समे-समे के बात

बदलाव होवत रहिथे संगी, जिनगी के सफर म, कोनों धोका म झन रहै, बपौती के,न अकड़ म। काल महुँ बइठे रहेंव सीट म, संगी,आज खड़े हौं, कोनों बइठे हे आज, त झन सोचै, के मैं फलाने ले बड़े हौं। केजवा राम साहू ‘तेजनाथ’ बरदुली, कबीरधाम, छ ग. 7999385846

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सरसों ह फुल के महकत हे

देख तो संगी खलिहान ल सरसों ह फुल गे घम घम ल पियर – पियर दिखत हे मन ह देख के हरसावत हे नावा बिहान के सन्देस लेके आये हे नावा बहुरिया कस घुपघुप ल हे हवा म लहरत हे सुघ्घर मजा के दिखत हे पड़ोसिन ह लुका लुका के भाजी ल तोरत हे फुल के संग म डोलत हे अगास ह घलो रंग म रंग गेहे हे देखैया मन के मन मोहत हे महर महर महकत हे रसे रस डोलत हे देख के मन ह हरसत हे पियर –…

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सुग्घर हे मोर छत्तीसगढ़

बड़ सुग्घर हे मोर छत्तीसगढ़, चारों मुड़ा हरियाली हे। जेती देखबे तेती संगी, खुशहाली ही खुशहाली हे।। बड़ भागी हन हमन भईया, छत्तीसगढ़ मं जनम धरेन। ईहें खेलेन कुदेन संगी, ईहें खाऐ कमाऐन।। बड़ सुग्घर हे मोर छत्तीसगढ़, चारो मुंड़ा हरियाली हे। जेती देखबे तेती संगी, खुशहाली ही खुशहाली हे।। छत्तीसगढ़ के मांटी मं भईया, अजब गजब ओनहारी हे। बर पिपर के सुग्घर छंईहां, जुड़ चले पुरवाई हे।। बड़ सुग्घर हे मोर छत्तीसगढ़, चारो मुंड़ा हरियाली हे। जेती देखबे तेती सुग्घर, खुशहाली ही खुशहाली हे।। होवत बिहनिया इहाँ भईया, अंगना…

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फैसन के जमाना

फैसन के जमाना आगे, आनी बानी फैसन लगावत हे। छोकरी-छोकरा ला का कहिबे, डोकरी डोकरा झपावत हे।। उमर होगे हे अस्सी साल, अऊ मुंड़ी मं डाई लगावत हे। अजब-गजब हे डोकरी मन के चाल, मुंहूं मं लिबिस्टीक लगावत हे।। छोकरी-छोकरा ला का कहिबे, डोकरी-डोकरा झपावत हे। फैसन के जमाना आगे, आनी-बानी फैसन लगावत हे।। आज काल के नव युवक मन, सिकरेट पैनामा जमावत हे। कईसने डिजाइन के ओ पैंट पहिरे हे, माड़ी के आवत हे बोचकावत हे।। कोन जनी ओ चड्डी नइ पहीरे रतीस ता का होतीस, थोरको सरम नइ…

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नवा पहल 2019

1. नवा बसर मा नवा पहल होवय, मनखे परान परबल होवय। शुभ चरितर अऊ सबो के भविष्य उज्जर होवय।। नवा बसर मा नवा पहल होवय। 2. मया मेहनत के पानी मा, चीखला होवय ,माटी मा। ऊपर तो फूलै खोखमा, पानी पवितर जल होवय। नवा बसर मा नवा पहल होवय। 3. टमडे़ ला झन परय कोनो जघा, जगमग देवारी घर अंगना। घपटे अंधियार झन टिकय झोपड़ी चाहे महल होवय।। नवा बसर मा नवा पहल होवय। 4. नवा धरती नवा अगास नवा बिहनिया के हे आस नवा-नवा सब बागबगिया नवा – नवा…

