गुरतुर हे इहां के भाजी ह , बड़ सुघ्घर हे लागय। अम्मट लागथे अमारी हा, सोनू खा के भागय।। किसम किसम के भाजी पाला , हमर देश मा आथे। सोनू मोनू दूनो भाई , खोज खोज के लाथे।। लाल लाल हे सुघ्घर भाजी , अब्बड़ खून बढाथे । चैतू समारु खाथे रोजे , सेहत अपन बनाथे ।। बड़ उलहाये हवय खेत मा , चना लाखड़ी भाजी । गुरतुर लागय दूनो हा जी , रांधे सुघ्घर भौजी।। आये हवय बोहार भाजी , गली गली चिल्लाये। अमली डार दाई ह रांधे ,…
Read MoreCategory: कविता
नवरात्रि मनाबो
चलो संगी आज नवरात्रि मनाबो , मिलजुल के माता रानी ला सजाबो । विराजे हाबे हमर घर दुर्गा दाई हा—— चलो संगी आज नवरात्रि मनाबो।। फूल पान से सुघ्घर आसन ल सजाबो, लाली लाली चुनरी माता रानी ल ओढाबो। सोलह श्रृंगार करबो दुर्गा माता के—— चलो संगी आज नवरात्रि मनाबो।। मंदिर म सुघ्घर नवजोत जलाबो, माता रानी ला आसन बइठाबो। सेवा गाबो दुर्गा माता के ——– चलो संगी आज नवरात्रि मनाबो।। प्रिया देवांगन “प्रियू” पंडरिया जिला – कबीरधाम (छत्तीसगढ़) Priyadewangan1997@gmail.com
Read Moreअब्बड़ सुहाथे मोला बासी
गरमी म तो गरम भात हा, खाये बर नि भाय। चटनी संग बटकी म बासी, सिरतो गजब सुहाय। हमर राज के विरासत ये, अउ सबला येहा सुहाथे। ये गरमी म तन के संग म, मन हा घलो जुड़ाथे। मिले न बासी ते दिन तो, लागे अब्बड़ उदासी। सिरतो कहत हावौं संगवारी, अब्बड़ सुहाथे मोला बासी।। बइला जोड़ी धरे नगरिहा अपन खेत म जाथे। बासी खा के जुड़ छांव म तन ल अपन जुड़ाथे। किसम किसम के अन्न उगा के, जग के करथे पालन। परिवार अउ जग के खातिर, इखर बितथे…
Read Moreबंदत्त हंव तोर चरन ल
गांव के मोर कुशलाई दाई बिनती करत हंव मैं दाई सुन ले लेते मोरो गुहार ओ दुखिया मन के दुख ल हर लेथे बिपति म तै खड़ा रहिथे अंगना म तै बैठे रहिथे जिनगी सफल हो जाथिस सुघ्घर रहथिस मोरो परिवार ओ तोरे चरन के गुन गांवों ओ ये मोर मैय्या सुन लेथे मोरो अरजी सुना हे मोरो अंगना भर देथे किलकारी ओ जनम के हं मैं ह दुखिया नइये मोरो कोनो सुनैया मया के दे आसीस तै मोर मैय्या नव रात म तोर गुन ल गांहंव ओ दे दे…
Read Moreआगे परब नवरात के
आगे परब नवरात के, मंदिर देवाला सजाबो। सुग्घर लीप पोत के, कलशा मा दियना जलाबो।। ढ़ोल नंगाड़ा बजा के सुग्घर, माता रानी ला परघाबो। मंगल आरती गा के सुग्घर, माता ला आसन बइठाबो।। संझा बिहनिया करके आरती, दाई ला भोग लगाबो। दाई के चरण मा माँथ नवाके, आसीस सुग्घर पाबो।। आठ दिन अउ नवरात ले, दाई के सेवा बजाबो। किसम-किसम के माता सिंगारी, पंचमी के दिन चघाबो।। आठवाँ दिन मा हवन पूजन, मन ला शांत कराबो। नववाँ दिन नवकन्या भोजन, दसवाँ दिन मा आँसू बोहाबो।। गोकुल राम साहू धुरसा-राजिम(घटारानी) जिला-गरियाबंद(छत्तीसगढ़)…
Read Moreआगे चुनई तिहार
