कविता- बसंत बहार

बसंत बहार छागे सुग्घर, कोइली गीत गावत हे। अमरइया के डारा सुग्घर, लहर-लहर लहरावत हे।। चिरइ चिरगुन चींव-चींव करके, सुग्घर चहकी लगावत हे। कउँवा करत हे काँव-काँव, तितुर राग बगरावत हे।। सरसों के सोनहा फुल फुलगे, अरसी हा लहलहावत हे। सुरूज मुखी हा चारो कोती, सुग्घर अँजोर बगरावत हे।। फुल बगियाँ मा फुल फुलगे, सतरंगी रंग बगरावत हे, मलनियाँ रानी मगन होके, मने मन मुसकावत हे।। आमा अमरइया मउँरगे सुग्घर, डारा पाना हरियावत हे। रूख राइ हा नाचत सुग्घर, पुरवइया अँचरा डोलावत हे।। वीना धरे हे सारदा माई, सातो सुर…

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कविता – महतारी भाखा

छत्तीसगढ़िया अब सब्बो झन आघु अवव, महतारी भाखा ल जगाये बर जाबो। गांव-गांव म किंजर के छत्तीसगढ़ के गोठ-गोठियाबो, सब्बो के करेजा म छत्तीसगढ़ी भाखा ल जगाबो। छत्तीसगढ़ महतारी के मया ल सब्बो कोती बगराबो, संगी -संगवारी संग छत्तीसगढ़ी म गोठियाबो। महतारी के अब करजा ल चुकाबो, छत्तीसगढ़ म छत्तीसगढ़ी भाखा म गोठियाबो। छत्तीसगढ़ी भाखा-बोली के मीठ मया, सब्बो छत्तीसगढ़िया अउ परदेसिया मनखे ल बताबो। महतारी भाखा ल जगाबो संगी, अवव हमर महतारी भाखा ल जगाबो। अनिल कुमार पाली तारबाहर बिलासपुर छत्तीसगढ़ मो.न:- 7722906664

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बसंत आगे रे संगवारी

घाम म ह जनावत हे पुरवाही पवन सुरूर-सुरूर बहत हे अमराई ह सुघ्घर मह महावत हे बिहिनिहा के बेरा म चिराई-चुरगुन मन मुचमुचावत हे बर-पीपर घलो खिलखिलावत हे महुआ, अउ टेसू म गुमान आगे बसंत आगे रे संगवारी कोयली ह कुहकत हे संरसों ह घलो महकत हे सुरूर-सुरूर पवन पुरवाही भरत हे मोर अंगना म संगवारी बसंत आगे जेती देखव तेति हरिहर लागे खेत-खार के रुख-राई मन भरमाथे फागुन बन के आगे पहुना अंगना म हे उछल मंगल मड़वा सज के संगवारी के बसंत आगे अंगना म रंग-गुलाल खेबोन बसंत…

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मोर भारत भूइयाँ ल परनाम

देस के बीर जवान जेन करिस काम महान, देस के आजादी बर गवाँ दिस परान, अइसन पुन के माटी म धरेंव जनम। मोर भारत भूइयाँ ल परनाम।। धन हे वो कोरा जेमा बीर खेलिस, दूध के करजा ल लहू देके चुकइस बेरा अब आय हे लेके ओखर नाम, मोर भारत भूइयाँ ल परनाम।। अंगरेज मन के कारन हमर जिनगी होगे रहिस हराम, भगतसिंह,गांधी मन के मेहनत के हरय ये परिनाम, वोखरे सेती करत हाबन बेफिकर होके काम। मोर भारत भूइयाँ ल परनाम।। अजादी के बाद समसिया आगे महान, जेकर बाबा…

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आजादी के गीत

खूने-खून के नदिया बोहाइस, परान छुटत ले लड़े हे। आजाद कराय बर देस ल, दुस्मन संग भिड़े हे। उही लहू के करजा ल, अब चुकाये ल परही। आजादी के गीत ल, मिलके गाये ल परही।।… घर दुवार के मोह छोड़ के, देस के रक्छा करे हे। भारत माँ के लाज बर, आगी अँगरा म जरे हे। जग ल अँजोर करइया बर, एक दीया जलाये ल परही। आजादी के गीत ल, मिलके गाये ल परही।।… जवान मन के बल देख, मउत घलो ह हारे हे। देस धरम के नास करइया, बइरी…

