जान चिन्हार: सूत्रधार, सिरचन, बेटा, दाई, नोनी, बड़की भौजी, मंैझली भौजी, काकी, मानू दिरिस्य:1 सूत्रधारः- खेती बारी के समे, गांॅव के किसान सिरचन के गिनती नी करे, लोग ओला बेकार नीही बेगार समझथे, इकरे बर सिरचन ला डोली खेत के बूता करे बर बलाय नी आंय, का होही ओला बलाके? दूसर कमियामन डोली जा के […]
Category: अनुवाद
अंगरेज मन ल हमर देस ले भगाए बर अउ देसवासी मन ल स्वतंत्र कराए बर चले लम्बा संग्राम के बिगुल बजइया पहिली क्रान्तिवीर मंगल पांडे के जनम 30 जनवरी, 1831 के दिन उत्तर प्रदेश के बलिया कोति के गांव नगवा म होय रहिस। कुछ मनखे मन इंकर जनम उत्तर प्रदेश के साकेत जिला के गांव […]
हिन्दू समाज के निर्धन अऊ वंचित वर्ग के जऊन मनखे मन ह उपेक्षा सहिके घलोक अपन मनोबल ऊंचा रखिन, ओमां बिहार के चन्दवा गांव म पांच अप्रैल, 1906 के दिन जनमे बाबू जगजीवनराम के नाम उल्लेखनीय हे। ऊंखर पिता श्री शोभीराम ह कुछ मतभेद के सेती सेना के नौकरी छोड़ दे रहिस। उंखर माता श्रीमती […]
हल्कू हा आके अपन सुवारी ले कहीस- “सहना हा आए हे,लान जउन रुपिया राखे हन, वोला दे दँव। कइसनो करके ए घेंच तो छुटय।” मुन्नी बाहरत रहीस। पाछू लहुट के बोलिस- तीन रुपिया भर तो हावय, एहू ला दे देबे ता कमरा कहाँ ले आही? माँघ-पूस के रातखार मा कइसे कटही? वोला कही दे, फसल […]
जब मेहा अपन चार बछर के बेटा रामसरूप ला बने तउल के देखथंव, त जान परथे के वोमे भोलापन अउ सुनदरई नई रहि गे, जउन दू बछर पहिली रिहिस हे। वो अइसे लागथे जाना-माना अपने गुस्सेलहा बानी म लाल आंखी मोला देखावत हे। वोकर ये हालत ला देख के मोर करेजा कांप जथे अउ मोला […]
तैंहर उचिजाबे गा, सुरुज किरन छरियाए हे। अब नइये बेरा हर, सुत के पहाये के अब नइये बेरा अंटियाये के अब नइये बेरा हर ऊँघाये सुरताये के आये हे बेरा हर कमाये के आँखी धो लेबे गा, चिरगुन मन पाँखी फरकाये हे। झन तैं बिलमबे उतारे बर नांगर ला जऊने खोंचाये हे काँड मन मां […]
जय जय हो धरती मइया। तोरेच बल में गरजत हावन खात खेलत बहिनी भइया। जय जय हो धरती मइया ॥ बजुर बरोबर बडे़ माथ में छाती अडा़ हिमालय गंगा जमुना निरमल धारा, सबके जीव जुडावय विन्ध्य सतपुडा बने करधनी कनिहा गजब सुहावय महानदी कृष्णा कावेरी गोदावरी मन भावय ब्रम्हपुत्र नर्मदा ताप्ती ठंव ठंव नांव जगावय […]
जब मेहा अपन चार बछर के बेटा रामसरूप ला बने तउल के देखथंव, त जान परथे के वोमे भोलापन अउ सुनदरई नई रहि गे, जउन दू बछर पहिली रिहिस हे। वो अइसे लागथे जाना-माना अपने गुस्सेलहा बानी म लाल आंखी मोला देखावत हे। वोकर ये हालत ला देख के मोर करेजा कांप जथे अउ मोला अपन […]
डॉ.हर्षवर्धन तिवारी के अनुवाद करे छत्तीसगढ़ी कवित्त म मुनि पतंजलि के योग दर्शन औ समझाईस सेव करें और आफलाईन पढ़ें
दूध म दनगारा परगे…
(पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी की हिन्दी कविता *दूध में दरार पड़ गई* का छत्तीसगढ़ी भावानुवाद : सुशील भोले) लहू कइसे सादा होगे भेद म अभेद खो गे बंटगें शहीद, गीत कटगे करेजा म कटार धंसगे दूध म दनगारा परगे… मयारू माटी म येला पढ़व इंहा..