ऊँचई

(पूर्व प्रधानमंत्री, भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविता *ऊँचाई* का छत्तीसगढ़ी भावानुवाद) ऊँच पहार म पेंड़ नइ जामय नार नइ लामय न कांदी-कुसा बाढय़। जमथे त सिरिफ बरफ जेन कफन कस सादा अउ मुरदा कस जुड़ होथे हांसत-खुखुलावत नरवा जेकर रूप धरे अपन भाग ऊपर बूंद-बूंद रोथे। अइसन ऊँचई जेकर पारस पानी ल पखरा कर दय अइसन ऊँचई जेकर दरस हीन भाव भर दय गर-माला के अधिकारी ये चढ़इया बर नेवता ये वोकर ऊपर धजा गडिय़ाये जा सकथे। फेर कोनो चिरई उहां खोंधरा नइ छा सकय न कोनो रस्ता…

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चॉकलेट के इतिहास

चॉकलेट बनाय के मुख्य जिनिस कोको के खोज 2000 वर्ष पूर्व होइस। अइसे माने जाथे कि जब 1528 म स्पेन के राजा हर मेक्सिको म विजय हासिल करके कब्जा कर लीस त ओ हर अपन साथ भारी मात्रा म कोको के बीजा लेके अइस तभे स्पेन के रसोई मन म चॉकलेट ड्रिंक प्रसिद्व होगे। फेर चॉकलेट हर पहली बिकट तीखा रहीस हवय, अमेरिका के मन एमा बहुत अकन मसाला मिलावय। एला मीठा बनाय के श्रेय यूरोप ल जाथे जेन हर एमा ले मिरचा निकाल के दूध अउ शक्कर के प्रयोग…

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51 शक्तिपीठ म सबले बडे़ ज्वाला जी

ये पवित्र स्थान के मान्यता 51 पीठ म सबले जादा हवय। लोगन के मान्यता के अनुसार भगवती सती के जीभ ल श्री हरि हर अपन चक्र से काट के धौलगिरि पहाड़ म गिरइस हवय अउ महादेव हर खुद भैरव बाबा के रूप म एमेर विराजमान हवय। देवी के दर्शन करे बर करोड़ो श्रद्वालु मनखे इहाॅं पहुचथें। इहाॅं नौ जगहा म दिव्य योति बिना ईंधन के स्वयं जलत रहिथे जेखर कारण से देवी ल वाला जी कहिके पुकारे जाथे। श्री ज्वाला जी मंदिर के निर्माण के विषय म एक ठन दंत…

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बीमारी ले दुरिहा रहे के सरल उपाय (संकलित)

सबले पहिली बिहिनिया उठके 2 से 3 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए अउ पानी ल हमेशा बइठ के पीना चाहिए। पानी ल पीयत समय चाय बरोबर एकक घूंट पीना चाहिए एखर से पाचन क्रिया मजबूत हाथे। एखर बाद दूसर काम पेट साफ करे के हवय। पानी पीये के बाद शौचालय जाना चाहिए। पेट के सही ढंग से साफ नई होय ले 108 प्रकार के बीमारी होय के संभावना रहिथे। खाय के कम से कम डेड़ घंटा बाद पानी पीना चाहिये। अउ का – का कर सकत हन 1- खाय के…

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हम जम्मो हरामजादा आन… (डॉ.मुकेश कुमार के हिन्दी कविता के अनुवाद)

पुरखा मन के किरिया खा के कहत हंव के हम जम्मो झन हरामजादा आन आर्य, शक, हूण, मंगोल, मुगल, फिरंगी द्रविड़, आदिवासी, गिरिजन, सुर-असुर कोन जनि काखर काखर रकत बोहावत हावय हमर नस मन म उही संघरा रकत ले संचारित होवत हावय हमर काया हॉं हमन जम्मो बेर्रा आन पंच तत्व मन ल गवाही मान के कहत हंव- के हम जम्मो हरामजादा आन! गंगा, जमुना, ब्रम्हपुत्र, कबेरी ले लेके वोल्गा, नील, दलजा, फरात अउ थेम्स तक अनगिनत नदियन के पानी हलोर मारथे हमर नारी मन म ओखरे मन ले बने…

