बाबू जगजीवनराम अऊ सामाजिक समरसता : 5 अप्रैल जन्म-दिवस

हिन्दू समाज के निर्धन अऊ वंचित वर्ग के जऊन मनखे मन ह उपेक्षा सहिके घलोक अपन मनोबल ऊंचा रखिन, ओमां बिहार के चन्दवा गांव म पांच अप्रैल, 1906 के दिन जनमे बाबू जगजीवनराम के नाम उल्लेखनीय हे। ऊंखर पिता श्री शोभीराम ह कुछ मतभेद के सेती सेना के नौकरी छोड़ दे रहिस। उंखर माता श्रीमती बसन्ती देवी ह गरीबी के बीच घलव अपन लइका मन ल स्वाभिमान ले जीना सिखाइस।
लइकई म बाबू जगजीवनराम के स्‍कूल म हिन्दू, मुसलमान अउ दलित हिन्दु मन बर पानी के अलग-अलग घड़ा रखे जात रहिस। बाबू ह अपन संगवारी मन के संग मिलके दलित मन वाले घड़ा मन ल फोर दीन। प्रबन्ध समिति के पूछे म उमन कहिन कि ओला हिन्दु मन म बंटवारा स्वीकार नइ हे। ये बात ले प्रबंधन के आंखीं तको उघरिस अउ एखरे सेती सबो हिन्दु मन बर एकेच घड़ा के व्यवस्था करे गीस। 1925 म ऊंखर स्‍कूल म मदन मोहन मालवीय जी आइन। वो समें म बाबू जगजीवनराम ह स्वागत भाषण दीन, येकर ले प्रभावित होके मालवीय जी ह उमन ल काशी बला लीन।
कासी म घलो छुआछूत उंखर पाछू नइ छोडि़स। नाउ ऊंखर बाल नइ काटय, खाना बनइया ओला जेवन नइ दय। जूता पालिस करइया पालिस नइ करय। अइसन म मालवीय जीच ह उंखर सहारा बनत रहिन। कई पइत त मालवीय जी खुदे ऊंखर जूता पालिस कर देवत रहिन। अइसन वातावरण म बाबू ह अपन विद्यालय अऊ काशी नगर म सामाजिक विषमता मन के विरुद्ध जनजागरण करत रहिस।



1935 म बाबू ह हिन्दू महासभा के अधिवेशन म एक प्रस्ताव पारित कराइस, जेमां मंदिर, तालाब अउ कुआं मन ल सब हिन्दु मन बर समान रूप ले खोले के बात कहे गए रहिस। 1936 म उमन प्रत्यक्ष राजनीति म प्रवेश करिन अऊ 1986 तक सरलग एके सीट ले जीतत रहिन।
गांधी जी के आह्वान म ओ मन कई पइत जेल गइन। अंग्रेज भारत ल हिन्दू, मुसलमान अउ दलित वर्ग के रूप म कई भाग मन म बांटना चाहत रहिन, बाबू जगजीवन राम उही समें ए खतरा के बारे म बताए रहिन। स्वाधीनता के बाद ओ मन सरलग केन्द्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य रहिन। 1967 ले 70 तक खाद्य मंत्री रहत उमन हरित क्रांति के सूत्रपात करिन। जब श्रम मंत्री रहिन तब उमन अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन के अध्यक्ष घलोक रहिन। जब उमन रेलमंत्री रहिन त सबे स्टेशन म मनखे मन ल लोटा ले पानी पिलइया ‘पानी पांडे’ के नियुक्त करे रहिन, ये पद म उमन जादातर वंचित वर्ग के मनखे मन ल रखिन।
1971 म उंखरे रक्षामंत्री रहे के बेरा म पाकिस्तान हारिस अऊ बंगलादेश के निर्माण होइस एमा घलोक उंखर बड़का भूमिका रहिस। 1975 के आपातकाल ले ऊंखर दिल ल बहुत चोट लगिस। चुनाव घोषित होतेच उमन ‘कांग्रेस फार डैमोक्रैसी’ बनाके कांग्रेस के विरुद्ध चुनाव लडि़न। जनता पार्टी के शासन म ओ मन उपप्रधानमंत्री बनिन। छै जुलाई, 1986 के दिन समरस भारत बनाए के इच्छुक बाबू जगजीवन राम जी के देहांत हो गए।

अनुवाद : संजीव तिवारी
(मूल आलेख : नवोत्थान लेख सेवा, हिन्दुस्थान समाचार के भावानुवाद)


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