छत्‍तीसगढ़ के वेलेंटाईन : झिटकू-मिटकी

लोक कथा म कहूँ प्रेमी-प्रेमिका मन के बरनन नइ होही त वो कथा नीरस माने जाथे। छत्तीसगढ़ के मैदानी इलाका मन म जहां लोरिक-चंदा के कथा प्रचलित हे, वइसनहे बस्तर म झिटकू-मिटकी के प्रेम कथा कई बछर ले ग्रामीण परवेश म रचे-बसे हे। पीढ़ी दर पीढ़ी इंकर कथा बस्तर के वादी म गूंजत रहे हे। बस्तरवासी इनला ल धन के देवी-देवता के रूप म कई बछर ले पूजत आवत हें। इंकर मूर्ति मन ल गांव वाले मन अपन देव गुड़ी म बइठारथें, उन्हें इहां अवइया सैलानी मन झिटकू-मिटकी के प्रतिमा…

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पुरुस्कार – जयशंकर प्रसाद

जान-चिन्हार महाराजा – कोसल के महाराजा मंतरी – कोसल के मंतरी मधुलिका – किसान कइना, सिंहमित्र के बेटी अरुन – मगध के राजकुमार सेनापति – कोसल के सेनापति पुरोहित मन, सैनिक मन, जुवती मन, पंखा धुंकोइया, पान धरोइया दिरिस्य: 1 ठान: बारानसी के जुद्ध। मगध अउ कोसल के मांझा मा जुद्ध होवत हावय, कोसल हारे बर होवत हावय, तभे सिंहमित्र हर मगध के सैनिक मला मार भगाथे। कोसल के महाराजा खुस हो जाथें। महाराजा – तैंहर आज मगध के आघू मा कोसल के लाज राख ले सिंहमित्र। सिंहमित्र – सबो…

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जगत गुरू स्वामी विवेकानन्द जी महराज के जीवन्त संदेश, मंत्र औ समझाईस

राजभाषा छत्तीसगढ़ी मा काव्यात्मक प्रवर्तक- आचार्य हर्षवर्धन तिवारी पूर्व कुलपति, अध्यक्ष-ए.एफ.आर.सी., म.प्र. ए सुरता मा के स्वामी जी महराज अपन लईकई के दू साल छत्तीसगढ़ के रायपुर मा बिताईस छत्तीसगढ़ के जंगल के रास्ता ल बैलगाड़ी मा पार करत अपन जीवन के आध्यात्म के सबसे पहली अनुभूति ल पाईस ओकरे सेती ओकर जिन्दगानी के किताब म छत्तीसगढ ल ओकर अध्यात्मिक पैदाईस के जनमभूमि लिखेगे हे। फेर मैं चाईहौं के छत्तीसगढ़ के लइका लोग मन जिंदगानी भर सुरता राखंय ओकर उपदेष उद्गार ल अपन जिंदगानी म अपनाय बर औ सुकता राखे…

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पतंजलि के योग दर्शन, बाल्मिकी मूल रामायण, ईशावास्योपनिषद : अनुवाद

छत्तीसगढी कवित्त मं मुनि पतंजलि के योग दर्शन अउ समझईस बाल्मिकी मूल रामायण रचयिता डॉ हर्षवर्धन तिवारी पूर्व कुलपति प्रकाशक श्री राम-सत्य लोकहित ट्रस्ट ज्ञान परिसर पो.आ. रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर ( छ.ग.), मो. 09977304050 अनुक्रमणिका भाग-एक छत्तीसगढी कवित्त मं मुनि पतंजलि के योग दर्शन अउ समझईस 7-84 भाग-दो बाल्मिकी मूल रामायण 85-104 भाग-तीन ईशावास्योपनिषद 105-110 त्याग का अध्यात्म । जगत गुरू स्वामी विवेकानन्द का आध्यात्मिक खोज तथा मानवता और विश्व धर्म 115–126 परिशिष्ट श्री राम सत्य लोकहित ट्रस्ट की कार्य शृंखला 1996-2014 पतंजलि के योगसूत्र ह आध्यात्म साधना के मंत्र…

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गांधीजी के बानी दैनिन्दिन सोंच बिचार

(छत्तीसगढी राजभासा में ) पूर्व कुलपति आचार्य डॉ. हर्षवर्धन तिवारी, रचयिता मुख्य न्यासी, श्री रामसत्य लोकहित ट्रस्ट ज्ञान परिसर, पो. रविशंकर विश्वविद्यालय, रायपुर छत्तीसगढ मो. 9977304050 प्रकाशक श्री राम सत्य लोकहित ट्रस्ट ज्ञान परिसर पो. रविशंकर विश्व विद्यालय रायपुर छ.ग. मो. 9977304050 मुद्रक महावीर प्रेस गीतानगर, चौबे कालोनी, रायपुर मूल्य : मात्र 240 रुपये समर्पण मोर पिताजी महात्मा गांधी के बिचार औ जिंदगानी से बहुत लगाव रहिस। ओकर जीवन के आदर्श ल ओहा पालन करत रहिस, जीवन भर, औ ओकर जीवन दर्शन के अनुकरन करिन। सोंच बिचार, रहे, सहे मा…

