छत्तीसगढ़ी गज़ल

अब नगरिहा गाये नहीं, काबर ददरिया। संगी ला बलाये नहीं, काबर ददरिया। बेरा-कुबेरा खेत-खार म गुंजत राहय, हमला अब लुभाये नहीं, काबर ददरिया। मन के पीरा, गीत बना के जेमा गावन, अंतस मा समाये नहीं, काबर ददरिया। कुहकत राहय ओ कोयली कस जंगल मा, पंछी कस उड़ाये नहीं, काबर ददरिया। करमा, सुआ अउर पंथी के रहिस संगी, अपन तान उचाये नहीं, काबर ददरिया। –बलदाऊ राम साहू

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पुरुस्कार – जयशंकर प्रसाद

जान-चिन्हार महाराजा – कोसल के महाराजा मंतरी – कोसल के मंतरी मधुलिका – किसान कइना, सिंहमित्र के बेटी अरुन – मगध के राजकुमार सेनापति – कोसल के सेनापति पुरोहित मन, सैनिक मन, जुवती मन, पंखा धुंकोइया, पान धरोइया दिरिस्य: 1 ठान: बारानसी के जुद्ध। मगध अउ कोसल के मांझा मा जुद्ध होवत हावय, कोसल हारे बर होवत हावय, तभे सिंहमित्र हर मगध के सैनिक मला मार भगाथे। कोसल के महाराजा खुस हो जाथें। महाराजा – तैंहर आज मगध के आघू मा कोसल के लाज राख ले सिंहमित्र। सिंहमित्र – सबो…

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छत्तीसगढ़ म दान के महा परब छेरछेरा

ये संसार म भुइंया के भगवान के पूजा अगर होथे त वो देस हाबय भारत। जहां भुइंया ल महतारी अऊ किसान ल ओखर लईका कहे जाथे। ये संसार म अन्न के पूरती करईया अन्नदाता किसान हे। हमर छत्तीसगढ़ ल धान के कटोरा कहे जाथे। हमर सभियता, संसकिरीति म तिहार के बड़ महत्तम हाबय। हमर सभियता अऊ संसकिरीति म ये तिहार मन रचे बसे हावय। ये तिहार म दान के परब छेरछेरा घलो हावय। हमर ये छेरछेरा तिहार पुस पुन्नी के दिन मनाये जाथे। फसल ल खेत-खार ले डोहार के कोठार…

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बियंग : करजा के परकार

यू पी एस सी के परीकछा म भारत के अरथ बेवस्था ला लेके सवाल पूछे गिस। सवाल ये रहय के करजा के कतेक परकार होथे। जे अर्थसासतरी लइका मन बड़ पढ़ लिख के रटरुटाके गे रहय तेमन, रट्टा मारे जवाब लिखे रहय। ओमन लिखे रहय – तीन परकार के करजा होथे, पहिली अलपकालीन, दूसर मध्यकालीन अऊ तीसर दीर्घकालीन। तीनों ला बिसतार से समझाये रहय। कुछ इनजीनियर किसिम के लइका मन लिखे रहय। करजा तीन परकार के होथे, पहिली किसानी करजा, दूसर उदयोगिक करजा, तीसर घरेलू करजा। तीनों ला उहू मन…

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सरसती वंदना

वीणा बजईया सरसती मंईयाँ..2 मोला तार लेना ओ… तोरे चरण मं आऐ हंव दाई मोला गियान देना ओ…2 कोंदा लेड़गा तोर चरण मं आके, सुर मं सुर मिलाये ओ गईया बछरू तोर मयां ला पाके, मंईयाँ-मंईयाँ रम्भाऐ ओ :-गीयान देवईया सरसती मंईयाँ..2 मोला उबार लेना ओ… तोरे चरण मं आऐ हंव दाई गियान देना ओ…2 चिरई-चिरगुण सातो सुर ला पाके, मंईयाँ-मंईयाँ गोहराऐ ओ सुआ पंड़की कोईली परेवना, महिमा ला तोर बखाने ओ :-बुद्धि देवईया वीणा बजईया..2 मोला तार लेना ओ… तोरे चरण मं आऐ हंव दाई, मोला गियान देना ओ…2…

