बेटी के ददा निरीह लाचार दहेज के बजार म दमांद के खरीदार. इंसाफ वो ह पूछिस, इंसाफ कहां मिलही मैं थाना के रद्दा देखा देंव. आबादी आबादी दिन दुगना रात चौगुना बढे जइसन साहूकार के सूद चढे. समाचार अउ बिचार समाचार – एक झन मनखे भूख म गरगे बिचार – जरूर आम आदमी होही जउन […]
Category: कविता
बरदान दे हे गउरी के लाला गजानंद, हमला तंय बरदान दे. बिगडे तोर लईका मन ला, सोझ रावन मा लान दे. दारू सीजर रोज पियत हे, पान मसाला खावत हे, घर मा आके दाई ददा के, बारा रोज बजावत हे. पढई लिखई म चंट होवय, अइसन उनला गियान दे, बिगडे तोर लईका मन ला सोझ […]
बरदान दे हे गउरी के लाला गजानंद, हमला तंय बरदान दे. बिगडे तोर लईका मन ला, सोझ रावन मा लान दे. दारू सीजर रोज पियत हे, पान मसाला खावत हे, घर मा आके दाई ददा के, बारा रोज बजावत हे. पढई लिखई म चंट होवय, अइसन उनला गियान दे, बिगडे तोर लईका मन ला सोझ […]
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मँइया अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार इँदिरावती हा पखारय तोर पइयां महूं पांवे परंव तोर भुँइया । जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मइया ।। सोहय बिंदिया सहीं घाटे डोंगरी पहार चंदा सुरूज बनय तोर नैना सोनहा धाने के अंग लुगरा हरियर हे रंग तोर बोली हावय सुग्घर बैना […]
छत्तीसगढिय़ा हांव मैं
छत्तीसगढिय़ा हांव मैंसब ले बढिय़ा हांव मैंइहां के पानी इहां के माटीरहईयां इहां के इहां के भूईय्याकहे सोन चिरईय्या हंव मैंछत्तीसगढ़ के मोर भुईय्या ला धान कटोरा कईथेसब्बों धरम के संगी साथी जुरमिल के बने रहिथेलड़ई अऊ झगड़ा ले दूर रहिथेंहम सब झने मन एक हे कहिथेंअऊ कहिथे-छत्तीसगढिय़ां हंव मैं सबले बढिय़ा हंव मैंबस्तर के […]
मोर सोनहा बिहान
किरन – किरन के चरन पखारन आरती उतारन, रे मोर सोनहा बिहान, बगराये अँजोर, छत्तीसगढ़ मां । मोर बिहनिया तोला अगोरत, सइघो रात पहागे छाती पोंठ करेन हम्मन ते, ठंड़का तैं अगुवागे तोला परघाये बर आइन, जुरमिल सबो मितान रे मोर सोनहा बिहान, बगराये अँजोर, छत्तीसगढ़ मां । दाई – ददा लइका–सियान सब, तोरेच गुन […]
भारत के बाग
महर–महर महकत हे, भारत के बाग । भुँइया महतारी के अमर हे सुहाग ।। ममहाती पुरवहिया, झूमय लहरावय डारा–डारा, पाना–पाना, मगन सरसरावय पंड़की–परेवना मन, मन ला लुभावय कोइली हर कुहकै नंदिया गाना गावय मिट्ठु हर तपत कुरू बोलै अमरइया में – कोकड़ा–मेचका जुरमिल गावत हें फाग । उठौ उठौ जँहुरिया अब रात ह पहागै । […]
जिनगी के रद्दा
जिनगी के रद्दा अड़बड़ लम्भा दू ठिन हमरे चरन गोड़ ला कहाँ–कहाँ हमन धरन चले पुरवहिया सनन सनन् । बिजहा रे डारेन नाँगर चलाएन धाने के नेवता माँ बादर ला बलाएन किंजर–किंजर के बरसौ रे बादर, तुंहरे पंइया परन सावन भादों मां ठंऊका रे बरसिस पानी झनन झनन चले पुरवहिया सनन सनन् । अगहन मां […]
कइसे बचाबो परान
ठगुवा कस पानी ह ठगत हे, मूड़ धरे बइठे किसान ये बिधाता गा मोर कइसे ब चाबो परान । एक बछर नाँगर अऊ बइला ला बोर बोर, ओरिया अऊ छान्ही ले, पानी ह गली खोर, खपरा बीच बोहावै, ना ये भाई, खपरा बीच बोहावय । रद रद, रद रद रोंठ–रोंठ रेला मन, बारी के सेमी […]
मोर महतारी (मेरी माँ)
मोला दसना म सुता केखोर्रा खटिया म सुतइया मोर महतारीआज तैं हलकड़ी छेना के दसना म सुते हसअपन दूनो आंखी ल मुंदे हसजमो मया मोह ले तैं छोड़ देहेहमन ले तैं मुंह ल मोड़ लेहेए मोर महतारीकइसे भुलाहूँ…नौ महीना कोंख म मोला तैं राखेहमन करा सुख दुख ल तैं भाखे जब आंखी ह खुलीस त […]