चलव आज फेर, अरछी परछी, कुरिया दुवारी के ,जाला ल झार लेथन। बाहिर कहूं चिकना गिस होही त, अब अंतस ल बहार लेथन ।। गांधी बबा ल घलो , अब देखाए ल परही। एक दिन बर सफई के, ढोंग लगाए ल परही। अपन घर ल बहार के, परोसी के मुंहाटी म फेंक । तब अहिंसा के पाठ ल, डंंडा अउ तलवार म देख ।। गांधी बबा के तीनो बेंदरा मन घलो, उतर जथे लड़ाई मा। अउ दू अक्टूबर के दिन नारा लगवाही, अपने बढ़ई मा।। बड़े बड़े गांधीवादी मन के,…
Read MoreCategory: कविता
आज के रावन
पिये के एके बहाना टेंसन होगे। दारू अउ बियर ह फेसन होगे।। रावन जइसे पंडित ज्ञानी, अड़बड़ पैग लगावत हे। घर मा जाके मंदोदरी बिचारी ल, डंडा खूब ठठावत हे।। एक रुपया के चाउंर ह पेंशन होगे.. पिये के… नशा होइस त सीता दाई बर घलो नियत ह खराब हो जथे। रिस्ता नता सबले बड़े, मउहा के शराब हो जथे।। नशा मा धुर्रा ह बेसन होगे… पिये के….. दारू बर खेतखार बेचागे, अउ लोटा गिलास बटलोही। मंदोदरी के चिरहा लुगरा, अउ अक्षय ह बासी बर रोही।। मुक्ति बर फांसी डोरी…
Read Moreकन्या पूजन
नौ दिन ले देबी पुजे, जांहू पितर के लोक मा। बेटा के लालच म अंधरा होके, बेटी ल,काबर मारे कोंख मा।। नइ फूले हे फूल तेन ल, कोंखे म ,काबर बोजत हस। पूजा करे बर कन्या मनके, गली गली मा खोजत हस।। भ्रुन हतियारा कन्या पूजे बर, बेटी कहांँ ले पाबे गा। करम मा बोंए बम्हरी काँटा, त आमा कहाँ ले खाबे गा ।। मार के कोंख मा बेटी ल बेटा पाए बर रोवत हे। मांगे मनौती देवी ले आज बेटी के पांव ल धोवत हे।। ✍ राम कुमार साहू…
Read Moreएक एक पेड़ लगाओ
रूख राई ल झन काटो , जिनगी के अधार हरे । एकर बिना जीव जन्तु , अऊ पुरखा हमर नइ तरे । इही पेड़ ह फल देथे , जेला सब झन खाथन । मिलथे बिटामिन शरीर ल , जिनगी के मजा पाथन । सुक्खा लकड़ी बीने बर , जंगल झाड़ी जाथन । थक जाथन जब रेंगत रेंगत, छांव में सुरताथन । सबो पेड़ ह कटा जाही त , कहां ले छांव पाहू । बढ़ जाही परदूसन ह , कहां ले फल ल खाहू । चिरई चिरगुन जीव जंतु मन ,…
Read Moreगांव के सीतला
मोर गांव के सीतला दाई तोर गुन ल गावयं वो तरिया पार म तैंय बिराजे बईगा तोला मनावयं वो अंगना म तोर लाली ध्वजा लहर लहर लहरावयं वो हरियर हरियर बोवाय जंवारा शोभा बरनि न जावय वो श्राद्धा अउ बिस्वास के पुजा मन के मनौति पावयं वो बिनती हमार सुनले दाई सेवा जस तोर गावयं वो फुल पान अउ नरियर केला तोला सब चढ़ावयं वो मोर गांव के सीतला दाई लाली चुनरी ओढ़हावय वो जगमग जगमग दीया बरत हे मईया तोरे भुवन म वो हाथ जोड़ पैईया पखारयं दाई तोरे…
Read Moreसुरता आथे रहि-रहिके
