होये बर होथे गाँव गाँवकी रतन अउ नवाधा रमायन!सतसंग भागवत कथा घलवपन बाहिर कुकुर कटायेन*!बात बात म ओरझत फिरथेंबिरथा रार बढ़ाथें!छिन भर म जुग भर के जोरेनता ल होम चढ़ाथें !नेम धेम मनवइया ओकर लेदिन दिन दुरिहावत हें! भले रहंय अड़हा तइहा पनकइ ठन गुन ल पढ़े रहंय!कदर करंय जइसन के तइसनचाल चरित म कढ़े […]
Category: कविता
अब नवा जमाना के लइका सब नवा नवा भर गोठियाथेंहंसिया कुदरी घर खेत कतीजाये खातिर बर ओतियाथें*!बाबू साहेब अउ हवलदारपढ़ लिख के कइ झन होवत हें!कइयों झन के करतूत देखदाई ददा मन रोवत हें!काम कमाई बिन कौड़ी भरसूट बूट झड़कावत हें! अब के लइका मन के होथेऊंच पूर कद काठी।पन नइ जानय अखरा का येअउ […]
पहली संस्करन : 2010मूल्य : एक सौ रुपएकृति स्वामी : बुधराम यादवप्रकाशक : छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति, जिला शाखा, बिलासपुर (छ.ग.)आखर संयोजन : योगेन्द्र कुमार यादवछापाखाना : योगी प्रिन्टर्स, डी-1, सुपरमार्केट, अग्रसेन चौक, बिलासपुर (छ.ग.) मोबाइल : 094252 22806 सम्पर्क : बुधराम यादव `मनोरथ’, एमआईजी-ए/8, चंदेला नगर रिंग रोड नं.2, बिलासपुर (छत्तीसगढ़)मोबाइल : 097551 41676 सुरता […]
पहली संस्करन : 2010मूल्य : एक सौ रुपएकृति स्वामी : बुधराम यादवप्रकाशक : छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति, जिला शाखा, बिलासपुर (छ.ग.)आखर संयोजन : योगेन्द्र कुमार यादवछापाखाना : योगी प्रिन्टर्स, डी-1, सुपरमार्केट, अग्रसेन चौक, बिलासपुर (छ.ग.) मोबाइल : 094252 22806 सम्पर्क : बुधराम यादव `मनोरथ’, एमआईजी-ए/8, चंदेला नगर रिंग रोड नं.2, बिलासपुर (छत्तीसगढ़)मोबाइल : 097551 41676 देखते […]
नवा जमाना अउ समे के परभाव लेगॉंव-गँवई के असल सरूप सिरावत हे,चाल-चरित्तर नंदावत हे अउ गुन ह जनव गंवावत हे।गॉंव दिनों दिन सहर कति सरकत जाथे,ये सबके पीरा ले सरोकार खग-पंछी लमनखे ले जनव जादा हावय।तभे तो ये सगरी कविता कोईली के कलपबअउ मैना के बिलपब ले सराबोर हे। हमर गुरतुर गोठ के प्रबंध संपादक आदरनीय […]
सरग असन मोर गांव
”लोक कला ल बिगाड़ने वाला कलाकार मन छत्तीसगढ़ जइसे सुंदर राज भारी कलंक आए। फेर कहीथें न कि ”टिटही के पेले ले पहार ह नई पेलाय।” अइसने हे हमर लोककला ल बिगाड़-बिगाड़ के देखाने वाला कलाकार मन अपन जिनगी म जादा सफल नई हो सकय। जल्दी नाम दाम कमाए के चककर म जउन कलाकार परही […]
कबिता : चना-बऊटरा-तिवरा होरा
शहरिया बाबू आइच गांव म।खड़ा होइस बर पिपर छांव म॥ दाई ददा के पाव पलगी भुलागे।बड़ शहरिया रंग छागे॥ये माघ के महिना।पहिने सुग्घर गहिना॥गिरा घुमे फिरे अपन खेत म।छत्तीसगढ़िया रेंगना रेस म॥हेमा पुष्पा मन्टोरिया पोरा।भुंजिस चना बऊटरा तिवरा होरा॥देख के शहरी बाबू पूछय।मगन होके मेड़पार म सुतय॥देख डारिस किरपा डोकरा।पूछे काहा ले आय हे छोकरा॥बड़ […]
कबिता : नोनी
पढ़-लिख लिही त राज करही नोनी। नइते जिनगी भर लाज मरही नोनी॥ पढ़ही त बढ़ही आत्म विसवास ओकर दुनिया मा सब्बो काम काज करही नोनी। जिनगी म जब कोनो बिपत आ जाही, लड़े के उदीम करही, बाज बनही नोनी। पढ़ही तभे जानही अपन हक-करतब ल, सुजान बनही, सुग्घर समाज गढ़ही ोनी। परवार, समाज अउ देस […]
कबिता : बसंत रितु आथे!
हासत हे पाना डारा। लहलहात हे बन के चारा॥ कुद कुद बेंदरा खाथे। रितु राज बसंत आथे॥ चिरई चिरगुन चहके लागे। गुलाबी जाड़ अब आगे॥ लहलहात हे खेत खार। रुख राई लगे हे मेड़ पार॥ पेड़ ले अब गिरत हे पान। अइसे हे बसंत रितु के मान॥ टेसु सेम्हरा कस फूल फूलत हे। कोयली ये […]
कइसने नरी – ला टेड़वायगजब पाँखी फड़फड़ाययेती कुकरी कोरकोरायवोती कुकरा नरियायकूद- फांद के चढ़े खपरा- छानीएला हकालौ हो ननदी- देवरानी . कोड़ा देवय ,नइ मानयगजब कचरा बगरायकहूँ गेंगरवा सपरायएके सांहस – मा खायदिन- भर किन्जरे बर जायसँझा कुरिया- मा ओयलायकोन्हों करे नइ इंकरे निगरानीएला हकालौ हो ननदी – देवरानी . रुखराई – मा चढ़ जायकुकरुस […]