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बेरोजगारी

दुलरवा रहिथन दई अऊ बबा के, जब तक रहिथन घर म। जिनगी चलथे कतका मेहनत म, समझथन आके सहर म।। चलाये बर अपन जिनगी ल, चपरासी तको बने बर परथे। का करबे संगी परवार चलाये बर, जबरन आज पढ़े बर परथे।। इंजीनियरिंग, डॉक्टरी करथे सबो, गाड़ा-गाड़ा पईसा ल देके। पसीना के कमई लगाके ददा के, कागज के डिग्री ला लेथे।। जम्मो ठन डिग्री ल लेके तको, टपरी घलो खोले बर परथे। का करबे “राज” ल नौकरी बर, जबरन आज पढ़े बर परथे।। लिख पढ़ के लईका मन ईहाॅ, बेरोजगारी म…

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नवा बछर के मुबारक हवै

जम्मो झन हा सोरियावत हवै, नवा बछर हा आवत हवै। कते दिन, अऊ कदिहा जाबो, इहिच ला गोठियावत हवै।। जम्मो नौकरिहा मन हा घलो, परवार संग घूमेबर जावत हवै। दूरिहा-दूरिहा ले सकला के सबो, नवा बछर मनावत हवै।। इस्कूल के लईका मन हा, पिकनिक जाये बर पिलानिंग बनावत हवै। उखर संग म मेडम-गुरूजी मन ह, जाये बर घलो मुचमुचावत हवै।। गुरूजी मन पिकनिक बर लइका ल, सुरकछा के उदिम बतावत हवै। बने-बने पिकनिक मनावौ मोर संगी, नवा बछर ह आवत हवै।। नवा बछर के बेरा म भठ्ठी म, दारू के…

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जाड़ के महीना

आ गे जाड के महीना , हाथ गोड जुडावत हे । कमरा ओढ के बबा ह , गोरसी ल दगावत हे । पानी ल छुत्ते साठ , हाथ ह झिनझिनावत हे । मुहूं म डारते साठ , दांत ह किनकिनावत हे । तेल फुल चुपर के , लइका ल सपटावत हे । कतको दवई करबे तब ले , नाक ह बोहावत हे । नावा बहुरिया घेरी बेरी , किरिम ल लगावत हे । पाउडर ल लगा लगाके , चेहरा ल चमकावत हे । गाल मुहूँ चटकत हावय , बोरोप्लस लगावत…

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मोर दाई छत्तीसगढ़

मैं तोर दुःख ल काला बताओ ओ मोर दाई छत्तीसगढ़ तोर माटी के पीरा ल कति पटक के आओ मोर दाई छत्तीसगढ़। कइसन कलपत हे छत्तीसगढ़ीया मन, अपन भाखा ल बगराये बर सुते मनखे ल कइसे मैं नींद ले जगाओ ओ मोर दाई छत्तीसगढ़। मोर भुइँया म नवा अंजोर के आस हे तभो ले छत्तीसगढ़ी भाखा के हाल ह बढ़ बेहाल हे। कई ठन बोली भाखा इहा करत राज हे, छत्तीसगढ़ी भाखा के बने जीके जंजाल हे। छत्तीसगढ़िया अपना महतारी भाखा बर, करत कतका परयास हे, तभो ले समझे नइ…

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नवा साल मं

महिना के का हे संगी हो? आत रइही-जात रइही, जनवरी,फरवरी…। साल के का हे संगी हो? आत रइथे-जात रइथे ये तो, …..दू हजार अठारा, दू हजार अठारा ले दू हजार ओन्नईस, ओन्नईस ले बीस,बीस ले….। बदलत रईही कलेंडर घलोक। महत्तम के बात हे संगवारी हो, हमर नइ बदलना। संगी हो, हमन मत बदलिन, हमर पियार झन बदलै, हमर संस्कार झन बदलै, जीए के अधार झन बदलै। केजवा राम साहू ‘तेजनाथ‘ बरदुली,कबीरधाम (छ.ग. ) 7999385846

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