कविता

लाला जगदलपुरी के कबिता

जब ले तैं सपना से आयेमोला कुछु सुहावत नइयेसंगी तैं ह अतेक सुहायेपुन्नी चंदा ल देखेंवतोरे मुह अस गोल गढन… Read More

13 years ago

कबिता : होरी के बजे नंगारा हे

होरी के फाग म चैतू शूंभयफिरतू के बजे नंगारा हे।भांग-मंद मा मंगलू नाचे-झपयमंगतिन के मया भरे बियारा हे।बुधू ह उड़ावय… Read More

13 years ago

माटी के कुरिया

सुख कब पाहू दु घड़ी -दू मंजिला महल भीतर म।थीरा लवं का दाई थोकुन,माटी के कुरिया अउ खदर म।।जाड़ म… Read More

13 years ago

कबिता : हाबे संसो मोला

हाबे संसो मोला, होगे संसो मोला ये देश के।भाई-भाई भासा बर लड़थे, बिपदा गहरावथे महाकलेस के॥मंदिर-मस्जिद के झगरा अलग,सुलगावत रहिथे… Read More

13 years ago

छत्तीसगढ़ के राजिम धाम

बड़ भाग मानी मानुष तन।नंदिया तरिया कहत हे बन॥जग म होगे कुंभ नाम।मोर छत्तीसगढ़ के राजिमधाम॥ऋषि, मुनि के दरसन पाए।दूर-दूर… Read More

13 years ago

कबिता : मोर अंगना मा बसंत आगे ना

आगे बसंत आगे ना, मोर अंगना मां बसंत आगे नापियर-पियर आमा मउरे, लाली-लाली परसा फूलेमन मंदिर महकन लागे ना, आगे… Read More

13 years ago

कबिता : बसंत गीत

मउरे आमा गमके अमरइयाझेंगुरा गावथे छंद।गुन गुनावत भंवरा रेचुहके गुरतुर मकरंद॥प्रकृति म समागे हे, ममहई सुगंध।आगे संगी येदे आगे रे,… Read More

13 years ago

जाड़ मा हाथ पांव चरका फाटथे

सुर सुर सुर पुरवईया चले, रूख राई हालत हे।पूस के महीना कथरी, कमरा काम नई आवते॥सुटुर-सुटुर हवा मा पुटुर-पुटुर पोटा… Read More

13 years ago

हमर घर गाय नइए

हमर घर गाय नइए, अब्बड़ बडा बाय होगे।द्वापर मं काहयं, लेवना-लेवनाकलजुग मं कहिथें, देवना-देवनाकोठा म गाय नहीं, अलविदा, टाटा बाय… Read More

13 years ago

मध्यान्ह भोजन अउ गांव के कुकुर

इसकुल म मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम चलत हेलइका मन के संगे-संग गांव के कुकुर घलो पलत हें।मंझनिया जइसे ही गुरुजीखाना खाय… Read More

13 years ago