे वो भगवान के भक्ति मा कमी…
Read Moreहोली विशेष राशिफल
होली के रंग —– राशिफल के संग हमर हिन्दू धर्म में पंचांग के बहुत महत्व हे। कोई भी काम करथन त पहिली पंचांग देखथन तब काम के शुरूआत करथन। राशिफल ह हमर जीवन में बहुत महत्व रखथे । एकर से हमला शुभ – अशुभ के जानकारी होथे । होली के शुभ अवसर में ज्योतिषाचार्य स्वामी भकानंद महाराज जी के द्वारा भांग के नशा में बनाय गे राशिफल आप मन के सामने प्रस्तुत हे —- मेष —–( अ,चु, चे, चो, ला, ली,लू,ले, ) ए साल ह मेष राशि वाला मन बर…
Read Moreफाग गीत – होली हे
उड़त हे अबीर गुलाल, माते हे मऊहा चार I टेसू फुले, परसा डोले, पींयर पींयर सरसों रस घोरे, दुल्हन कस धरती के सिंगारI उड़त हे अबीर गुलाल, होली हे ——– मऊरे आमा मद महकाएँ, कोयलियाँ राग बासंती गायें I कनवा, खोरवा गंज ईतरायें, नशा के मारत हे उबाल, उड़त हे अबीर गुलाल I होली हे ——— ढोल,मजीरा, मृदंग बाजै, घुँघरू के सन गोरी नाचै I होठ रसीले गाल गुलाबी, फागुन के येदे चाल शराबी I माते हे मऊहाँ अऊ चार, उड़त हे अबीर गुलाल I होली हे ——– नींद निरमोही…
Read Moreरखवारी
जनगल के परधान मनतरी हा, जनगल म परत घेरी बेरी के अकाल दुकाल के सेती बड़ फिकर करय। जे मुखिया बनय तिही हा, जनगली जानवर मन के फिकर म दुबरा जाये। एक बेर एक झिन मुखिया ला पता चलिस के, दूर देस के जनगल म, एक ठिन अइसे चीज के निरमान होये हे, जेला सिरीफ अपन तिर राखे ले, भूख गरीबी डर भय अपने अपन मेटा जथे। बड़ महंगुलिया आइटम रिहीस हे फेर, जनता के सेवा बर बिसाना घला जरूरी रिहीस। ओहा वो आइटम ला बिसाये के तै करिस। उधारी…
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