सगा आवत हे

कांव कांव कौआ ह, बरेण्डी मे नरियावत हे | लागथे आज हमर घर कोनो सगा आवत हे|| बोरिंग ले पानी डोहार के दुवार ल छींचत हे | बिहनिया ले दाई ह खोर ल लीपत हे || लकर धकर छुही मे रंधनी ल ओटियावत हे | दार चांउर ल निमार डर बहु संग गोठियावत हे|| चौसेला खवाहूं कहिके चाउंर ल पीसवावत हे साग पान ल लान दे कहिके टूरा ल खिसियावत हे कांव कांव करके कौआ ह बरेण्डी मे नरियावत हे लागथे आज हमर घर कोनो सगा आवत हे महेन्द्र देवांगन”माटी”…

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कोनजनि मनखे आवस कि राक्षत रे काटजू

कई पईत खाय हव अउ आघू घलो खाहुच्चे कहिथस गऊ माँस प्रोटीन आवय एमा परतिबंध गलत हे कहिथस कोंनजनि मनखे आवस कि राक्षत रे मार्कंडेय काटजू का तै भुला गे हस तय कोन देश म रहिथस? सुन एहा वो देश ए जिहा कृष्णा गउ सेवा बर आय हे बृज म जेखर रक्षा बर गोवर्धन ल अंगरी म उठाय हे जेखर गोबर ल परसाद अउ गऊ मूत्र ल अमरीत केहे गेहे अइसन गउ माता ल तै नीच हा तरकारी समजथस? अउ सुन ,जेन गऊ के छाव परे म कतको रोग मिटा…

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जोहत हाबन गा अउ झन भुलाबे

जोहत हाबन गा नई चाहिबे तभो ले, ये सरकार के बोझ ल ढोए बर पड़थे I अऊ ओकर गलती के सजा, हमर सेना ल भुगते ले पड़थे I न्याय होही कईके जोहत रहिबे, अऊ अन्याय ह सफल होथे I सबर के बाण टूटथे त, माटी ह मोर लहुलुहान होथे I ये कईसन राज काज हे भाई, गूंगा ल भैरा से लड़ाथे I अऊ दुनो कोई अन्धाधुन गोली बरसाथे I मेहा जोहत हौ संगवारी, कभू तो शांत होही दुवारी I ऐ लुका छिपी के खेल में, कब रुकही बहत खून के…

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भुईया दाई करत हे गोहार

भुईया दाई करत हे गोहार भुईया दाई करत हे गोहार छोड़ के झन जा भैईया शहर के द्वार ये नदिया-नरवा, ये रूखराई तोला पुकारत हे मोर भाई चिरई-चिरबुन मया के बोली बोलत हे तुरह जवई जा देख जिहाँ खऊलत हे गाँव के बईला-भैईसा, गया-गरूवामन मया के आसु रोवत हे हमर जतन कराईया हा शहर मा जाके बसत हे भुईया दाई ला छोड़के मनखे हा शहर डहर रेगत हे आज के लईकामन खेती-खार ल छोड़त हे पढ़-लिख के शहरिया बाबू बने के सपना देखत हे गाँव ला छोड़ शहर मा जाके…

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रोवत हावय महतारी

सहीद के अपमान के एक ठिन अउ घटना …अंतस बड़ हिलोर मारत हे …करेजा म बड़ पीरा…लहू उबाल मारत हे…कोनो के बेटो, कोनो के भाई, कोनो के जोही, कोनो के मया…सहीद होगे….सहीद होगे मोर संगवारी…मोर संगवारी ल समरपित ये गीत…. रोवत हावय महतारी… रोवत हावय महतारी रोवत अंगना-दुवारी हे तोर बिन अब का हे जीना तोर बिन अब का हे जीना सुन्ना मोर फूलवारी हे सुन्ना मोर फूलवारी हे रोवत हावय महतारी…… बहिनी के राखी रोवय रोवय मया के पाखी जोही बिन जिना कइसे जइसे दिया बिन बाती जइसे दिया…