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मोर छत्तीसगढ़ महतारी

1. जिंहा खिले-फुले धान, सुग्घर खेत अउ खलिहान। देवी-देवता के हे तीर्थ धाम, कहिथे ग इंहा के किसान। मोर छत्तीसगढ़ महतारी, हे ग महान…….! 2. दुख पीरा के हमर दुर करइया, हरय हमर छत्तीसगढ़ मइया। हरियर-हरियर हे दाई के अंगना, कहिथे ग इंहा के लइका अउ सियान। मोर छत्तीसगढ़ महतारी, हे ग महान…..! 3. माटी ल मांथा म लगाके देखबे, चन्दन – बंदन ल भुला जाबे। गुलाब कस सुंगंध दिही, कहिथे ग इंहा के मजदूरमन। मोर छत्तीसगढ़ महतारी, हे ग महान……! 4. सुत उठ के करथंव प्रणाम, इही मोर दाई-ददा…

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छेरछेरा

सबो संगवारी मिलके, झोला धरके जाथे। सब के मुहाटी मा, जा जा के चिल्लाथे।। छेरछेरा छेरछेरा, माई कोठी के धान ल हेरहेरा। अरन बरन कोदो दरन, जभे देबे तभे टरन।। कोनो देथे रूपया पइसा, कोनों धान ल देथे। धान मन ला बेंच के, पइसा ल बांट लेथे।। पुन्नी के मेला जी, इही दिन होथे। पइसा ल धरथे अऊ, मेला घूमे ल जाथे।। सबो संगवारी मन, मेला म मिलथे। हांस हांस के सबो झन, झूला ल झूलथे।। घूम घूम के अब्बड़, चाट गुपचुप खाथे । पेठा अऊ रखिया पाख धरके, घर…

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नान्‍हे कहिनी : आवस्यकता

जब ले सुने रहिस,रामलाल के तन-मन म भुरी बरत रहिस। मार डरौं के मर जांव अइसे लगत रहिस। नामी आदमीं बर बदनामी घुट-घुट के मरना जस लगथे। घर पहुंचते साठ दुआरीच ले चिल्लाईस ‘‘ललिता! ये ललिता!‘‘ ललिता अपन कुरिया मं पढ़त रहिस। अंधर-झंवर अपन पुस्तक ल मंढ़ाके निकलिस। ‘‘हं पापा!‘‘ ओखर पापा के चेहरा, एक जमाना म रावन ह अपन भाई बिभिसन बर गुसियाए रहिस होही, तइसने बिकराल दिखत रहिस। दारू ओखर जीभ मं सरस्वती जस बिराजे रहिस अउ आंखी म आगी जस। कटकटावत बोलिस ‘‘मैं ये का सुनत हौं…

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ठगही फेर सकरायेत

कहे क्रांति कबिराय, नकल ले झन धोका खाना कोलिहा मन ह ओढ़े हावंय, छत्तीसगढ़िया बाना। मीठ-मीठ गोठिया के भाई, मूरुख हमला बनाथे बासी चटनी हमला देथे, अउ काजू अपन उड़ाथे। बाहिर म बन शेरखान, बिकट बड़ाई अपन बतावै भीतर जाके चांटे तलुआ, नांउ जइसे तेल लगावै। आरएसएस ल कहत रहिस वो, अपन गोसंइया बदलिस कुरसी बदल गइस, ओकर दादा-भईया। चतुर बहुत चालक हे, वो सकरायेत ये मोर भाई छत्तीसगढ़िया भेख बनाके, ठगथे हमर कमाई। सकरायेत के गाड़ा-गाड़ा बधाई के संग – तमंचा रैपुरी

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ये जमाना बिगड़ गे

ये जमाना बिगड़गे रे भाई ये जमाना बिगड़गे रे :-गुल्ली डण्डा के खेलईया सिरागे…2 ओ जमाना निकलगे रे… ये जमाना बिगड़गे रे भाई ये जमाना बिगड़गे रे गाड़ी फंदईया अऊ दऊंरी खेदईया, कहाँ नंदागे ओ सियान मोटर गाड़ी के जमाना हा आगे, कोन करे अब खियाल :-बईला नांगर के फंदईया नंदागे…2 ओ जमाना निकलगे रे… ये जमाना बिगड़गे रे भाई ये जमाना बिगड़गे रे अंगाकर रंधईया अऊ चिला सेंंकईया, ओ मनखे लुकागे जी ठेठरी खुरमी अऊ सुहांरी खवईया, ओ जमाना गवांगे जी :-छत्तीगढ़ीया बियंजन नंदागे…2 ओ जमाना निकलगे जी… ये…

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