चुनई के बेरा मे आफर के बरसात हे।

चुनई के बेरा मे आफर के बरसात हे। बोरे बासी खवईया बर भात ताते तात हे। बच्छर भर ले राज करे बर दू दिन हमला भरमाही। अभी माथ नवाही पाछू मेछराही अउ टुंहू देखाही। अभी मंदरस घोरे बोली फेर पाछू लात हे। चुनई के बेरा मे आफर के बरसात हे।। आनी-बानी के सपना देखाही,जम्मोझन रिझाहीं। नून-चटनी के खवईया ल सोंहारी तसमही म दंताही। चुनाव के झरती म उहीच पेट अउ पाट हे। चुनई के बेरा मे आफर के बरसात हे। लेठवा अउ अलाल मन के दिन बादरआही। रंग-बिरंगा गमछाधारी मन…

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आज नारी हर महान होगे

बेटी बचाव, बेटी पढ़ाव के नारा हर, सिरतोन होगे, आज नारी हर महान होगे. आज नारी हर महान होगे……. मुधरहा ले भिनसरहा, भिनसरहा ले अंजोर होगे, हमर छत्तीसगढ़िया बहनी मन, सबले बढ़िया होगे. आज नारी हर महान होगे… घर, गंवई -गांव म नवा अंजोर होगे, पढ़ई-लिखई म बहु-बेटी मन सबले आगू होगे. आज नारी हर महान होगे….. नारी-परानी के कलम हर, आज हथियार होगे, शिक्षा के हथियार ले, सही नियाव होगे. आज नारी हर महान होगे…. इही जुग अब नारी सशस्क्तिकरन के होगे, घर, समाज अउ देस म, आज नारी…

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डेंगू के कारण कोन

एक दिन बस्ती के मच्छर एकजघा जुरियाँइन। भनन-भनन बड़ करीन ,बिक्कट गोठियाँइन। कहत हें:- मनखे मन बड़ हुशियारी झाड़थें। गलती अपन करँय अउ बिल हमर नाँव मा फाड़थें। करके ढेराढारी, कचरा फेकथें ऐती तेती।। रंग-रंग के बिमारी सँचरथे ओखरे सेती। जघा जघा गंदगी के ढेरी खुदे लगात हें। अपने करनी कर बेमारी ला बलात हें। अपन घर के कचरा डारँय दूसर के मुँहाटी मा। तहाँ ले झगरा माते भारी लात अउ लाठी मा। अतका बुध नइ के सकेल कचरा ला जला दँय। नहीं ते पालिका कचरा गाड़ी ला बला लँय।…

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नंदागे

नंदागे आते सुघ्घर गांव नंदागे बर पिपर के छाव नंदागे माया पिरित ला सब भूला के सुनता के मोर गांव नंदागे भउरा बाटी गुल्ली डंडा घर घुधिया के खेल नंदागे किसानी के दवरी नंदागे अउ नंदागे कलारी जान लेवा मोटर-गाडी नंदागे बइला गाडी आमा के अथान नंदागे नंदागे अमली के लाटा अंजोर करइया चिमनी नदागे अउ नंदागे कंडिल पाव के पन्ही नंदागे आगे हाबे सेंडिल देहे के अंग रक्खा नदागे अउ नंदागे धोती बरी के बनइया नंदागे होगे येति ओति किसान के खुमरी नंदागे अउ नंदागे पगडी घर के चुल्हा…

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अक्षर दीया जलाबोन

अक्षर दीया जलाबोन संगी, निरक्षरता के अंधियार मिटाबोन । ज्ञान के मशाल ल धरके , गाँव गली तक जाबोन । सबझन पढ़बोन अउ पढ़ाबोन , सब कोई होही साक्षर । नइ राहे तब ये जग मा , भंइस बराबर काला अक्षर । नोनी पढ़ही बाबू पढही , पढ़ही बबलू के दाई । डोकरा पढ़ही डोकरी पढ़ही , अउ पढ़ही मनटोरा दाई । आ गे हावे भादो महीना , गणेश देखे ला जाबोन । गणेश जी हा खुश होही , जब ज्ञान के दीया जलाबोन । महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया (कवर्धा)…

