बीड़ी ला सिपचा ले भइया, मन ला अपन मढ़ा ले भइया. एती – ओती काबर जाना, रद्दा अपन बना ले भइया. दुनिया के सब रीत गजब हे, पैती अपन जमा ले भइया. जतका लंबा चद्दर हावय, ओतका पाँव लमा ले भइया. दुनिया ले एक दिन जाना हे, कर करम,पुन कमा ले भइया. कहे कबीर जग रोनहा हे, ये जग ला हँसा ले भइया. ‘बरस’ के बुध पातर हावय, अंतस अपन जगा ले भइया, बलदाऊ राम साहू 9407650457 (सिपचा ले = जला लो, एती-ओती = इधर-उधर, पैती जमा ले = स्थिति…
Read MoreCategory: कविता
आसो के जाड़
जाड़ म जमगे, माँस-हाड़। आसो बिकट बाढ़े हे जाड़। आँवर-भाँवर मनखे जुरे हे, गली – खोर म भुर्री बार। लादे उपर लादत हे, सेटर कमरा कथरी। तभो ले कपकपा गे, हाड़ -मांस- अतड़ी। जाड़ म घलो,जिया जरगे। मुँहूं ले निकले धूंगिया। तात पानी पियई झलकई, चाहा तीर लोरे सूँघिया। जाड़ जड़े तमाचा; हनियाके। रतिहा- संझा अउ बिहनिया के। दाँत किटकिटाय,गोड़-हाथ कापे, कोन खड़े जाड़ म, तनियाके? बिहना धुँधरा म,सुरुज अरझ गे। कोहरा के रंग म,चोरो-खूंट रचगे। दुरिहा के मनखे,चिन्हाय नही। छंइहा जाड़ म,सुहाय नही। जाड़ ल जीते बर, मनखे करथे…
Read Moreमया करबे त करले अउ आन कविता : सोनु नेताम “माया”
अजब गजब के अब्बड़ नखरा तैंय ह झन देखा न वो अंतस भितर म तोर का हे ओला तैय बने बता न वो काबर तैंय मुहुं फुलाथस तोर बिचार ल सुना न वो रहि रहि के भरमात रथस अपन संग मोला रेंगा न वो मया करे बर कुछु सोचत होबे पांव म पांव मिलाके चल न वो दुसर के देखा देखी म आके तैंय छल कपट झन करे कर न वो झगरा लड़ई म काहि नईहे मया पिरित ह टुटथे वो बईरी जईसन मन ह अईसन बेरा म दिखत रहिथे…
Read Moreओनहारी-सियारी
हरुना धान लुवागे संगी अब ओनहारी घलो उतेरबोन कन्हार माटी चिक्कट चिक्कट ओनहारी बर बिजहा खोजबोन लाख लाखड़ी जिल्लो बिजहा ओनहारी सियारी उपजाबोन धान-पान घलो लुवा टोरागे हांक दुन नांगर जोतबोन पाग आय उतेरा के हरिया हरिया बोबोन अरसी मसुर चना बटर कोढ़ियाके कोढ़ा देबोन खातु कचरा दवा दवई बने पेढ़ाय बर छितबोन कियारी बनाके नाली रेंगाके नहर पानी ल पलोबोन!! मयारुक छत्तीसगढ़िया सोनु नेताम “माया” रुद्री नवागांव धमतरी [responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”]
Read Moreपताल के भाव
हाय रें हाईबिरिड पताल तोरो अलगेच अलग भाव बेचावत हे पचास साठ रुपया मंहगाई बढ़गे कांव-कांव अमीरहा गरीबहा मनखे बर सबो बर हे एक भाव गरीब आदमी कईसे नपाहि बिसावत हे एक पाव बड़े आदमी खा खाके निकालत हे अपन पेट अंडा मुरगी मांस बरोबर भोगा गेहे एकर रेट देसी बिदेसी हाई बिरिड मंहगाई म घटगे वेट मंहगाई के मार ल देखेके सबो के चढ़गेहे चेत!! मयारुक छत्तीसगढ़िया सोनु नेताम “माया” रुद्री नवागांव धमतरी [responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”]
Read Moreशिक्षाकर्मी के पीरा
