बासी खाना छूटगे, आदत परगे, चाय पेट भरे ना पुरखातरे, ये कईसन बकवाय ये कईसन बकवाय, सबो दुख-सुख मा लागू देंवता अतरे फूल, चाय तो पंहुचे आगू कह रंगू कविराय, सुनगा भाई घांसी सबला होना चाय, बिटामिन छोडे बासी । रंगू प्रसाद नामदेव
Category: कविता
छत्तीसगढी कुंडली : रंगू प्रसाद नामदेव
बासी खाना छूटगे, आदत परगे, चाय पेट भरे ना पुरखातरे, ये कईसन बकवाय ये कईसन बकवाय, सबो दुख-सुख मा लागू देंवता अतरे फूल, चाय तो पंहुचे आगू कह रंगू कविराय, सुनगा भाई घांसी सबला होना चाय, बिटामिन छोडे बासी । रंगू प्रसाद नामदेव
सोसन अउ कानून (कबिता ) : सुशील भोले
बछरू हा एक दिन गाय जघा पूछिसदाई सोसन काला कहिथे ! तब गाय कहिस – बेटा तैंहा जुच्छा पैरा ला,पगुरावत रहिथसअउ हमर मालिक हा मोर थन के दूध लादूह के अपन बेटा ला पियावत रहिथेइही ला तो सोसन कहिथे ! तब बछरू हा गुसियावत कहिसदाई ! का ये देस मा अइसन कानून नइयेजेमा हम सोसन […]
भूख (कबिता) : डॉ. राजेन्द्र सोनी
बुधारूकठल कठल के रोथेमनटोरा ओखरचूमा लेथेचूमा ह रोटी नोहेमनटोरा हा सोंचथेमयबुधारू खातिररोटी बन जातेंव । डॉ.राजेन्द्र सोनी चित्र http://feedingavillage.org से साभार
भूख (कबिता) : डॉ. राजेन्द्र सोनी
बुधारूकठल कठल के रोथेमनटोरा ओखरचूमा लेथेचूमा ह रोटी नोहेमनटोरा हा सोंचथेमयबुधारू खातिररोटी बन जातेंव । डॉ.राजेन्द्र सोनी चित्र http://feedingavillage.org से साभार