सुरता आथे रहि-रहिके ननपन जिनगानी के, सुरता आथे ना दाई के रांधे सिल-बट्टा के, कुंदरू-करेला चानी के, सुरता आथे ना कहॉं गंवागे वो बेरा ह कका के गोठ, ददा के बानी के, सुरता आथे ना काकी लिपे गोबर पानी, गोकुल लागे अंगना तुलसी चांवरा म दीया बारे, खोपा म धारे देवना चरर-चरर दुहनी बाजे, महर-महर मेहरी सियान दाई दही बिलोए, बबा चुरोए लेवना खाके चटनी-चीला, बीनन सीला वो भर्री के झाला, बतावंव काला वो मया बर मन सुरर जाथे ना बेलन चले, दंउरी चले, माते उलान बांटी जिनगी के गाड़ी…
Read Moreतोर बघवा ल तो ढिल दे दाई
तोर बघवा ल तो ढिल दे दाई, कोलिहा मन हा आवत हे। हमरे दाना पानी खाके, हमी ल गुर्रावत हे..।। जेन ल घर मा सरन देन, हमी ल आँखी देखाथे। बैरी के गुनगान करके, भुईंयां ल गारी सुनाथे जघा जघा आतंक के रुख ल लगावत हे.. तोर बघवा… रोज के उदिम, कुकुर ह, बघवा ल भूंकत हे। बघवा घलो चलाक, बंदूक मा धूंकत हे आजकल कतको कोलिहा कश्मीर म लुकावत हे… तोर बघवा….. हाड़ा चुहकइया कोलिहा, बरमा ले भाग के आवत हे। हमर गांव के कोलिहा मन, उनला परघावत हे।।…
Read Moreभक्ति के जोत जलाले
भक्ति के जोत जलाले संगी , इही ह काम तोर आही । ए जिनगी के काहे ठिकाना, माटी म मिल जाही । चार दिन के चटक चंदैनी , फेर अंधियारी राते । करम धरम तै कर ले संगी , सुख से जिनगी बिताले । तर जाही तोर पापी चोला, नाम तोरे रहि जाही । ए जिनगी के काहे ठिकाना, माटी म मिल जाही । माता बर तै चुनरी फुंदरी, छप्पन भोग लगाये । घर में दाई तरसत हाबे, पानी नइ पीयाये । पहिली पूजा दाई के कर तैं, माता खुस…
Read Moreजागव जी : अपन बुध लगावौ जी
अपन बुध लगावौ जी परबुधिया झन बनौ, अपन बुध लगावौ जी ! मुसुवा नो हौ.गउहा डोमी, अब तो फन उठावौ जी!! सिधवा हन पर भोकवा नही, सब ल बतादौ ! परदेशिया के जुलूम ल, अब ठेंगवा देखादौ !! नेता मंत्री बने बइठे, हावै करिया चोर ह ! अन्न धन ल लुटत हे, परदेशिया निपोर ह !! छत्तीसगढ़िया माटी के रंग अब देखावौ जी… मुसुवा नो हौ………! परबुधिया झन….. पहुना बन आइस, अब घर ल हमर बाँटत हे! हमरे पतरी म खाके, आज गर ल हमर काटत हे !! चोर गरकट्टा…
Read Moreजगमग जगमग दिप जलत हे
जगमग जगमग दिप जलत हे मां के दरस मा प्यारे देखा खाली पांव अब भगत चलत हे पुजा आरती मां दुर्गा के जगह जगह पंडाल सजत हे भगत आज लगा लौ नारा पिरा हमर मिट जाही पुरा ईर्ष्या द्वेष काबर मन मा पले हे जगमग जगमग दिप जले हे रंग बिरंगा कपडा देखा मां के दरस मा आंखि सेंका भक्ति में मन आज रमे हे भगतन मन के तांता लगे हे उत्सव के करलव तइयारी भक्तिमय आज हे दुनिया सारी मां के चरण मा स्वर्ग बसे हे जगह जगह पंडाल…
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