महिमा गुरू के हावय महान काबर हमन हन अनजान जाड मा संगी झन खावा खीरा कोन समझ हि शिक्षाकर्मी के पीरा एहा जम्मो बुता करे बुता करके बिमार परे नई करय कोनो काम अधुरा कोन समझ हि शिक्षाकर्मी के पीरा आगे चुनाव अउ जनगणना एखर होगे अब तो मरना आदेश ला एहा पुरा करहि ततो एला रोटि मिलहि मंहगाई के जुग मा तडपत हावय भुख मा एला देवा वेतन पुरा कोन समझ हि शिक्षाकर्मी के पीरा वेतन एखर जब मिलहि परिवार के चेहरा तब खिलहि उंट के मुंह मा जइसे…
Read Moreजाड़ ह जनावत हे
चिरई-चिरगुन पेड़ में बइठे,भारी चहचहावत हे। सुरूर-सुरूर हवा चलत,जाड़ ह अब जनावत हे। हसिया धर के सुधा ह,खेत डाहर जावत हे। धान लुवत-लुवत दुलारी,सुघ्घर गाना गावत हे। लू-लू के धान के,करपा ल मढ़ावत हे। सुरूर-सुरूर हवा चलत ,जाड़ ह अब जनावत हे। पैरा डोरी बरत सरवन ,सब झन ल जोहारत हे। गाड़ा -बइला में जोर के सोनू ,भारा ल डोहारत हे धान ल मिंजे खातिर सुनील,मितान ल बलावत हे। सुरूर-सुरूर हवा चलत,जाड़ ह अब जनावत हे।। पानी ल छुबे त ,हाथ ह झिनझिनावत हे। मुहू में डारबे त,दांत ह किनकिनावत…
Read Moreजौँहर करथस ओ
जौँहर करथस ओ तहू ह संझा-बिहनिया । अपन कनिहा ल मटका के। घेरी बेरी तोर कजरेरी नैना ल मोर नैन संग मिला के। दिखथस तै ह टना-टन। अउ मोरे तीर ले किंजरथस। लगा के लाली लिपिस्टिक । होंठ म, धेरी-बेरी संवरथस। पाये हस कुदाये बर इसकुटी ल। अब्बड़ ओमा तै किंजरथस। देख के मोर फटफटी ल, आघु ले मोरेच मेर झपाथस। जौँहर करथस तहू ह ओ, जब अपन कनिहा ल मटकाथस। अनिल कुमार पाली तारबाहर बिलासपुर [responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”]
Read Moreस्वक्छता अभियान
चल मोर संगी चल मोर साथी चलवं स्वक्छता अभियान चलाबो गांव देहात अउ नगर सहर ल निरमल सुघ्घर गांव बनाबो धरके निकलबो बाहरी खरेरा खोर गली ल बाहरत जाबो ओंटा-कोंटा नाली साफ करत जुरमिलके नवा बिहान लाबो साफ सुथरा रखबो गंवई-गांव ल घुरवा गड्डा खनके पटवाबो जब्बर सुघ्घर मोर गंवई-गांव घर के कचरा बाहिर निकलवाबो कचरा नई करन अलिन गलिन गांव सहर ल सपथ देवाबो किरिया खाबो सुघ्घर राखे के जन जागरुकता गांव सहर फैलाबो!! ✍मयारुक छत्तीसगढ़िया सोनु नेताम”माया” रुद्री नवागांव धमतरी [responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”]
Read Moreबड़का तिहार
परिया परगे धनहा भुईयां, दुख के बादर नई भागय रे भैय्या I काय तिहार अऊ काला जोहर, पेरावत हाबन सालों साल I ऐसो के किसानी जीव के काल, परगे संगी जब्बर अकाल I नांगर ओलहा के टूटगे फेर, काय तिहार अऊ काला जोहर I का संझा का बिहनिया, ताकते रहिथन मंझनिया, सुन ले गोठ ग सियनहा I नेता बनके ससुरा सियार होगे न, ऐकरे मनके जुरयई बड़का तिहार होगे न I तीजा पोरा अऊ दसेरा देवारी, जुरियावन सबो खैईरका दुवारी खेलन होरी मा रंग गुलाबी I अईसन कतिहा बोनस तिहार…
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