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कविता

मुसुवा के मूँड़ पीरा

मुसुवा कहय अपन प्रिय स्वामी गनेश ले। कब मिलही मुक्ति प्रभु कलजुग के कलेश ले।। बारा हाल होही अब गियारा दिन के तिहार मा, बइठाही घुरुवा कचरा नाली के तीरतार मा, बिकट बस्साही छपके रबो मुँह नाक ला। माटी मिलाही प्रभु हमर दूनों के धाक ला। आनी-बानी के गाना ला डी.जे. मा बजाही। जोरदरहा अवाज […]

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कविता गीत

धनी धरमदास के सात छत्तीसगढ़ी पद

(1) पिया बिन मोहे नीक न लागै गाँव। चलत चलत मोर चरन दुखित भे, आँखिन पर गै धूर। आगे चलौ पंथ नहिं सूझै, पाछे परै न पॉव। ससुरे जावँ पिया नहिं चीन्है, नैहर जात लजावै। इहाँ मोर गाँव, उहाँ मोर पाही, बीच अमरपुर धाम ॥ धरमदास बिनवे कर जोरी, तहाँ गाँव ना ठाँव ॥ (2) […]

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Dr Baldev कविता किताब कोठी

छत्तीसगढ़ी कविता के सौ साल: संपादक-डॉ. बलदेव

हमर तो ए मेर उद्देस्य एकेच ठन आय के छत्तीसगढ़ के सब्बोच अंचल के कवि मन ले थोरथार परिचय हो जाए। ए संकलन खातिर छत्तीसगढ़ी के चारों मुड़ा म संपर्क करे गय रहिस अठ कवि मन के कविता मन ल एक जगह रखे के प्रयत्न करे गइस | बहुत झिन कवि मन के रचना जेमन […]

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Sargujiha कविता

सरगुजिहा व्‍यंग्‍य कबिता: लचारी

जीना दूभर होइस, अटकिस खाली मांस है। बेटा अठवीं फेल, बहुरिया सुनथों बी.ए. पास है।। झाडू-पोंछा बेटा करथे, घर कर भरथे पानी। पढ़ल-लिखल मन अइसन होथें, हम भुच्चड़ का जानी। दाई-दाउ मन पखना लागें, देवता ओकर सास है। बेटा अठवीं फेल, बहुरिया सुनथों बी.ए. पास है।। जबले घरे बहुरिया आइस, टी.बी. ला नइ छोड़े। ओकर […]

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कविता

कविता : बुढ़ापा

एके झन होगे जिनगी रिता गे रेंगे बर सफर ह कठिन होगे जिये बर अउ मया बर जीव ललचथे निरबल देह गोड़ लड़खड़ाते आंखी म अपन मन बर असीस देवथे हमर बुजुर्ग मन जेला बेकार अउ बोझ समझेंन एक ठन कोनहा ल उंखर घर बना देन सिरतोन म बुढ़वा होना बोझ हरे घर परिवार बर […]

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कविता

लोटा धरके आने वाला इहां टेकाथें बंगला

लोटा धरके आने वाला इहां टेकाथें बंगला। जांगर टोर कमाने वाला है कंगला के कंगला। देखत आवत हन शासन के शोसन के रंग ढंग ला। राहत मा भुलवारत रहिथे छत्तीसगढ़ के मनला। हमरे भुंइया ला लूटत हें, खनथें हमर खनिज ला। भरथे अपन तिजोरी, हरथें हमर अमोल बनिज ला। चोरा चोरा के हवै ढोहारत छत्तीसगढ़ […]

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कविता

तीजा तिहार

रद्दा जोहत हे बहिनी मन, हमरो लेवइया आवत होही। मोटरा मा धरके ठेठरी खुरमी, तीजा के रोटी लावत होही।। भाई आही तीजा लेगे बर, पारा भर मा रोटी बाँटबोन। सब ला बताबो आरा पारा, हम तो अब तीजा जाबोन।। घुम-घुम के पारा परोस में, करू भात ला खाबोन। उपास रहिबो पति उमर बर, सुग्घर आसिस […]

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कविता

तीजा पोरा

तीजा पोरा के दिन ह आगे , सबो बहिनी सकलावत हे। भीतरी में खुसर के संगी , ठेठरी खुरमी बनावत हे।। अब्बड़ दिन म मिले हन कहिके, हास हास के गोठियावत हे। संगी साथी सबो झन,  अपन अपन किस्सा सुनावत हे।। भाई बहिनी सबो मिलके , घुमे के प्लान बनावत हे। पिक्चर देखे ला जाबो […]

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कविता

सुमिरव तोर जवानी ल

पहिली सुमिरव मोर घर के मइयां, माथ नवावव धन धन मोर भुइयां I नदियाँ, नरवा, तरिया ल सुमिरव, मैना के गुरतुर बोली हे I मिश्री कस तोर हँसी ठिठोली ल, महर महर माहकत निक बोली हे I डीह,डोगरी,पहार ल सुमिरव, गावव करमा ददरिया I सुवा,पंथी सन ताल मिलालव, जुर मिर के सबो खरतरिहा I जंगल […]

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कविता

बरखा रानी

बहुत दिन ले नइ आए हस, काबर मॅुह फुलाए हस? ओ बरखा रानी! तोला कइसे मनावौंव? चीला चढ़ावौंव, धन भोलेनाथ मं जल चढ़ावौंव, गॉव के देवी-देवता मेर गोहरावौंव, धन कागज मं करोड़ों पेड़ लगावौंव। ओ बरखा रानी……? मॅुह फारे धरती, कलपत बिरवा, अल्लावत धान, सोरियावतन नदिया-नरवा, कल्लावत किसान… देख,का ल देखावौंव? ओ बरखा रानी…..? मैं […]