नो हो कछेरी ए हर नो है कछैरी, हाकिम मन बैठे बैठे खेलत है गरी ए हर नो है कछैरी……… चला भाई भाग चली प्राण ला धरी विधि के विधान में सुखाये पोखरी। ए हर नो है कछैरी……. दफा सार सौ बीस बूले खोल डगरी भरत हवे पेट कोई जी इ की मरी। ए हर […]
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(1) पिया बिन मोहे नीक न लागै गाँव। चलत चलत मोर चरन दुखित भे, आँखिन पर गै धूर। आगे चलौ पंथ नहिं सूझै, पाछे परै न पॉव। ससुरे जावँ पिया नहिं चीन्है, नैहर जात लजावै। इहाँ मोर गाँव, उहाँ मोर पाही, बीच अमरपुर धाम ॥ धरमदास बिनवे कर जोरी, तहाँ गाँव ना ठाँव ॥ (2) […]
सरगुजा के दर्शनीय जल प्रपात परकिरती कर बदलाव ले भारतभर कर कला अउ संस्किरती कर संगे–संग इतिहास अउ पुरातत्व कर जरहोजात मन धरती कर भितरी हमाये जाथें। येमन कर जानकारी जुटाना काकरो बर अब्बड़ मेहनत कर बुता होथे। हमर सरगुजा हें कईअकठन धरम-करम, इतिहास पुरातत्व मधे कर देखे जोग जगहा हवें। इहां कर जुनहा बेंगरा, […]
कतवारू गांव कर किसान रहिस। जांगरटोर मेहनत के कारन ओकर घरे कोनों चीज कर कमी नइ रहिस। ओकर एकेठन बेटा रहिस सोमारू। कतवारू खुद नई पढे – लिखे रहिस बकिन ओकर मन में अपन बेटा ला पढ़ाय कर ललक रहिस। सोमारू घलो सुघ्चर लइका रहिस। पढ़ाई कर उपर ओकर. पूरा ध्यान रहे। संगे-संगे अपन बापो […]
सरगुजिहा कहनी- मितान
ढेरे जुनहा गोठ हवे। गांव कर उत्तर कती एगो झोपड़ी रहिस। उहां एगो महात्मा रहत रहिन । दिन भर भीख मांगे अउर रात में झोपड़ी में कीर्तन भजन करत रहें। गांव में उनकर चेला-चपाटी भी रहिन ! कीर्तन भजन करे वाला चेला। ओही चेला में एगो चेला रहिस बिसनाथ। पढ़ल-लिखल होसियार चेला। कीर्तन भजन करे […]
ढेरेच्च गुमान भरल, मनखे कर जात । तेकर सेथी बिगडिस, मनखे कर जात ।। धरती कर रेंगइया, तरई ला माँगे। । चलनी मा पानी भरे, मनखे कर जात।। नदिया ला दाई कहे, चन्दा ला मामा। दूनों कर नास करिस, मनखे कर जात।। सूते घनी जागत, जागत घनी सूते। रात-दिन कलथत हे मनखे कर जात।। चलती […]
गीत : धनहा डोली
चल घुमाहूँ तोला, धनहा डोली। सुनाहूँ तोला, तीतुर, पपीहा के बोली। मेड़ -पार म उगे हवे, रंग – रंग के काँदी। खेत म खेलत हवे, डँड़ई, कोतरी, सराँगी। नाचत हवे रुख राई संग, पँड़री-पँड़री कांसी। कते रुख तरी खाथों, बइठ मैंहा बासी? तँहूँ ला खवाहूँ, मुंग – मुंगेसा ओली-ओली। चल घुमाहूँ तोला, धनहा डोली…………….। मेचका […]
ए गिरे परे हपटे मन अउ डरे थके मनखे मन, मोर संग चलव रे अमरइय्या कस जूड छांव मंय मोर संग बइठ जुडा लव पानी पी लव मंय सागर अंव दुख पीरा बिसरा लव नवा जोत लव नवा गांव बर रददा नवा गढ़व रे। मंय लहरी अंव मोर लहर मां फरव फुलव हरियावव महानदी मंय […]
में नो हों महराज: नारायण लाल परमार
एक ले एक हे हुसियार ,में नो हों महराज। करे सब करिया कारोबार, मे नो हो महराज॥ कनवा ला कनवा कहइया होहीं कोन्हो दूसर, गउ के किरिया हे हवलदार, मे नो हों महराज ॥ सब के बांटा ला अपन मान के जे खावत हें, कोन्हों कुकुर होही सरकार, मे नो हों महराज॥ देस ला कतकोझन, […]
सब ले जुन्ना देश हमर धरम अउर संस्कृति के घर राम कृष्ण अवतरिन हइहां सरग बनाइन हमर भुयाँ। सुग्घर सबले छत्तिसगढ़ कौशिल्या माता के घर ओखर सुमरन कर परनान जनम दिहे तैं राजा राम। कलजुग मां जब पाप बढ़िस बेरा उतरिस, रात चढ़िस राजा-परजा दुनो निबल परिन गुलामी के दल दल। बनिया बन आइन अंगरेज […]