कविता

पितर पाख म साहित्यिक पुरखा के सुरता – कोदूराम दलित

मुड़ी हलावय टेटका, अपन टेटकी संग जइसन देखय समय ला, तइसन बदलय रंग तइसन बदलय रंग, बचाय अपन वो चोला… Read More

8 years ago

साहित्यिक पुरखा के सुरता – कपिलनाथ मिश्र

दुलहा हर तो दुलहिन पाइस बाम्हन पाइस टक्का सबै बराती बरा सोंहारी समधी धक्कम धक्का । नाऊ बजनिया दोऊ झगरै… Read More

8 years ago

पितर पाख मा साहित्यिक पुरखा के सुरता : भगवती चरण सेन

नेरुवा दिही छांड के बेपारी मन आइन, छत्तीसगढ़ के गांव गांव मं सब्बो झन छाईन लडब्द् परेवा असन अपन बंस… Read More

8 years ago

पितर पाख मा पुरखा मन के सुरता : हरि ठाकुर

व्‍हाट्स एप ग्रुप साहित्‍यकार में श्री अरूण कुमार निगम भईया ह पितर पाख मा पुरखा मन के सुरता कड़ी म… Read More

8 years ago

तीजा के अगोरा

बेटी माई मनके आरूग तिहार ताय तीजा । मईके के मया अऊ दुलार ताय तीजा । पाख लगे हे सपना… Read More

8 years ago

झंडा फहराबो

हमर देश होईस अजाद, आजे के दिन, आवव संगी झूमे नाचे बर जाबो। जगा जगा झंडा फहराबो, अऊ आरूग तिहार… Read More

8 years ago

सवनाही : रामेश्वर शर्मा

संपूर्ण खण्‍ड काव्‍य सेव करें और आफलाईन पढ़ें Read More

8 years ago

काबर बेटी मार दे जाथे

कतको सबा,लता,तीजन ह मउत के घाट उतार दे जाथे देखन घलो नइ पावय दुनिया,गरभे म उनला मार दे जाथे बेटा-बेटी… Read More

9 years ago

ओहा मनखे नोहय

जेन ह दुख म रोवय नइ मया के फसल बोवय नइ मुड़ ल कभू नवोवय नइ मन के मइल ल… Read More

9 years ago