मैं माटी अंव छत्तीसगढ़ के, बीर नरायन बीर जनेंव। कखरो बर मैं चटनी बासी, कखरो सोंहारी खीर बनेंव।। कतको लांघन भूखन ल मोर अंचरा मा ढांके हंव। अन्न ल खाके गारी दिन्हे, उहू ल छाती मा राखे हंव।। लुटत हे अब बैरी मन हा, जौन पहुना बनके आए रिहिन। झपट के आज मालिक बनगे, जौन मांग के रोटी,खाए रिहिन।। उठव दुलरवा इही बेरा हे, अपन अधिकार नंगाए बर। भीर कछोरा रंन मा कूदव, क्रान्ति के दीया जलाए बर।। आंसू पोंछव महानदी के, लाल रकत, मुरमी म पटावत हे। नाश करव…
Read MoreCategory: कविता
वाह रे रूपया तै महान होगे
जम्मो भागे तोर पाछु मे, सब तोरे गुन ल गावै, जावस तै जेती जेती, सब तोरे पाछु आवै, तोर आय ले बने बने सिधवा घलो बईमान होगे, वाह रे रूपया तै महान होगे. दुनीया पुजा तोर करे, घर घर मे तोर वास हे, तोर खातीर जम्मो जियत हे, तोरे भरोसा सांस हे, सबो जघा तहीं छाय हस अब तही ह भगवान होगे, वाह रे रूपया तै महान होगे. तै जदुहा हरस का मोहनी डारे हस, सरी दुनीया ल मोही डारे, जम्मो झन ल मारे हस, जब ले आय हस दुनीया…
Read Moreमहेन्द्र देवांगन माटी के कविता : बसंत बहार
सुघ्घर ममहावत हे आमा के मऊर, जेमे बोले कोयलिया कुहुर कुहुर। गावत हे कोयली अऊ नाचत हे मोर, सुघ्घर बगीचा के फूल देख के ओरे ओर। झूम झूम के गावत हे टूरी मन गाना, गाना के राग में टूरा ल देवत ताना। बच्छर भर होगे देखे नइहों तोला, कहां आथस जाथस बतावस नहीं मोला। कुहू कुहू बोले कोयलिया ह राग में, बइठे हों पिया आही कहिके आस में। बाजत हे नंगाड़ा अऊ गावत हे फाग, आज काकरो मन ह नइहे उदास। बसंती के रंग में रंगे हे सबोझन, गावत हे…
Read Moreमहेश पांडेय “मलंग” के छत्तीसगढ़ी कविता
बुद्धि ला खूंटी मा टांग के, भेड़िया असन धँसा जाथन ढोंगी साधु सन्यासी बर, फिलगा असन झपा जाथन कभू आसाराम के झाँसा म कभू निरमल बाबा के फाँसा म कभू रामपाल के चक्कर म कभू राधे माँ म मोहा जाथन बुद्धि ला खूंटी म टांग के, भेड़िया असन धँसा जाथन ढोंगी साधु सन्यासी बर, फिलगा असन झपा जाथन खुद मया मोह के चिखला में नरी उप्पर ले धँसे रहिथे परवचन कहिथे बड़े बड़े निनानब्वे के चक्कर म फँसे रहिथे इन पाखण्डी के चक्कर म, दूध दोहनी दुनो लुटा जाथन बुद्धि…
Read Moreडोंगरी पहाड़ में
डोंगरी पहाड़ में ओ, अमरईया खार में। दूनों नाच लेबो ओ.. करमा के डाँड़ में।। डोंगरी पहाड़ में…….. आमा के पाना हा डोलत हावै ओ। सुआ अउ मैना हा बोलत हावै ओ।। ए बोलत हावै ओ…. रुखवा के आड़ में। दूनों नाच लेबो ओ…. करमा के डाँड़ में। डोंगरी पहाड़ में………. मया के बिरुवा हा फूलत हावै गा। तोर मोर भेद अब खुलत हावै गा।। ए खुलत हावै गा……फुलवा के मार में। दूनों नाच लेबो गा…..करमा के डाँड़ में। डोंगरी पहाड़ में……… फुले हे परसा ए दे लाली लाली ओ।…
Read Moreजाड़ हा जावत हे