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सरसती वंदना

वीणा बजईया सरसती मंईयाँ..2 मोला तार लेना ओ… तोरे चरण मं आऐ हंव दाई मोला गियान देना ओ…2 कोंदा लेड़गा तोर चरण मं आके, सुर मं सुर मिलाये ओ गईया बछरू तोर मयां ला पाके, मंईयाँ-मंईयाँ रम्भाऐ ओ :-गीयान देवईया सरसती मंईयाँ..2 मोला उबार लेना ओ… तोरे चरण मं आऐ हंव दाई गियान देना ओ…2 चिरई-चिरगुण सातो सुर ला पाके, मंईयाँ-मंईयाँ गोहराऐ ओ सुआ पंड़की कोईली परेवना, महिमा ला तोर बखाने ओ :-बुद्धि देवईया वीणा बजईया..2 मोला तार लेना ओ… तोरे चरण मं आऐ हंव दाई, मोला गियान देना ओ…2…

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मोर छत्तीसगढ़ महतारी

1. जिंहा खिले-फुले धान, सुग्घर खेत अउ खलिहान। देवी-देवता के हे तीर्थ धाम, कहिथे ग इंहा के किसान। मोर छत्तीसगढ़ महतारी, हे ग महान…….! 2. दुख पीरा के हमर दुर करइया, हरय हमर छत्तीसगढ़ मइया। हरियर-हरियर हे दाई के अंगना, कहिथे ग इंहा के लइका अउ सियान। मोर छत्तीसगढ़ महतारी, हे ग महान…..! 3. माटी ल मांथा म लगाके देखबे, चन्दन – बंदन ल भुला जाबे। गुलाब कस सुंगंध दिही, कहिथे ग इंहा के मजदूरमन। मोर छत्तीसगढ़ महतारी, हे ग महान……! 4. सुत उठ के करथंव प्रणाम, इही मोर दाई-ददा…

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छेरछेरा

सबो संगवारी मिलके, झोला धरके जाथे। सब के मुहाटी मा, जा जा के चिल्लाथे।। छेरछेरा छेरछेरा, माई कोठी के धान ल हेरहेरा। अरन बरन कोदो दरन, जभे देबे तभे टरन।। कोनो देथे रूपया पइसा, कोनों धान ल देथे। धान मन ला बेंच के, पइसा ल बांट लेथे।। पुन्नी के मेला जी, इही दिन होथे। पइसा ल धरथे अऊ, मेला घूमे ल जाथे।। सबो संगवारी मन, मेला म मिलथे। हांस हांस के सबो झन, झूला ल झूलथे।। घूम घूम के अब्बड़, चाट गुपचुप खाथे । पेठा अऊ रखिया पाख धरके, घर…

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ये जमाना बिगड़ गे

ये जमाना बिगड़गे रे भाई ये जमाना बिगड़गे रे :-गुल्ली डण्डा के खेलईया सिरागे…2 ओ जमाना निकलगे रे… ये जमाना बिगड़गे रे भाई ये जमाना बिगड़गे रे गाड़ी फंदईया अऊ दऊंरी खेदईया, कहाँ नंदागे ओ सियान मोटर गाड़ी के जमाना हा आगे, कोन करे अब खियाल :-बईला नांगर के फंदईया नंदागे…2 ओ जमाना निकलगे रे… ये जमाना बिगड़गे रे भाई ये जमाना बिगड़गे रे अंगाकर रंधईया अऊ चिला सेंंकईया, ओ मनखे लुकागे जी ठेठरी खुरमी अऊ सुहांरी खवईया, ओ जमाना गवांगे जी :-छत्तीगढ़ीया बियंजन नंदागे…2 ओ जमाना निकलगे जी… ये…

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गांव के पीरा

गांव ह गंवागे हमर शहर के अबड़ देखाई मा। मया अउ पीरा गंवागे सवारथ के सधाई मा।। सोनहा हमर भुइयां गवांगे कारखाना के लगाई मा। दुबराज धान के महक गंवागे यूरिया के छिंचाई मा। ममा मामी कका काकी गंवागे अंकल आंटी कहाई मा सुआ नाच के गीत गंवागे डी जे के नचाई मा।। बिसाहू भाई के चौपाल गंवागे टी वी के चलाईं मा। किसान मन के ददरिया गंवागे चाइना मोबाइल धरई मा। पहुना मन के मान गंवागे राम रहीम के गोठ गंवागे आपस के लड़ाई मा, सुघ्घर हमर संस्कार गंवागे…

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