युवा दिवस 12जनवरी बिसेस

“उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत” “उठव, जागव अउ लक्ष्य पाय के पहिली झन रुकव” भारत भुँइया के महान गौरव स्वामी विवेकानंद के आज जनम दिन हरय। स्वामी जी के जनम 12 जनवरी सन् 1863 के कलकत्ता (अब कोलकाता) म होय रिहिस। ऊँखर पिताजी के नाँव बाबु विश्वनाथ दत्त अउ महतारी के नाँव सिरीमती भुवनेश्वरी देवी रिहिस। ऊँखर माता-पितामन ऊँखर नाँव नरेन्द्रनाथ रखे रिहिन। बचपन ले ही नरेन्द्रनाथ धार्मिक सुभाव के रिहिन। धियान लगाके बइठे के संस्कार उनला अपन माताजी ले मिले रिहिस। एक बार नरेंद्र एक ठी खोली म अपन संगवारी…

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गांव के पीरा

गांव ह गंवागे हमर शहर के अबड़ देखाई मा। मया अउ पीरा गंवागे सवारथ के सधाई मा।। सोनहा हमर भुइयां गवांगे कारखाना के लगाई मा। दुबराज धान के महक गंवागे यूरिया के छिंचाई मा। ममा मामी कका काकी गंवागे अंकल आंटी कहाई मा सुआ नाच के गीत गंवागे डी जे के नचाई मा।। बिसाहू भाई के चौपाल गंवागे टी वी के चलाईं मा। किसान मन के ददरिया गंवागे चाइना मोबाइल धरई मा। पहुना मन के मान गंवागे राम रहीम के गोठ गंवागे आपस के लड़ाई मा, सुघ्घर हमर संस्कार गंवागे…

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बियंग: करजा माफी

करजा माफी के उमीद म, किसान मन के मन म भारी उमेंद रहय। जे दिन ले करजा माफी के घोसना होय रहय ते दिन ले, कतको झिन बियाज पुरतन, त कतको झिन मुद्दल पुरतन पइसा के, मनदीर म परसाद चढ़हा डरे रहय। दूसर कोती, करजा माफी के घोसना करइया के पछीना चुचुवावत रहय। मनतरी मन के घेरी बेरी बइठक सकलाये लगिस। किसान मन के करजा माफी बर कतेक पइसा चाही अऊ पइसा कतिहां ले आही अऊ ओकर भरपाई कइसे होही, तेकर हिसाब किताब चलत रहय। एक मनतरी किथे – सहींच…

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समे-समे के बात

बदलाव होवत रहिथे संगी, जिनगी के सफर म, कोनों धोका म झन रहै, बपौती के,न अकड़ म। काल महुँ बइठे रहेंव सीट म, संगी,आज खड़े हौं, कोनों बइठे हे आज, त झन सोचै, के मैं फलाने ले बड़े हौं। केजवा राम साहू ‘तेजनाथ’ बरदुली, कबीरधाम, छ ग. 7999385846

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सरसों ह फुल के महकत हे

देख तो संगी खलिहान ल सरसों ह फुल गे घम घम ल पियर – पियर दिखत हे मन ह देख के हरसावत हे नावा बिहान के सन्देस लेके आये हे नावा बहुरिया कस घुपघुप ल हे हवा म लहरत हे सुघ्घर मजा के दिखत हे पड़ोसिन ह लुका लुका के भाजी ल तोरत हे फुल के संग म डोलत हे अगास ह घलो रंग म रंग गेहे हे देखैया मन के मन मोहत हे महर महर महकत हे रसे रस डोलत हे देख के मन ह हरसत हे पियर –…

