कविता

शिव शंकर

शिव शंकर ला मान लव , महिमा एकर जान लव । सबके दुख ला टार थे , जेहा येला मान… Read More

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कविता: कुल्हड़ म चाय

जबले फैसन के जमाना के धुंध लगिस हे कसम से चाय के सुवारद ह बिगडिस हे अब डिजिटल होगे रे… Read More

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कविता : वा रे मनखे

वा रे मनखे रूख रई नदिया नरवा सबो ल खा डरे रूपिया- पैसा धन-दोगानी, चांदी-सोना सबो ल पा डरे जीव-जंतु,… Read More

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उत्‍ती के बेरा

कविता, झन ले ये गाँव के नाव, ठलहा बर गोठ, हद करथे बिलई, बिजली, चटकारा, बस्तरिहा, अंतस के पीरा, संस्कृति, तोला छत्तीसगढी, आथे!, फेसन, कतका सुग्घर बिदा, गणेश मढाओ योजना, बेटा के बलवा, बाई… Read More

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हरेली तिहार आवत हे

हरियर-हरियर खेत खार, सुग्घर अब लहरावत हे। किसान के मन मा खुशी छागे, अब हरेली तिहार आवत हे।। खेत खार… Read More

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तयं काबर रिसाये रे बादर

तयं काबर रिसाये रे बादर तरसत हे हरियाली सूखत हे धरती, अब नई दिखे कमरा,खुमरी, बरसाती I नदियाँ, नरवा, तरिया… Read More

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सावन के झूला

सावन के झूला झूले मा , अब्बड़ मजा आवत हे। सबो संगवारी मिलके जी ,सावन के गीत गावत हे।। हंसी… Read More

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सुरता

गिनती, पहाड़ा, सियाही, दवात पट्टी, पेंसल, घंटी के अवाज स्कूल के पराथना, तांत के झोला दलिया, बोरिंग सुरता हे मोला।… Read More

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कुछ तो बनव

आज अंधियारी म बितगे भले, त अवइया उज्जर कल बनव। सांगर मोंगर देहें पांव हे, त कोनो निरबल के बल… Read More

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कपड़ा

कतका सुघ्घर दिखथे वोहा अहा! नान-नान कपड़ा मं। पूरा कपड़ा मं, अउ कतका सुघ्घर दिखतीस? अहा!! केजवा राम साहू ‘तेजनाथ‘… Read More

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