दाई के पीरा

बड़े बिहनिया सुत उठ के, लीपय अँगना दाई । खोर गली ला बाहरत हावय , ओकर हे करलाई । आये हावय बहू दू झन , काम बूता नइ करय । चाहा ला बनावय नहीं, पानी तक नइ भरय । आठ बजे तक सुत के उठथे, मेकअप रहिथे भारी । काम बूता ला करय नहीं, करथे सास के चारी । घिलर घिलर के दाई करथे, सबो बूता काम । का दुख ला बतावँव सँगी , माटी हे बदनाम । महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया (कवर्धा ) छत्तीसगढ़ 8602407353 mahendradewanganmati@gmail.com

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तीजा लेवाय बर आही

एसो आषाढ़ के पहिली तीजा लेवाय बर तोर भाई आही दाई के मया ददा के दया सुरता के सुध लमाही मोटर फटफटी म चघाके तोर लेनहार तोला लेजाही जोर के जोरन कपड़ा लत्ता मोटरा खसखस ले भराही तीजा मानके तुरते आबे घर दुवार सुन्ना पर जाही आरो खबर लेवत रहिबे “माया” तोर सुरता अब्बड़ सताही तोर बिना घर सुन्ना रहि मैंय कईसे दिन ल पहाहुं नयना तरसहि तोला देखे बर हिरदय ल अपन मनाहुं!! सोनु नेताम “माया” रुद्री नवागांव धमतरी

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मोर गाँव के सुरता आथे

कांसा के थारी असन तरिया डबरी, सुघ्घर रूख राई, पीपर,बर अऊ बंभरी I खेत खार हरियर हरियर लहलहाय, मेड़ में बईठ कमिया ददरिया गाय I बारी बखरी में नार ह घपटे, कुंदरू,करेला,तरोई झाके सपटके I चारों मुड़ा हे मंदिर देवालय, बीच बस्ती में महमाया ह दमकय I होत बिहनिया गरवा ढीलाय, कुआं पार मोटियारी सकलाय I हंसी ठिठोली करत पानी भरय, कांवर बोहे राऊत मचमच चलय I घाम बिहनिया ले छानही में बईठे, बम्हनीन कुदन रौऊनिया तापय डटके I कोन जनी कऊवा ह का गोठियाय, कान ल लेगे कीके नऊवा…

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सेल्फी ले ले

नवा चलागन चले है संगी, जेकर चरित्तर काला बतांव, कोनो बेरा अउ कोनो जघा मैं सेल्फी ले बर नइ भुलांव। छानी में बइठे करीया कउवा के संग में, कचरा फेके के झऊहा के संग में, दारू भट्ठी में पउवा के संग में, चाहे कोनो पकड़ के भले ठठाय, फेर सेल्फी लेय बर नइ भुलाय। चाहे घुमत राहंव मेहा जंगल झाड़ी, चाहे गे राहंव मेहा आंगन बाड़ी, चाहे चलत राहय रेलगाड़ी, मैं पटरी में कट के भले मर जांव, फेर सेल्फी लेय बर नइ भुलांव। तुरते जन्मे टूरा के संग में,…

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हमर छत्तीसगढ़

सुआ दरिया तोता मैना हमर छत्तीसगढ़ के पहचान आय मीठ बोली कोयली के तरिया नरवा हमर मान जंगल पसु पक्छी हमर मितान सुग्घर बोली हमर छत्तीसगढ़ी भाखा मया के रस घोलत हे संगी संगवारी के इंहा हे चिन्हारी गाँव म जिनगी सुघ्घर बीतत हे नीम पीपर के छाँव हे अमरैया म किसिम किसिम के पक्छी गाँव के चौपाल गाँव के सियान कतेक सुग्घर हे गाँव विचार मेला ठेला बाजार हाट गाँव के पहचान हमर छत्तीसगढ़ हमर पहचान लक्ष्मी नारायण लहरे “साहिल” गाँव कोसीर जिला रायगढ़ छत्तीसगढ़