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सुग्घर हे मोर छत्तीसगढ़

बड़ सुग्घर हे मोर छत्तीसगढ़, चारों मुड़ा हरियाली हे। जेती देखबे तेती संगी, खुशहाली ही खुशहाली हे।। बड़ भागी हन हमन भईया, छत्तीसगढ़ मं जनम धरेन। ईहें खेलेन कुदेन संगी, ईहें खाऐ कमाऐन।। बड़ सुग्घर हे मोर छत्तीसगढ़, चारो मुंड़ा हरियाली हे। जेती देखबे तेती संगी, खुशहाली ही खुशहाली हे।। छत्तीसगढ़ के मांटी मं भईया, अजब गजब ओनहारी हे। बर पिपर के सुग्घर छंईहां, जुड़ चले पुरवाई हे।। बड़ सुग्घर हे मोर छत्तीसगढ़, चारो मुंड़ा हरियाली हे। जेती देखबे तेती सुग्घर, खुशहाली ही खुशहाली हे।। होवत बिहनिया इहाँ भईया, अंगना…

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फैसन के जमाना

फैसन के जमाना आगे, आनी बानी फैसन लगावत हे। छोकरी-छोकरा ला का कहिबे, डोकरी डोकरा झपावत हे।। उमर होगे हे अस्सी साल, अऊ मुंड़ी मं डाई लगावत हे। अजब-गजब हे डोकरी मन के चाल, मुंहूं मं लिबिस्टीक लगावत हे।। छोकरी-छोकरा ला का कहिबे, डोकरी-डोकरा झपावत हे। फैसन के जमाना आगे, आनी-बानी फैसन लगावत हे।। आज काल के नव युवक मन, सिकरेट पैनामा जमावत हे। कईसने डिजाइन के ओ पैंट पहिरे हे, माड़ी के आवत हे बोचकावत हे।। कोन जनी ओ चड्डी नइ पहीरे रतीस ता का होतीस, थोरको सरम नइ…

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नंदावत हे अंगेठा

देवारी तिहार के तिर मा जाड़ हा बाढ जाथे, बरसात के पानी छोड़थे अउ जाड़ हा चालू हो जाथे। फेर अंगेठा के लइक जाड़ तो अगहन-पूस मा लागथे। फेर अब न अंगेठा दिखे, न अगेठा तपइया हमर सियान मन बताथे, पहिली अब्बड़ जंगल रहय, अउ बड़े बड़े सुक्खा लकड़ी। उही लकड़ी ला लान के मनखे मन जाड़ भगाय बर अपन अंगना दुवारी मा जलाय, जेला अंगेठा काहय। कोनो कोनो डाहर अंगेठा तापे बर खदर के माचा घलो बनाथे। अउ उंहे बइठ जाड़ ला भगाय। फेर अब जमाना के संगे संग…

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नान्हे कहिनी – फुग्गा

लच्छू अपन नानकुन बेटी मधु ला धरके मड़ई देखायबर लाय हे।लच्छू के जिनगी गरीबी मा कटत हे। खायबर तो सरकार हा चाउँर दे देथय।फेर गाँव मा काम बूता हाथ मा नइ रहे ले एकक पइसा बर तरसत रहिथे। आज गाँव के मड़ई हे।एसो बहुतेच भीड़ हवय। काबर कि एसो मड़ई के दिन सरकारी छुट्टी घलो पड़गे हवय। गाँव के जतका सरकारी नौकरी करइया मन सहर मा रहिथे सबो मन परिवार संग मड़ई मानेबर आय हवय। गाँव के मड़ई मा बेटी दमाद ,समधी सजन सबो मन आय हे। माता देवाला अउ…

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नवा पहल 2019

1. नवा बसर मा नवा पहल होवय, मनखे परान परबल होवय। शुभ चरितर अऊ सबो के भविष्य उज्जर होवय।। नवा बसर मा नवा पहल होवय। 2. मया मेहनत के पानी मा, चीखला होवय ,माटी मा। ऊपर तो फूलै खोखमा, पानी पवितर जल होवय। नवा बसर मा नवा पहल होवय। 3. टमडे़ ला झन परय कोनो जघा, जगमग देवारी घर अंगना। घपटे अंधियार झन टिकय झोपड़ी चाहे महल होवय।। नवा बसर मा नवा पहल होवय। 4. नवा धरती नवा अगास नवा बिहनिया के हे आस नवा-नवा सब बागबगिया नवा – नवा…

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