बिहनिया बिहनिया थोर कुन जडावत हे चिरई चिरगुन पंख फडफडावत हे सुरूज अपन कहर दिखावत हे लागत हे जाड हा जावत हे भइया थोरकुन मुचमुचावत हे भउजी घलो लजावत हे अमरइया मा मउर घलो ममहावत हे लागत हे जाड हा जावत हे डोकरा डोकरी ला गुर्ररावत हे भइसी बइठे पगुरावत हे राउत ला भइसी लतियावत हे लागत हे जाड हा जावत हे कोटवार हांका लगावत हे जम्मो ला आंट मा बलावत हे साल स्वेटर ला झन पहिरिहा संगी लागत हे जाड हा जावत हे कोमल यादव मदनपुर खरसिया [responsivevoice_button voice=”Hindi…
Read Moreमांघी पुन्नी के मेला
जगा जगा भराय हाबे, मांघी पुन्नी के मेला । कोनो जावत जोड़ी जांवर, कोनो जावत अकेला । कोनो जावत मोटर गाड़ी, कोनो फटफटी में जावत हे। कोनों रेंगत भसरंग भसरंग, कोनो गाना गावत हे। हाबे संगी अब्बड़ भीड़, होवत रेलम पेला। जगा जगा भराय हाबे, मांघी पुन्नी के मेला। लगे हाबे मीना बजार, होवत खेल तमासा । जगा जगा बेचावत हाबे, मुर्रा लाई बतासा । डोकरी दाई खावत हाबे, बइठ के केरा अकेल्ला। जगा जगा भराय हाबे, मांघी पुन्नी के मेला । महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया [responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये…
Read Moreमेला जाबोन
लगे हाबे जगा जगा मड़ई अऊ मेला। जाबोन हमूमन अऊ देखबो जी ठेला। मंदिर के दरसन बर लाइन लगाबोन । फूल पान बेल पतरी नरियर भेला चढाबोन । झूला ल झूलबोन अऊ अब्बड़ मजा पाबोन । रंग रंग के मिठाई अऊ पेडा ल खाबोन । मुर्रा लाइ अऊ बतासा अब्बड़ बेचाथे । नान नान लइका मन कूद कूद के खाथे। डोकरी दाई ल केरा अऊ अंगूर भाथे। मड़ई मेला जाबे त उहीच ल मंगाथे। मांघी पुन्नी के मेला संगी अब्बड़ मजा आथे। लइका सियान अऊ सबो झन घूमे ल जाथे।…
Read Moreमोर गांव गवा गे
अब कहा पाबे जी? जुन्ना गांव गवां गे। बिहनिया के उगती सूरज, अउ संझा के छाव गवां गे। दाई के सुग्घर चन्दा लोरी, लईका के किलकारी गवां गे। माटी के बने घर कुरिया, अंगना के नाव गवां गे। बखरी म बगरे अमली-आमा के रूख सिरागे। गाय-गरुवा ह किंजरत हे रददा म, अउ कुकुर ह घरो-घर बँधागे। कहा पाबे जी संगी? मोर सुग्घर गांव गवां गे। रुख रई सिरागे, तरिया नदिया ह सुखागे। चिरई-चुरगुन के चहकना, कुकरा के बांग गवां गे। गांव-गांव म बने चउक-चौराहा, घर-कुरिया के चौरा सिरागे। गांव के…
Read Moreमेला घुमाई दे
ए जोड़ीदार,चल मोला मेला घुमाई दे। राजिम धाम के संगम मा, मोला डुबकी लगाई दे।। ए जोड़ीदार…. लगे हावय मोला आसा,महुँ चली देतेंव। महानदी के धारी मा,तन डुबोई लेतेंव।। राजिम लोचन स्वामी ला, पान अउ सुपारी चढ़ाई दे। ए जोड़ीदार….. महादेव कुलेश्वर हा,नदिया बीच पधारे हे। चारों मुड़ा लगे रेला,अपन रूप पसारे हे।। जघा जघा साधू संत बिराजे, अमरित बानी सुनाई दे। ए जोड़ीदार….. पावन भुइयाँ राजिम,एला कइथे प्रयाग। इहाँ पापी तरतहे,दुःख जाथे गा भाग।। चुरुवा भर संगम के जल, महादेव मा चढ़ाई दे। ए जोड़ीदार…… बोधन राम निषाद राज…
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