भोला राम साहूमोर बाई बहुत गोठकहरिन हे!लोरीमय अक्खड़ देहाती अंवअपन बानी अपन गोठबदलत हे मोर राजबिखरत हे मोर परिवारसत के रद्दाचुनई के बेरासुरता लंव का दाई तोर गांव मातय जवान कहाबेमैं अक्खड़ देहाती अंवछत्तीसगढ़ी लोककथा : राजा के मयालोककथा : कउंवा करिया काबर होईसफेर दुकाल आगेअब के गुरुजी