नाचा के सियान : भुलवाराम यादव

भुलवाराम दुर्ग के तीर रिंगनी गांव के अहीर रहिस। भुलवाराम लइकई ले अपन गांव म मालगुजार, गौंटिया मन के गरूवा चरइ अउ गोबर-कोठा के काम करय। जब लइका भुलवा गरूवा चराये बर निकलय त बंसरी संग करमा-ददरिया के गीत गावय अउ सिम-साम देखके बिधुन होके नाचय। भुलवा के नचई अउ गवइ ला देख के नामी पंडवानी गायक पूनाराम निषाद के पिताजी लक्ष्‍मण निषाद अउ नामी गम्‍मतिहा ठाकुरराम के पिताजी गोविन्‍दराम मन ओला खड़े साज नाचा म परी बना के नचवाये लागिन। ओ समय भुलवा के उमर आठ साल के रहिस। बालकपन ले नचकरहीन के रूप म नाचत भुलवाराम बाढ़े उपर ले बड़े परी बन के गम्‍मत म महिला के पाठ तको करे लागिस। भुलवाराम अपन गांव के मंच ले निकल के पहिली पइत मोंहदी गांव के मड़ई म होये नाचा म परी बन के नाचिस त ओला अड़बड़ प्रसंसा मिलिस। एखर पाछू जभे कोनो गांव म नाचा होवय, भुलवाराम ल परी बने बर बलाये जाए लगिस। अउ भुलवा नाचा म रम गे। वो समय भुलवा के खेले गम्‍मत मन म साधु, कोंहड़ा चोर अउ तीजा पोरा नकल ला अड़बड़ पसंद करे जाए। भुलवाराम अपन गांव रिंगनी के नाचा पार्टी के माई नचकहरिन रहिस। भुलवाराम नाचा म पांव म घुघरू बांध के, मूड़ म लोटा बोहे, ददरिया ला जब उंचहा गला ले गावय अउ कनिहा मटका के नाचय त देखइया-सुनइया मन के चिहुर र जाए, सीटी उप्‍पर सीटी परय अउ ताली के लाइ फूटे लागय।
वो समय दाउ मदराजी के रवेली नाच पार्टी अउ मदन निषाद मन के रिंगनी नाचा पार्टी के चारो मूड़ा सोर रहिस। इन दूनों नाचा पार्टी के कार्यक्रम अपन गांव म कराये खातिर नरियर घर-धर के मनखे खड़े रहय। सन् 1955 म दाउ रामचंद्र देशमुख ह पिनकापार गांव के मड़ई म ये दूनो नामी नाचा पार्टी ला एक म जोर दिस, तहां ले रवेली रिंगनी साज एक होगे। मदन, लालू, ठाकुरराम, बाबूदास, परदेसी, रामचरन, शिवदयाल अउ जगमोहन जइसे एक ले बढ़ के एक नाचा के कलाकार म जुरिया गे। दाउ मदराजी के नाचा पार्टी संग हबीब तनवीर के नया थियेटर म घलो काम करिस। नाचा म महिला के रूप म काम करइया भुलवा ह नया थियेटर के मिट्टी के गाड़ी नाटक म पहिली पइत पुरूस के पाठ म आघू आइस। येखरे संग चरनदास चोर म चोर, हिरमा की अमर कहानी म हिरमा के पाठ करिस। हबीब जी के जमादारिन, बहादुर कलारिन, लाला शोहरत राय, आगरा बाजार, मोर नाव दंमाद, देख रहे हैं नैन जइसे कई ठन नाटक म भुलवाराम के पाठ ला सुरता करे जाथे।
छत्‍तीसगढ़ी लोकनाट्य नाचा म भुलवाराम के नाव महिला परी के रूप म काम करइया लोककलाकार के रूप म प्रसिद्ध रहिस। हबीब जी के संग भुलवा ह अपन परी के रूप ले अलग छत्‍तीसगढ़ी भासा के कलाकार के रूप म काम करिन। अपन गांव ला छोड़ के हबीब जी के थियेटर संग जीवन भर नाटक करइया भुलवाराम के नाचा बर योगदान खातिर छत्‍तीसगढ़ सरकार ह एक लाख रूपिया अउ दाउ मदराजी सम्‍मान दीस। अपन गांव ले लेके सात समुंदर पार देस-बिदेस म हमर नाचा के नाम रोसन करइया भुलवाराम ह अस्‍सी बरिस के उमर म सरग सिधार गे।
संजीव तिवारी

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