तैं मोला वोट भर दे दे, मैं तोला सब देहुँ.. एक माँगबे, चार देहुँ, साल में बहत्तर हजार देहुँ, खाये बर चाउर देहु, पिये बर दारू देहुँ, चौबीस घंटा बिजली देहुँ, फूल माँगबे तितली देहुँ तैं मोला वोट भर दे दे, मैं तोला सब देहुँ, रेंगे बर सड़क देहुँ, जेला कहिबे,हड़क देहुँ, रहे बर घर- दुवारी देहुँ, नरवा,गरूवा,घुरुवा,बारी देहुँ, बोए बर बीजा देहुँ, बिन पढ़े नतीजा देहुँ, भाई अउ भतीजा देहुँ, सारा अउ जीजा देहुँ, तै मोला वोट भर दे दे, मैं तोला सब देहुँ…. धीरज भर धरे रहिबे, पांच…
Read Moreछत्तीसगढ़ के माटी
मोर छत्तीसगढ़ के माटी जी, मोर छत्तीसगढ़ के माटी। हीरा मोती सोना चाँदी…2 छत्तीसगढ़ के माटी… मोर छत्तीसगढ़ के माटी जी, मोर छत्तीसगढ़ के माटी। इही भुइयाँ मा महाप्रभु जी, लिये हावे अँवतारे हे…2 इही भुइयाँ मा लोमश रिसी, आसन अपन लगाये हे…2 बड़े-बड़े हे गियानी धियानी…2 छत्तीसगढ़ के माटी… मोर छत्तीसगढ़ के माटी जी, मोर छत्तीसगढ़ के माटी। इही भुइयाँ मा राजीव लोचन, सउँहत इहाँ बिराजे हे…2 बीच नदिया मा कुलेश्वर बइठे, आसिस अपन बगराये हे…2 जघा जघा बिराजे देंवता धामी…2 छत्तीसगढ़ के माटी… मोर छत्तीसगढ़ के माटी जी,…
Read Moreरूख तरी आवव
रूख तरी आवव, झुलवा झुलव,थोरकुन बइठव, सुसता लेवव, रूख तरी आवव…… घाम गम घरी आगे रुख तरी छइया पावव, जिनगी के आधार रूख तरी आसरा पावव. रूख तरी आवव…… चिरिया-चिरगुन,पंछी-परेवा बर रूख सुघ्घर ठीहा हवय, चलत पुरवइया पवन ले ,जम्मो तन मन ल जुड़ावव. रूख तरी आवव……. चारो अंग कटगे जंगल झारी नागिन रददा रेंगत हवय, बगरगे मकान बहुमंजिला,बड़का कारखाना उठत, धुंगिया ले बचावव. रूख तरी आवव……. झन काटव रूख राई ल ,ग्लोबल वार्मिंग होवत हवय, परियावरन ल जुरमिर, धरती ल नास ले बचावव. रूख तरी आवव………. सीख ले मनखे…
Read Moreदारू छोड़व
झन पी तैं दारू ला संगी , एक दिन तेहा पछताबे। सब कुछ खतम हो जाही ता , काला तेहा खाबे।। छोड़ दे तेहा दारू पीना , आदी तैं हो जाबे। बड़े बड़े बिमारी आही, जान अपन गंवाबे।। लड़ाई झगड़ा छोड़ दे , झन कर तैं अपमान। नारी होथे दुर्गा काली , ओकर कर सम्मान ।। अगर पीबे दारू त , जाही तोर इमान। रखले सबके इज्जत ला , मत बन तैं बेइमान।। प्रिया देवांगन “प्रियू” पंडरिया जिला – कबीरधाम (छत्तीसगढ़) Priyadewangan1997@gmail.com
Read Moreझिरिया के पानी
मयं झिरिया के पानी अवं, भुंइया तरी ले पझरत हवव, मयं झिरिया के पानी अवं, मयं झिरिया के पानी……. अभे घाम घरी आगे, नदिया नरवा तरिया अटागे, नल कूप अउ कुआं सुखागे, खेत खार, जंगल झारी कुम्हलागे, तपत भुईया के छाती नदागे. पाताल भुंइया ले पझरत हवं,मयं झिरिया के पानी अवं, मयं झिरिया के पानी ………… गांव गवई, भीतरी राज के, परान ल बचाय के मोर उदिम हे, करसा ,हवला ,बांगा धरे, आवत जम्मो मोर तीर हे, अमरित हवय मोर पानी रे, कभू नइ सुखावव,मयं झिरिया के पानी अवं, मयं…
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