tamancha

परमेश्वर के आसन

गांव-गांव पंचइती, खुलगे बांचे खुल जाही। अइसन सबे गांव हर ओकर, भीतर झटकुन आही।। गांव-गांव पंच चुनाही, भले आदमी चुनिहा।… Read More

6 years ago

चरगोड़िया – छत्तीसगढी़ मुक्तक

(1) भइया नवा जमाना आगे । हमरे करनी हमला खागे । चल थाना म रपट लिखाबो हमर मान मरजाद गँवागे… Read More

6 years ago

डॉक्‍टर दानी के बानी

आजकल पढैया लैक मन बर ज़रूरी होगे हवय ट्यूसन, कारकि अब सिक्षा के क्षेत्र मा घलो बढ गेहे कांपिटिसन, हम… Read More

6 years ago

फुदुक-फुदुक भई फुदुक-फुदुक….

(छत्तीसगढ़ी भाषा के इस बालगीत को मैं अपनी मझली बेटी के लिए तब लिखा था, जब वह करीब एक वर्ष… Read More

9 years ago

मे हा चालीस बछर से रोज कोरट जावत हवव

आज करिया कोट के महिमा ला बतावत हववं, मे हा चालीस बछर से रोज कोरट जावत हववं, ए दारिक तोर… Read More

10 years ago