दोस्ती म हमर पराण रिहिस हे, जुन्ना अब संगवारी होगे। तोर बिहाव के बाद संगी, मोर जिनगी ह अंधियारी होगे।… Read More
गाँव में सरपंच घर ओकर बड़े लईका के बिहाव में तेल हरदी चढ़त रहीस हे, सगा सोदर सब आय घर… Read More
आमा के चटनी ह अब्बड़ मिठाथे, दू कंऊरा भात ह जादा खवाथे । काँचा काँचा आमा ल लोढहा म कुचरथे,… Read More
पुतरी पुतरा के बिहाव होवत हे, आशीष दे बर आहू जी। भेजत हाँवव नेवता सब ला, लाड़ू खा के जाहू… Read More
मड़वा गड़ाबो अँगना मा, सुग्घर छाबो हरियर डारा। नेवता देबो बिहाव के, गाँव सहर आरा पारा।। सुग्घर लगन हावे अकती… Read More
जब ले आहे मैगी संगी, कुछु नइ सुहावत हे। भात बासी ला छोड़ के, मैगी ला सब खावत हे।। दू… Read More
रुकना नही हे थमना नही हे पांव के भोमरा ल देखना नही है मन्ज़िल अगोरत हे रस्ता तोर सुरताना नही… Read More