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अनुवाद

1. कोशिश करईया मन के कभु हार नई होवय (मूल रचना – ‘‘कोशिश करने वालो की हार नही होती‘‘ मूल रचनाकार-श्री हरिवंशराय बच्चन ) लहरा ले डरराये  म डोंगा पार नई होवय, कोशिश करईया मन के कभु हार नई होवय । नान्हे नान्हे चिटीमन जब दाना लेके चलते, एक बार ल कोन कहिस घेरी घेरी गिरते तभो सम्हलते । मन चंगा त कठौती म गंगा, मन के जिते जित हे मन के हारे हार, मन कहू हरियर हे तौ का गिरना अऊ का चढना कोन करथे परवाह । कइसनो होय…

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अनुवाद : टँगिया (The Axe)

मूल कहानी: The Axe कथाकार: R. K. Narayan अनुवादक : कुबेर गाँव डहर ले नहकत खानी एक झन भटरी ह बचपन म वेलन के बारे म भविसवानी करे रिहिस कि ये ह एक दिन कई एक्कड़ के बगीचा के बीच म बने तिमंजिला मकान म रही। तब ये बात ऊपर छोटकुन वेलन के चारों मुड़ा सकलाय हर आदमी ह वोकर खिल्ली उड़ाय रिहिस। कोप्पल म वेलन के परिवार के समान गरीब अभागा दूसर अउ कोई नइ रिहिस। वोकर बाप ह घर के सब चीजबस ल गहना धर डरे रिहिस अउ…

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अनुवाद : आशा के किरण (The Silver Lining)

मूल कहानी: The Silver Lining कथाकार : Chaman Nahal अनुवादक : कुबेर मनखे के मन के भाव के थाह लगा पाना अउ अनुमान लगा पाना बड़ा कठिन काम होथे। सदा हाँसत- मुस्कात रहने वाला, हरियर मन वाले आदमी के हिरदे भीतर भारी दुख हो सकथे, जेकर कीरा ह भीतरे-भीतरे वोला खावत रहिथे अउ जबकि मनहूस, जड़बुद्धि दिखने वाला आदमी ह भीतर ले सुखी अउ परम आनंदित हो सकथे। मनुष्य के जीवन ह बड़ अद्भुत होथे, छिन भर के सुख-शांति ह मन ल जीत लेथे। अभी-अभी पहाड़ म एक ठन निजी…

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अनुवाद : पतंगसाज (The Kite Maker)

मूल कहानी: The Kite Maker कथाकार: RUSKIN BOND (रस्किन बांड) अनुवादक – कुबेर एक बहुत जुन्ना मस्जिद, जउन ह खण्डहर हो गे रिहिस, नमाजी मन जिहाँ नमाज पढ़ना छोड़ देय रिहिन हे, के दीवाल के दर्रा म एक ठन बर रूख जाम गे रिहिस। ये गली म, जउन ह गली राम नाथ के नाम से प्रसिद्ध रिहिस, खाली इही एके ठन पेड़ रिहिस, अउ येकरे डंगाली म छोटकू, अली के पतंग ह टंगा गे रिहिस। लइका ह, खाली पांव अउ सिरिफ चिरहा कुरता भर पहिरे, अपन इही संकुरी गली के…

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अनुवाद : रेड चीफ के फिरौती (The Ransom Of Red Chief)

मूल कहानी – The Ransom Of Red Chief कथाकार – O Henry अनुवादक – कुबेर बिचार बने हे, बने जिनिस सरीख। फेर जब तक मंय ह कुछू नइ कहंव, तंय मोर अगोरा कर। अगवा करे के ये बिचार ह जब हमर दिमाग म फूटिस, मंय अउ बिल ड्रिस्कल, अलाबामा के, खाल्हे दक्षिण भाग म रेहेन। बिल के अनुसार, जइसे कि पीछू वो ह प्रगट करिस – ’’छिन भर बर हमर मन म भूत सवार हो गे रिहिस हे।’’ फेर जउन ल बाद म हम कभू नइ पायेन। उहाँ खाल्हे डहर…

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