कहानी

सरगुजिहा कहनी – काकर ठन बिहाव करबे

कतवारू गांव कर किसान रहिस। जांगरटोर मेहनत के कारन ओकर घरे कोनों चीज कर कमी नइ रहिस। ओकर एकेठन बेटा… Read More

3 years ago

सरगुजिहा कहनी – हिस्सा-बांटा

रामपाल जइसे तइसे हाईस्कूल पास करके जंगल ऑफिस में बाबू बन गइस । तेजपाल आठवीं कछा ले आगू नइ बढ़े… Read More

4 years ago

नान्हे कहिनी- चिन्हारी

चेन्नई सेंट्रल रेलवे स्टेशन म नौकरी करत मोला डेढ़ बछर होगय रहे। शुरू शुरू म मोला लागे कि ....मैं ये… Read More

4 years ago

करिया अंगरेज

बस ले उतरिस । अपन सिकल के पसीना ला पोंछिस । ऐती ओती जम्मो कोती ला देखे लागिस। जुड़ सांस… Read More

4 years ago

देहे ल घलव सीखव – नीति कथा

एक भिखारी बिहनिया भीख माँगे ल निकलिस। निकलत बेरा ओ ह अपन झोली म एक मुठा चना डार लीस। कथें… Read More

4 years ago

नान कुन कहानी : ठौर

"मारो मारो"के कोलहार ल सुन के महुं ह खोर डाहर निकलेव।एक ठन सांप रहाय ओखर पीछु म सात-आठ झन मनखे… Read More

4 years ago

लघु कथा संग्रह – धुर्रा

धुर्रा (नान्हे कहिनी) जितेंद्र सुकुमार ' साहिर' वैभव प्रकाशन रायपुर ( छ.ग. ) छत्तीसगढ राजभाषा आयोग रायपुर के आर्थिक सहयोग… Read More

5 years ago

छत्‍तीसगढ़ी भाषा परिवार की लोक कथाऍं

छत्तीसगढ़ी, गोंडी, हलबी, धुरवी, परजी, भतरी, कमारी, बैगानी, बिरहोर भाषा की लोक कथाऍं लेखक - बलदाऊ राम साहू छत्तीसगढ़ी भाषा… Read More

5 years ago

लघु कथा – दरूहा

सुकलू ह तीस बछर के रहिस हे अउ ओकर टुरा मंगलू ह आठ बछर के रहिस हे,सुकलू ह आठ-पन्दरा दिन… Read More

5 years ago

नानकिन किस्‍सा : अमर

आसरम म गुरूजी, अपन चेला मनला बतावत रहय के, सागर मनथन होइस त बहुत अकन पदारथ निकलीस। बिख ला सिवजी… Read More

5 years ago