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आम आदमी

आम आदमी के का औकात हे ओखर बर मंहगाई हे गरीबी, रोग-राई हे दु:ख के दुनिया हे झुग्गी, अऊ कुरिया हे खैराती अस्पताल हे न दवई, न डॉक्टर, खस्ता हाल हे राशन दुकान हे न कोनो समान हे इसकुल हे लईका के भीड़ कोरी खईरखा के नईए गुरुजी पढ़ई नइ हाय हे शुरूजी थाना म, […]

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माटी बन्दना – बंधु राजेश्वर राव खरे

(इस कविता का हिन्दी अनुवाद  आरंभ में देखें) माटी के हमर घर-कुरिया माटी हमर खेती-खार हे जय हो महतारी माटी महतारी तोला हमर जय जोहार हे। माटी मं सबके उपजन-बाढन माटी मं जिनगानी माटी जनम-करम के संगी माटी हावय अनपानी माटी सबके तन-मन के सिंगार हे। माटी के बनथे नंदिया बईला माटी के जांता-पोरा माटी […]

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बसंत म बिरह – छत्तीसगढी कविता आडियो

संगी मन बर बसंत के बेरा मा एक अडबड सुन्दर छत्तीसगढी आडियो इहा लगावत हावव, सुनव अउ बासंती बयार म झुमव. पसन्द आवय त टिपिया के असीस देवव. ये कबिता के हिन्दी भावानुवाद मोर हिन्दी ब्लाग आरंभ ले पढ सकत हव. जानि डारेव रे कोयली तोर काय चाल हे पहिली तैं फुदुक फुदुक कूदे डारा […]

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बात सुनव छत्तीसगढ़ के, बन औषधि के जड़ के

बात सुनव छत्तीसगढ़ के बन औषधी के जड़ के  ‘बसदेवा धुन’ कबि – हेमंत वैष्‍णव, संपादक बालगुडी छत्‍तीसगढ़  बात सुनव छत्तीसगढ़ के बन औषधि के जड़ के             बात सुनव 1. जड़ कांदा फल फूल अउ डार    बीज छाल अउ पाना म उपचार     बात सुनव    औषधि […]

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तन मन होगय चंगा

छल प्रपंच के होरी जरगे छलकय निरमल गंगा आते साठ बसंत राज के तन-मन होगय चंगा जूही चमेली चंपा मोंगरा फुलगे  ओरमा झोरमा केकती केवरा अउ गुलाब संग धरती गावय करमा लाल-लाल दहकत हे परसा सेम्हर घलो इतरागे कहर-महर सिरसा के फुलुवा थकहा जीव जुड़ागे झमकय घाठ धठौंधा पैरी बाजय ढोल मृदंगा आते साठ बसंत […]

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मँहगाई

मार डारिस हमला मँहगाई, गुनेला होगे का करबो जी । कइसे के जिनगी ला चलाई, गुनेला होगे का करबो जी। माहंगी के दार चाहुंर मांहगी के तेल। माहंगी मा जिनगी हमर बनगे हे खेल।। साग भाजी नुन मिरचा झाड़ु साबुन बट्टा। सपना होगे पहिरे बर नवां कपड़ा लत्ता।। जुन्ना ला कतेक ला उजराई गुनेला होगे […]

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ऐसो के देवारी म

चारो मुड़ा गियान के उजियार हो जाए अगियान के अंधियारी घलो मिट जाए, दिया जले मया-पिरीत के सबो अंगना अऊ दुवारी म, कुछु अइसन हो जाए ऐसो के देवारी म। समारू के बेटा घलो नवा कपड़ा पहिर सके, मंगलू के नोनी सुरसुरी जलाके फटाका फोर सके, दिखे बबा अऊ डोकरी दाई के चेहरा म खुसी […]

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उठ जा बाबु आंखी खोल

उठ जा बाबु आंखी खोल होगे बिहनिया हल्ला बोल सूत उठ के बासी खा थारी धर के इस्कूल जा इस्कूल जा के पट्टी फॉर अऊ पेन्सिल ला कस के घोर मास्टर ला तैं गारी देबेचाक चोराके खीसा भरबेसरकारी पुस्तक ला तैं चीरबांटी खेलबे बनबे बीरपढ़े के बेर पेट पिराहीदांतों पिराही,मुडो पिराहीभात खा के दुक्की भागमनटोरा […]

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जय ३६ गढ़ महतारी

जय जय ३६ गढ़ महतारीरिता होगे धान कटोराजुच्छा पर गे थारीफिरतु हाँ फिलिप होगेहवय बड़ लाचारीओकर घर चुरत हे बरा,सोहारीमोर घर माँ जुच्छा थारीजय जय ३६ गढ़ महतारी खेत खार बेचे के फैले हे महामारीलुट-लुट के नगरा कर दिसनेता अऊ बेपारीगंवईहा मेट हे दारू माबेचावत हे लोटा थारीजय जय ३६ गढ़ महतारीरिता होगे धान कटोराजुच्छा […]

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बियंग कबिता : काशीपुरी कुन्‍दन के आखर बान

बेटी के ददा निरीह लाचार दहेज के बजार म दमांद के खरीदार. इंसाफ वो ह पूछिस, इंसाफ कहां मिलही मैं थाना के रद्दा देखा देंव. आबादी आबादी दिन दुगना रात चौगुना बढे जइसन साहूकार के सूद चढे. समाचार अउ बिचार समाचार – एक झन मनखे भूख म गरगे बिचार – जरूर आम आदमी होही जउन […]