कविता

बाबागिरी

सावधान, बचके रहहू गा, साधू भेस म सैतान सिरी।चन्दन, दाढ़ी, जोगी बाना, चलावत हावयं बाबागिरी॥बड़े-बड़े आसरम हे इंखर।चेली-चेली, कुकरम हे… Read More

13 years ago

एकलव्य

हर जुग म होवत हे जनमएकलव्य के।होवत हे परछो गउ सुभाव केकटावत हे अंगठाएकलव्य के।हर जुग महर जुग म रूढ़ीवादीजात-पात… Read More

13 years ago

जतन बर करन दीपदान

अइसन कुछु संगी रे, जतन हम करन।हरियर-हरियर परियावरन हम करन॥बजबजावत परदूषन ले जिनगी के रद्दा,दूरिहा जिनगानी ले, घुटन हमन करन।डार… Read More

13 years ago

माटी के दियना

माटी के दियना, करथे अंजोर।मया बांध रे, पिरितिया डोर॥जगमग-जगमग लागे देवारी, लीपे-पोते घर, अंगना, दुवारीखलखला के हांसे रे, सोनहा धान… Read More

13 years ago

धर ले कुदारी

धर ले रे कुदारी गा किसानआज डिपरा ला रखन के डबरा पाट देबो रे ।ऊंच-नीच के भेद ला मिटाएच्च बर… Read More

13 years ago

नवा साल आगे रे

नवा साल आगे रे, अपन जिनगी ल गढ़।मुड़ के पाछू मत देख, आघू-आघू बढ़॥पहागे रात करिया,आगे सोनहा फजर।सुरूज उत्ती म… Read More

13 years ago

कबिता: न ते हारे न में जीतेंव

सनीमा वालाबरसात मा'आग ही आग' लगाथेजड़कला मा'हिमालय के गोद मा बिठाथेगर्मी मा''बिन बादल बरसात' ल कराथेटोकबे त कहिथेऐमा तोर ददा… Read More

13 years ago

पूस के जाड़

पुरवाही चलय सुरूर-सुरूर।रूख के पाना डोलय फुरूर-फुरूर॥हाथ गोड़ चंगुरगे, कांपत हे जमो परानी।ठिठुरगे बदन, चाम हाड़।वाह रे! पूस के जाड़॥गोरसी… Read More

13 years ago

एकलव्य

हर जुग म होवत हे जनम एकलव्य के। होवत हे परछो गउ सुभाव के कटावत हे अंगठा एकलव्य के। हर… Read More

13 years ago

मया के दीया

घर कुरिया, चारों मुड़ा होही अंजोर फुलवारी कस दिखही महाटी अऊ खोर जुर मिलके पिरित के रंग सजाबो रे आगे… Read More

13 years ago