टूटगे आजमरजादा के डोरीलाज के होरी । पईसा सारनता-गोता ह घलोहोगे बेपार । मन म मयासिरावत हे, पैसाहमावत हे । बढती देखऑंखी पँडरियागेमया उडा गे । करथे तेनमरथे, कोढियेचमन फरथे । पैसा के खेलईमानदार मनपेल-ढपेल । परबुधियाबनके झन ठगाठेंगवा चटा । परगे पेटम फोरा, मुसुवा हनिकालै कोरा । पेट के सेतीशहर जाथे, उहेंपेट कटाथे । […]
Category: कविता
नेता पुरान
कोकडा कस देह उज्जर, करिया हे मन ।आनी बानी के बाना, धरय छन-छन ।। घेरी बेरी बदलय, टेटका कस रंग ।कोनो नई जांनय इंखर ठंग ।। हाथ लमाए हस, छुए बर अकास ।अंतस म छल-कपट सुवारथ सत्यानास ।। जनता के सुख दुख ले इनला का लेना ।अपन मतलब के छापत हे छेना ।। मेंछा ल […]
मया के डारौथरहा, होही मानभरपूरहा । मया हावयउपरछवा, मनकरिया तवा । उँच नीच केडबरा सब पाटौमया ला बॉंटौ । कोलिहा तकोलहुट जाथे शेरबेरा के फेर । कोलिहा हुऑंकौंआ कॉंव, मनखेह, खॉंव-खॉंव । नरेन्द्र वर्मा सुभाष वार्ड, भाटापारा07726 – 222461
मुंड़ मे छैइहा तन भर बस्तर भूखन करंय बियारी उजियारी के समुन्हें भागे घपटे सब अंधियारी सबके होवय देवारी अइसन सबके होवय देवारी …. **************************** अपन हाथ अउ जगन्नाथ काबर तभो ले रोथन अपने घर मे हमन जवंरिहा बाराबाट के होथन ***** सगरी घर के मालिक हो गयं परछी के रहवइया जोतनहा बैला कस हो […]
गोठ गुने के गोठियांथव थोरुक सुन लव संगवारी न कउनो निंदा फजीहत न कउनो के चारी निरबंसी के धन मत लेवव सतबंसीन के लाज गरीब दूबर के आह लेवव झन कुल मे गिरथे गाज सोरह आना सच जानव ये नोहय निचट लबारी न कउनो निंदा फजीहत न……… माया पिरीत में सबला बान्धय पाबन जमो तिहार […]
इही त आये गा छ्त्तीसगढ सरकार
लबरा होगे राजा अउ खबडा होगे हे मंत्रीददा मन ले बाच पायेन त टीप देथे संतरी पांव के पथरा ल आ मूड मे कचारइही त आये गा छ्त्तीसगढ सरकार ॥ बनीहारी छोड अउ नेता के भाषण सुनबिना जीव के गोठ ला दिनभर गुन गुडी मे बईठ अउ रोज माखुर फ़ांकचुनई के दारू पी,गोल्लर कस मात […]
आज मोर अंगना म छागे उजियारी चमकत जगमगावत आगे देवारी। चैत मानेन रामनवमी, बैसाख अक्ती ल। पुतरा-पुतरी बिहा करेन, चढ़ायेन तेल हरदी ल। बिहा गाये बर आगिन संगवारी। आज मोर अंगना म छागे उजियारी ………… जेठ रहेन भीमसेनी निर्जला के उपास ल। का बताओं भैया मैं हर तिखुर के मिठास ल। लगिगे अशाढ़ रे भाई बादर […]
चढ़के सरग निसेनी सुरूज के मति छरियागे हाय रे रद्दा रेंगोइया के पांव घलो ललियागे। बढ़े हावे मंझनिया संकलाए हे गरूआ अमरैया तरी हर-हर डोलत हे पीयर धुंकतहे रे बैहर घेरी-बेरी बुढ़गा ठाड़े हे बमरी पाना मन सबो मुरझागे हाय रे रद्दा रेंगोइया के पांव घलो ललियागे। भरे तरिया अंटागे रे कइसे थिरागे बोहत नरवा […]
रइहीं तरिया म मनखे, पानी आबे,अमुआ डारी म बइठे जोहत रइहौं। घर म सुरता भुलाये, बइठे रहिबे,कोला बारी म मैंहा, ताकत रइहौं। बिना चिंता फिकर तैं, सोये रहिबे,बनके पहरी मैं, पहरा देवत रइहौं। तैंहा बनके बदरिया, बरसत रहिबे,मैं पियासे,पानी बर, तरसत रइहौं। मोर आघू म दूसर लंग हंसत रहिबे,घूंट पी पी के मैंहा रोवत रइहौं। […]
मैं रइथौं गंवई गांव मं मोर नाव हे गंवइहा, बासी बोरे नून चटनी पसिया के पियइया। जोरे बइला हाथ तुतारी खांध म धरे नागर, मुंड़ म बोहे बिजहा चलै हमर दौना मांजर। पानी कस पसीना चूहै जूझै संग म जांगर, पूंजी आय कमाई हमर नौ मन के आगर। चार तेदूँ मउहा कोदइ दर्रा के खवइया, […]