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सोनू नेताम के कविता

स्वतंत्रता दिवस अमर रहे १५अगस्त तिहार आगे तिरंगा झंड़ा ल लहराबो नवा नवा युनीफाम पहिर दउंड़ के हम ईस्कुल जाबो आजादी दिन ल सुरता करके स्वतंत्रता दिबस मनाबो सत्य अहिंसा मार्गदरसक महात्मा गांधी ल सोरियाबो राष्ट्रगीत अउ राष्ट्रगान झँड़ा लहराके गाबो महात्मा सुभास जवाहर भारत माता के जय बोलाबो गीत कविता अउ भाषण मचंस्थ सभा म सुनाबो नन्हे मन्ने हम बीर सिपाही नाटक के नकल देखाबो बिहानिया ले आरा पारा मोहल्ला प्रभात फेरी जुलुस निकालबो झंड़ा उंचा रहय हमारा नारा लगावत जाबो गुरु गुरुजन अउ परमुख सियान एक जगा सब…

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राखी के तिहार

सावन के पावन महीना में, आइस राखी तिहार । राखी के बंधन में हावय , भाई बहन के प्यार । सजे हावय दुकान में, आनी बानी के राखी । कोन ला लेवँव कोन ला छोंड़व , नाचत हावय आँखी । छांट छांट के बहिनी मन , राखी ला लेवत हे । किसम किसम के मिठाई ले के , पइसा ला देवत हे । भैया के कलाई में, राखी ला बांधत हे । रक्षा करे के वचन, भाई से मांगत हे । भाई बहिन के पवित्र प्रेम, सबले हावय प्यारा ।…

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छत्तीसगढ़िया जागव जी

छत्तीसगढ़िया बघवा मन काबर सियान होगेव, नवा नवा गीदड़ मन ल देखव जवान होगे। भुकर भुकर के खात किंजरत, बाहिरी हरहा मन आके ईहाँ पहलवान होगे। सेठ साहूकार मन फुन्नागे, अजगर कस ठेकेदार मोटागे। अंगरा आगी में किसान भुन्जात, दाई ल नोनी के पोसई जीव के काल होगे। मुरहा के अब दिन बिसरगे, करमछड़हा उछरत जात हे। मिहनत करैईया अंगाकर कस सेकाय, कोलिहा गद्दी में बईठ चिल्लात हे। छत्तीसगढ़िया अब तो जागव जी, अपनेच हित ल साधव जी। टांग खिचैईया बईरी ल, धरव,मुड़भसरा गिरावव जी। विजेंद्र वर्मा अनजान नगरगाँव(धरसीवां) मो.…

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सोमदत्त यादव के कविता

गांव-गांव म जनमानस के आँखी खोलईया आँधी के जरुरत हे, आज फेर मोर देश ल महात्मा गाँधी के जरुरत हे । कोन कइथे,आज हम आजाद हन ? हम तो भीतर-बाहिर सफा कोती बर्बाद हन आज फिर से हमला आजादी के जरुरत हे ,, आज फेर मोर देश ल महात्मा गाँधी के जरुरत हे ।। भीतर म नक्सली,बाहिर म आतंकी देश म आज दहशत हे, सोन चिरईया हरियर भुइयां लाल लहू ले लतपथ हे। सत्य ,अहिंसा,दया,प्रेम इत्यादि के जरुरत हे,, आज फेर मोर देश ल महात्मा गाँधी के जरुरत हे ।।…

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सावन के बरखा

झिमिर झिमिर बरसत हे सावन झड़ी के फुहार ओईरछा छानी चुहन लागे रेला बोहागे धारे धार झुमरत हे रुख पाना डारा उबुक चुबुक होगे खेत खार बईला संग बियासी फंदाय लेंजहा चालय बनिहार मघन होके मंजुर नाचय छांए करिया बादर गरर गरर बिजुरी चमके किसनहा जोतय नांगर बेंगवा नरियाय टरर टरर बरखा गीत गावयं कमरा खुमरी मोरा ओड़े खेत नींदे ल जावयं सावन के बरखा बरसत हे बनिहारिन के पैईरी सुनावयं सनन सनन पुरवाई चलय करमा ददरिया गावयं!! मयारुक छत्तीसगढ़िया सोनु नेताम “माया” रुद्री नवागांव “धमतरी

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