लोक कथा म कहूँ प्रेमी-प्रेमिका मन के बरनन नइ होही त वो कथा नीरस माने जाथे। छत्तीसगढ़ के मैदानी इलाका मन म जहां लोरिक-चंदा के कथा प्रचलित हे, वइसनहे बस्तर म झिटकू-मिटकी के प्रेम कथा कई बछर ले ग्रामीण परवेश म रचे-बसे हे। पीढ़ी दर पीढ़ी इंकर कथा बस्तर के वादी म गूंजत रहे हे। […]
Category: अनुवाद
जान-चिन्हार महाराजा – कोसल के महाराजा मंतरी – कोसल के मंतरी मधुलिका – किसान कइना, सिंहमित्र के बेटी अरुन – मगध के राजकुमार सेनापति – कोसल के सेनापति पुरोहित मन, सैनिक मन, जुवती मन, पंखा धुंकोइया, पान धरोइया दिरिस्य: 1 ठान: बारानसी के जुद्ध। मगध अउ कोसल के मांझा मा जुद्ध होवत हावय, कोसल हारे […]
राजभाषा छत्तीसगढ़ी मा काव्यात्मक प्रवर्तक- आचार्य हर्षवर्धन तिवारी पूर्व कुलपति, अध्यक्ष-ए.एफ.आर.सी., म.प्र. ए सुरता मा के स्वामी जी महराज अपन लईकई के दू साल छत्तीसगढ़ के रायपुर मा बिताईस छत्तीसगढ़ के जंगल के रास्ता ल बैलगाड़ी मा पार करत अपन जीवन के आध्यात्म के सबसे पहली अनुभूति ल पाईस ओकरे सेती ओकर जिन्दगानी के किताब […]
छत्तीसगढी कवित्त मं मुनि पतंजलि के योग दर्शन अउ समझईस बाल्मिकी मूल रामायण रचयिता डॉ हर्षवर्धन तिवारी पूर्व कुलपति प्रकाशक श्री राम-सत्य लोकहित ट्रस्ट ज्ञान परिसर पो.आ. रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर ( छ.ग.), मो. 09977304050 अनुक्रमणिका भाग-एक छत्तीसगढी कवित्त मं मुनि पतंजलि के योग दर्शन अउ समझईस 7-84 भाग-दो बाल्मिकी मूल रामायण 85-104 भाग-तीन ईशावास्योपनिषद 105-110 […]
(छत्तीसगढी राजभासा में ) पूर्व कुलपति आचार्य डॉ. हर्षवर्धन तिवारी, रचयिता मुख्य न्यासी, श्री रामसत्य लोकहित ट्रस्ट ज्ञान परिसर, पो. रविशंकर विश्वविद्यालय, रायपुर छत्तीसगढ मो. 9977304050 प्रकाशक श्री राम सत्य लोकहित ट्रस्ट ज्ञान परिसर पो. रविशंकर विश्व विद्यालय रायपुर छ.ग. मो. 9977304050 मुद्रक महावीर प्रेस गीतानगर, चौबे कालोनी, रायपुर मूल्य : मात्र 240 रुपये समर्पण […]
जान चिन्हार: सूत्रधार, किसना- योगमाया, जसोदा, नंदराजा, मनसुखा, मनसुखा की दाई राधा, ललिता, जेठा, अनुराधा, सलोना बछवा दिरिस्य: 1 जसोदा के तीर मा राधा, ललिता, जेठा, अनुराधा ठाढ़े हवय, किसना आथे। जसोदा: एकर जवाब दे, ले एमन का कहत हवय? लाज नी आय रे किसना? छिः छिः समझा समझा के मैंहर हार गयेंव। किसना:- गायमला […]
जान चिन्हार – हरबोलवा – 10-11 साल के लइका फरजनवा – हरबोलवा के उमर के लइका सुदरसनवा – हरबोलवा के उमर के लइका डफाली – हरबोलवा के उमर के भालू के साही लइका भुजंगी – ठेलावाला हलमान – भाजीवाला करमा – गाड़ीवाला मौसी – हरबोलवा की मौसी हलधर – सुदरसनवा के ददा चार लइका – […]
समर्पन धमधा के हेडमास्टर पं. भीषमलाल जी मिसिर महराज के सेवा मा :- लवनी तुहंला है भूलभुलैया नींचट प्यारा। लेवा महराजा येला अब स्वीकारा।। भगवान भगत के पूजा फूल के साही। भीलनी भील के कंद मूल के साही।। निरधनी सुदामा के ओ चाउर साही। सबरी के पक्का 2 बोइर साही।। कुछ उना गुना झन हाथ […]
जान चिन्हार सूत्रधार, दाई, बप्पा,बिरजू, चंपिया, मखनी फुआ, जंगी,जंगी के पतो, सुनरी, लरेना की बीबी दिरिस्य: 1 बिरजू:- दाई, एकठन सक्करकांदा खान दे ना। दाईः- एक दू थपड़ा मारथे- ले ले सक्कर कांदा अउ कतका लेबे। बिरजू मार खाके अंगना मा ढुलगत हवय, सरीर भर हर धुर्रा ले सनात हवय। दाईः- चंपिया के मुड़ी मा […]
जान चिन्हार सिंघाय कहारः- किसान माधोः- सिंघाय कहार का बेटा जसोदा:- सिंघाय कहार की घरवाली कालू कमार:- एक लोहार कमला:- कालू कमार की घरवाली गंॅजेड़ियाः- बूढ़ा रेलवे मिस्त्री धतुरियाः- जवान रेलवे मिस्त्री कोटवारः- हांॅका लगोइया हरखूः- गांॅव का किसान मनखे 1,2,3,4,5,ः- सभी किसान गांॅजा, बिड़ी, सिगरेट और शराब पीना स्वास्थ्य बर हानिहारक हावय। दिरिस्यः 1 […]