भक्ति करय भगत के जेन

परिया परगे धनहा डोलि,
जांगर कोन खपाय।
मीठलबरा के पाछू घुमैईया,
ससन भर के खाय।

बांचा मानै येकर मनके,
कुंदरा, महल बन जाय।
मिहनत करैईया भूखे मरय,
करमछड़हा देखव मसमोटाय।

लबारी के दिन बऊराय,
ईमान देखव थरथराय।
पसीना गारे जेन कमाय,
पेट में लात उही ह खाय।

भक्ति करय भगत के जेन,
पावय परसाद दपट के।
खंती माटी कोड़य जेन,
मार खावय सपट के।

विजेंद्र वर्मा अनजान
नगरगाँव (धरसीवां)

विजेंद्र वर्मा अनजान
नगरगाँव(धरसीवां)

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