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गीत: सरद के रात

तैं अँजोर करे चंदा, हीरा मोती के चंदैनी बरे
धरती धोवागे निरमल अगास
खोखमा फूल के होवथे विकास
लानिस संदेस ला डहरचला
आवशथे जीव के जुड़ावन सगा
लुंहगी मारथे सपरिहा, उमड़त हे मन हा उचैनी चढ़े……
खेत के तीर तीर खंजन चराय
कुलकत हे धनमत हांसय लजाय
आसा विचारी के मन होगे रीता
सरग ले गिर परे धरती में सीता
तोला खोजत हे पपिहरा, अइसन निठुर चोला काबर बने…..
चंदा संग जमुना फुगड़ी खेले
झांकत हे मधुबन दरपन देखे
का कहिबे दीदी सुहावन के बात
मोहनी सरदा रितु के रात
मुरली बाजत हे मोहना, नाचत हे रधिया बिधुन होके…..

बद्री विशाल परमानंद
Badri Bisal ke Chhattisgarhi Geet