आगे-आगे बसंत के महीनाझूमो नाचो रे संगी जहुंरिया।बइसाख-जेठ म धरे झांझ-झोलापानी बिना तरसे सबके चोला।डाहर चलईया हाखोजत हे छैहा।धुर्रा के… Read More
पुरखा के थाथी म तुंहर, अंचरा में गठिया के रखोमर जाहू का ले जाहू गोठिया-बतिया के रखोदेखा न ददा तोर… Read More
पागा बांधे बुढ़गा बबापहिरे पछहत्ती चिथरा कुरता।पियत चोंगी तापे खनीयाआथे गोरसी के सुरता॥नंदागे गोरसी नंदागे चोंगी,मन होगे बिमार तन होगे… Read More
बिगडे समाज अउ राजनीति ल कउन सुधारही?अपन मं सब उलझे हें त जग सुधारे कउन आही?आधा रात के बारा बजे… Read More
डोकरी दाई बइठे बिहना ले, गोरसी ल पोटार केझांपी ले निकार कमरा डेढ़ी, आगे दिन जाड़ केखटिया ले उठई ह,… Read More
झन काहा तोर मोर,मतलभिया संसार हे।भज ले रे सतनाम।इहां सतनाम सार हे॥झन बिसराव ठीहा ल,जब तक हवे सांस ह।सत के… Read More
मैं हरखराम पेंदरिया 'देहाती' गेयेंव डॉक्टर के पासडाक्टर मोला देख के अड़बड़ परसन्न होगेसोचिसशगुन बढ़िया दिखते हे आजरिटायर्ड हेड मास्टर… Read More
सुरूर-सुरूर हवा चलय, कांपय हाड़ चाम।अब्बड़ सुहाथे संगी, जाड़ के घाम॥गोरसी के आगी ह रतिहा के हे संगी।ओढ़ना-जठना, गरीबहा बर… Read More