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मटमटहा टूरा

पढ़ई लिखई में ठिकाना नइहे गली में मटमटावत हे हार्न ल बजा बजा के फटफटी ल कुदावत हे। घेरी बेरी दरपन देख के चुंदी ल संवारत हे आनी बानी के किरीम लगा के चेहरा ल चमकावत हे। सूट बूट पहिन के निकले चसमा ल लगावत हे मुंहू में गुटका दबाके सिगरेट के धुंवा उड़ावत हे। मोबाइल ल कान में लगाके फुसुर फुसुर गोठियावत हे फेसबुक अऊ वाटसप चलाके मने मन मुस्कावत हे। संगी साथी संग घूम घूमके आदत ल बिगाड़त हे फोकट म खाय ल मिलत त बाप के कमई…

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मोर गाँव के किसान

मोर गाँव के किसान भईयाँ बुता-बनिहारी के करईयाँ अपन बनिहारी के खवईयाँ गाँव घर के रहईयाँ मोर गाँव के किसान भईयाँ। बनिहारी करके फसल उगईयाँ दुनियाँ के पालन करईयाँ बईला तोर मितान भईयाँ धान,गेहूँ, चना, उन्हारी के खेती करईयाँ मोर गाँव के किसान भईयाँ। हमर छत्तीसगढ़ महान हमर छत्तीसगढ़ हवय महान जिहाँ देवी देवता हवय विराजमान साधु सन्यासी सबो के हवय मान हमर छत्तीसगढ़ हवय महान। जिहाँ किसान बेटा के हवय पहचान खेती करईयाँ गाँव के किसान जिहाँ हवय तिहार के अलग पहचान हर तिहार के अलग-अलग मिष्ठान हमर छत्तीसगढ़…

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जिनगी के का भरोसा

जिनगी के का भरोसा कब सिरा जही तेल के बढ़ात देरी हे दीया बूता जही दुःख-सुख म सबके काम आ रे मनखे इहि जस तोर चोला ला सफल बनाही झन अकड़बे पइसा के गुमान म कभू समय के लाठी परही त सब बदल जही एखर थपेड़ा ले धनमान होथे कंगला किरपा होहीे त कंगला, धनमान बन जही जुरमिल रईबे त जम्मो दुःख लेबे झेल अजुरहा बर काँकर घलो पहाड़ बन जही अपन बर सब जिथे ,दूसर के घलो सोंच दुःख के नीरस सुरूज हा घलो ढल जहि झन फस चारी-चुगली…

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छत्तीसगढ़ निर्माण

एक नवम्बर 2000 मा छ.ग. अपन अस्तित्व मा अईस हे भारत देश मा अपन पहचान ला बनाईस हे 26 वाँ राज्य के नाम ला अपन छ.ग. हा पइस हे रायपुर शहर ला, अपन राजधानी बनाईस हे। जिला बिलासपुर ला, हाईकोर्ट के दर्जा दिलाईस हे। मूल मंत्र सादगी के साथ, जन सेवा ला अपनईस हे। पहाड़ी मैना ला राजकीय पक्षी बनाइस हे। महानदी के गौरव ला, बढ़ईस हे। वन भैसा ला, राजकीय पशु बनाईस हे। छ.ग. माटी के, गौरव ला बढ़ाईस हे। हेमलाल साहू

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दु आखर स्वास्थ्य के गियान

मोर बताये रस्ता देहु तुमन धियान दु आखर स्वास्थ्य के, बतावत हौ गियान। होही पतला दस्त इलका के, जेकर ले झन घबरा। चुटकी भर नून, चम्मच भर शक्कर एक गिलास पानी घोल बनाव। घेरी-बेरी पानी लइका पिलाव। नई मिले तव पेज अउ नून डारके पिलाव। मोर बाये रस्ता देहु तुमन धियान। दु आखर स्वास्थ्य के, बतावत हौ गियान। दस्त के संग खून हर जाय। आॅखी मुंह खुसरे दिखय, माथा पिराय। रोय आंसू गिरे, मुंह हा सुखाय। रूके पिसाब तव डाक्टर ला दिखाव। मोर बाये रस्ता देहु तुमन धियान। दु आखर…

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