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मुसुवा के पीरा

मुसुवा कहय अपन प्रिय स्वामी गनेश ले। कब मिलही मुक्ति प्रभू कलजुग के कलेश ले। बारा हाल होही अब गियारा दिन के तिहार मा। बइठाही घुरुवा कचरा नाली के तीरतार मा। बिकट बस्साही छपके रबो मुँह नाक ला। माटी मिलाही प्रभू हमर दूनों के धाक ला। आनी-बानी के गाना ला डी.जे मा बजाही। जोरदरहा अवाज सुन-सुन हमर माथा पिराही। जवनहा लइकामन रंगे रहीं भक्ति के रंग। पंडाल भीतरी पीही खाहीं, करहीं उतलंग। सेवा के नाँव मा मेवा ये मन पोठ खाहीं। नइ बाँचही तहाँ ले मोर नाम बद्दी धराहीं। गणेश…

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दुखिया मन के दुःख हरैया

दुखिया मन के दुःख हरैया, मंगल करैया जय हो तोर श्री गणेशा जेन आथे तोर दुवरिया, मन के मुराद हो जाथे पूरा नैइ जानो मय पूजा -पाठ, नैइ जानो मय लन लबारी बिनती हावे मोर गणेशा, दुःख हरलो मोर आज सजे हे तोर भुवना जय जय श्री गणेशा जय हो तोर गणराज चमकत हे तोर दुवरिया झुमत नाचत हे भगत अउ दुखिया अज्ञानी अउ ज्ञानीजन पूजत हे सुमरत हे तोला सबके बिगड़ी बनाथस मंगल करैया जय हो तोर श्री गणेशा लक्ष्मी नारायण लहरे साहिल कोसीर सारंगगढ़ रायगढ़

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गणेश चतुर्थी पर कविता

जय जय हो गजानन तोर जय हो,प्रभु दुनिया ला देखे अपन आए कर कभु। तोर अगोरा पुरा साल भर तो करथन, संग हमर हमेशा रईह जुगाड़ कर प्रभु।। बस भादो के का दस दिन हे, तोर इँहा आए के निश्चित बेरा। कतको रोज पूजे तोला इँहा हे, अब तो डार ले सदादिन डेरा।। पहिली पूजा हरदम तोरे करथन, तहाँ फेर दूसर देवन ला भजथन। अब देख हमेशा हमर हे करलाई, प्रभु इँहा हम रोज दु:ख पावथन।। नौ दिन सेवा तोर हम करथन, अऊ तो दसवां दिन बोहवाथन जी। खुरमी ठेठरी…

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तोर बोली कोयली जइसन हे

तोर बोली कोयली जइसन हे। रेंगना डिट्टो मोना जइसन हे। का बताँव मोर मयारू, तोर आँखी मिरगीन जइसन हे। बेनी गथाय करिया करिया, दिखत घटा बादर जइसन हे। तोर गाल हा मोर जोहि, सिरतो गुलगुल भजिया जइसन हे। तोर ओंठ के लाली हा गोरी, लाल गुलाब जइसन हे। तोर कतका करँव बखान जँवारा, रूप हा राधा रानी जइसन हे।। युवराज वर्मा “बरगड़िया” साजा बेमेतरा 9131340315

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हमर छत्तीसगढ़ राज म आनी-बानी के तिहार हे

हमर छत्तीसगढ़ राज म आनी-बानी के तिहार हे, जेखर से हमर देस राज के पहिचान हे। इहां हरेली के हरियर लुगरा छत्तीसगढ़ महतारी के सान हे, भोजली अवईया बने फसल के चिन्हारी हे, खमरछट म दाई के अपन लईका के परती ममता, त्याग हे तीजा ले महतारी मन के मान हे, पोरा म पसुधन के सम्मान हे, हमर छत्तीसगढ़ म आनी-बानी के तिहार हे, जेखर से हमर देस राज के पहिचान हे। दूबराज, बिसनुभोग अन्न्पूरना दाई के सुघ्घर मम्हई हे, करमा, सुआ, राऊत नाचा हमनके अभिमान हे, बांस गीत, पण्डवानी,…

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