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किसना के लीला : फणीश्वर नाथ रेणु के कहानी नित्य लीला के एकांकी रूपांतरण

जान चिन्हार: सूत्रधार, किसना- योगमाया, जसोदा, नंदराजा, मनसुखा, मनसुखा की दाई राधा, ललिता, जेठा, अनुराधा, सलोना बछवा दिरिस्य: 1 जसोदा के तीर मा राधा, ललिता, जेठा, अनुराधा ठाढ़े हवय, किसना आथे। जसोदा: एकर जवाब दे, ले एमन का कहत हवय? लाज नी आय रे किसना? छिः छिः समझा समझा के मैंहर हार गयेंव। किसना:- गायमला अउ बछवामला साखी देत कइथे- धौली ओ मोर बात सही हावय ना। धौली कोठा ले हुंकारी देथे हूँक-हूँ। सलोना बछवा घलो इच कहथ हवय, सलोना बछवा: हूँक- हू। किसना: सुनत हस दाई, सफ्फा सफ्फा लबारी…

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चिरई चिरगुन (फणीश्वरनाथ रेणु के कहानी आजाद परिन्दे)

जान चिन्हार – हरबोलवा – 10-11 साल के लइका फरजनवा – हरबोलवा के उमर के लइका सुदरसनवा – हरबोलवा के उमर के लइका डफाली – हरबोलवा के उमर के भालू के साही लइका भुजंगी – ठेलावाला हलमान – भाजीवाला करमा – गाड़ीवाला मौसी – हरबोलवा की मौसी हलधर – सुदरसनवा के ददा चार लइका – डफाली के संगीमन चार लइका – सुदरसनवा के संगीमन दिरिस्य: 1 खोर मा भुजंगी अउ हलमान लड़त हवंय, हरबोलवा देखत हवय। भुजंगी – साला तोर बहिनी ला धरों। हलमान – बोल साला, ठड़गी के डउका।…

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छत्तीसगढ़ी भूल भूलैया

समर्पन धमधा के हेडमास्टर पं. भीषमलाल जी मिसिर महराज के सेवा मा :- लवनी तुहंला है भूलभुलैया नींचट प्यारा। लेवा महराजा येला अब स्वीकारा।। भगवान भगत के पूजा फूल के साही। भीलनी भील के कंद मूल के साही।। निरधनी सुदामा के ओ चाउर साही। सबरी के पक्का 2 बोइर साही।। कुछ उना गुना झन हाथ अपन पसारां लेवा महराजा, येला अब स्वीकारा।। जावलपुर, दिनांक 12. 04. 1918 तुहंर दया के भिखारी, शुकलाल प्रसाद पांड़े भूमका ये बात ला सब जानथें कि आदमीमन धरम-करम, नीत-प्रीत, बुद्धू-बिबेक, चतुराई कहां ले कहों, भगवान…

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पान के मेम

जान चिन्हार सूत्रधार, दाई, बप्पा,बिरजू, चंपिया, मखनी फुआ, जंगी,जंगी के पतो, सुनरी, लरेना की बीबी दिरिस्य: 1 बिरजू:- दाई, एकठन सक्करकांदा खान दे ना। दाईः- एक दू थपड़ा मारथे- ले ले सक्कर कांदा अउ कतका लेबे। बिरजू मार खाके अंगना मा ढुलगत हवय, सरीर भर हर धुर्रा ले सनात हवय। दाईः- चंपिया के मुड़ी मा घलो चुड़ैल मंडरात हावय, आधा अंगना धूप रहत गे रिहिस, सहुआइन के दुकान छोवा गुर लाय बर, सो आभी ले नी लहुंॅटे हवय, दीया बाती के बेरा होगिस, आही तो आज लहुंॅट के फेर। बागड़…

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सिरीपंचमी का सगुन

जान चिन्हार सिंघाय कहारः- किसान माधोः- सिंघाय कहार का बेटा जसोदा:- सिंघाय कहार की घरवाली कालू कमार:- एक लोहार कमला:- कालू कमार की घरवाली गंॅजेड़ियाः- बूढ़ा रेलवे मिस्त्री धतुरियाः- जवान रेलवे मिस्त्री कोटवारः- हांॅका लगोइया हरखूः- गांॅव का किसान मनखे 1,2,3,4,5,ः- सभी किसान गांॅजा, बिड़ी, सिगरेट और शराब पीना स्वास्थ्य बर हानिहारक हावय। दिरिस्यः 1 ठौर:- सिंघाय के घर अनमना मन ले सिंघाय आथे, कौंआ बोलथे- कांव कांव सिंघायः- असुभ, असगुन बोली कौंआ के, टेड़गा फाल, टेड़गा भाग। माधोः- ददा आगिस, ददा आगिस, सबले पहिली मोर ददा आगिस, मोर बर…

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