कविता

कलेवा

ये ह, छत्तीसगढ़ के कलेवा आय। तिहार बार के रोटी-पीठा आय॥ अइरसा, अंगाकर रोटी, इडहर, कढ़ी। करी लाड़ू, कोचईपाग, कोचईपीठा,… Read More

13 years ago

आगे-आगे बसंत के महीना

आगे-आगे बसंत के महीनाझूमो नाचो रे संगी जहुंरिया।बइसाख-जेठ म धरे झांझ-झोलापानी बिना तरसे सबके चोला।डाहर चलईया हाखोजत हे छैहा।धुर्रा के… Read More

13 years ago

पुरखा के थाथी

पुरखा के थाथी म तुंहर, अंचरा में गठिया के रखोमर जाहू का ले जाहू गोठिया-बतिया के रखोदेखा न ददा तोर… Read More

13 years ago

आथे गोरसी के सुरता

पागा बांधे बुढ़गा बबापहिरे पछहत्ती चिथरा कुरता।पियत चोंगी तापे खनीयाआथे गोरसी के सुरता॥नंदागे गोरसी नंदागे चोंगी,मन होगे बिमार तन होगे… Read More

13 years ago

गोरसी

अघन पूस के जाड़ तन ल कंपाथे।गोरसी के आंच ह तभे सुहाथे॥हवा ह डोलय सुरूर-सुरूर।पतई पाना कांपय फुरूर-फुरूर॥रुस-रुस लागय पातर… Read More

13 years ago

भले मनखे ले जग म सुख-सांति जरूर आही

बिगडे समाज अउ राजनीति ल कउन सुधारही?अपन मं सब उलझे हें त जग सुधारे कउन आही?आधा रात के बारा बजे… Read More

13 years ago

आगे दिन जाड़ के

डोकरी दाई बइठे बिहना ले, गोरसी ल पोटार केझांपी ले निकार कमरा डेढ़ी, आगे दिन जाड़ केखटिया ले उठई ह,… Read More

13 years ago

सतनाम सार हे

झन काहा तोर मोर,मतलभिया संसार हे।भज ले रे सतनाम।इहां सतनाम सार हे॥झन बिसराव ठीहा ल,जब तक हवे सांस ह।सत के… Read More

13 years ago

डॉक्टर अउ कवि

मैं हरखराम पेंदरिया 'देहाती' गेयेंव डॉक्टर के पासडाक्टर मोला देख के अड़बड़ परसन्न होगेसोचिसशगुन बढ़िया दिखते हे आजरिटायर्ड हेड मास्टर… Read More

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जाड़ के घाम

सुरूर-सुरूर हवा चलय, कांपय हाड़ चाम।अब्बड़ सुहाथे संगी, जाड़ के घाम॥गोरसी के आगी ह रतिहा के हे संगी।ओढ़ना-जठना, गरीबहा बर… Read More

13 years ago