कविता

सुरता हर आथे तोर

सपना सही तैं आये चल देहे मोला छोड़,सुरता हर आथे तोर,सुरता हर आथे तोर।आके तीर म पूछे तैंहा, सीट हावै… Read More

16 years ago

छत्तीसगढ़ महतारी

अंचरा म फूले हे गोंदा माथा म चमकथे चंदा बगरे चंदैनी हे लुगरा म तोर तहीं हर छत्तीसगढ़ महतारी अस… Read More

16 years ago

चेरिया का रानी बन जाहय

आदरणीय सुकवि बुधराम यादव संपादक "गुरतुर गोठ", वरिष्ठ साहित्कार बिलासपुर छत्तीसगढ़ के प्रकाशनाधीन छत्तीसगढ़ कबिता संग्रह " मोर गाँव कहाँ… Read More

16 years ago

मोर गाँव

बने रहै मोर बनी भूती ह, बनै रहै मोर गाँव,बने रहै मोर खपरा छानही,बर पीपर के छाँव।बड़े बिहनिहा बासत कुकरा,… Read More

16 years ago

मधुमास

मन धरती के झुमरत हे आज रे चंदा चंदैनी के मड़वा छवाय बांधे मउर खड़े मधुमास रे मन धरती के झुमरत हे आज… Read More

16 years ago

तोर दुआरी

सुरता के दियना, बारेच रहिबे,रस्ता जोहत तैं ढाढेंच रहिबे।रइही घपटे अंधियारी के रात,निरखत आहूं तभो तोर दुआरी।मैं बनके हिमगिरी,तैं पर्वत… Read More

16 years ago

बिहान होगे रे

बैरी-बैरी मन मितान होगे रे हमर देश म बिहान होगे रे तीन रंग के धजा तिरंगा धरे हे भारत मइया… Read More

16 years ago

छत्तीसगढ़िया

छत्तीसगढ के रहइया,कहिथें छत्तीसगढ़िया,मोर नीक मीठ बोली, जनम के मैं सिधवा।छत्तीसगढ के रहइया,कहिथें छत्तीसगढ़िया। कोर कपट ह का चीज ये,नइ जानौ… Read More

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छत्‍तीसगढी कुण्‍डली (कबिता) : कोदूराम दलित

छत्‍तीसगढ पैदा करय, अडबड चांउर दारहवय लोग मन इंहा के, सिधवा अउ उदारसिशवा अउ उदार, हवैं दिन रात कमाथेंदे दूसर… Read More

16 years ago

छत्‍तीसगढी कुण्‍डली (कबिता) : कोदूराम दलित

छत्‍तीसगढ पैदा करय, अडबड चांउर दारहवय लोग मन इंहा के, सिधवा अउ उदारसिशवा अउ उदार, हवैं दिन रात कमाथेंदे दूसर… Read More

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