कहानी

सोनचिरई

इंकर रोवई-धोवई ल देखके कथे- अब रोय ले कोई फायदा नइहे। नबालिग उमर म बिहाव करे ले अइसने होथे- जच्चा… Read More

13 years ago

खने ला न कोड़े ला, धरे ल खबोसा

हाना म कहिनीएक साहार म एक झन आदमी राहाय। ओ कहिथे- भगवान हा सब झन ल अमीर बनाए हे,भला मुहीच… Read More

13 years ago

कहिनी : फंदी बेंदरा

सतजुगहा किस्सा ये, ओ पइत मनखे जनावर अउ चिरई-चिरगुन, सांप डेंड़ू, सबे मन एक दूसर के भाखा ओखरे बर जानंय।अपन… Read More

13 years ago

कहिनी : दोखही

हिम्मत करत रमेसर कहिस, आप मन के मन आतीस तब चंदा के एक पइत अऊ घर बसा देतेन। वाह बेटा… Read More

13 years ago

बहुरिया – कहिनी

बहु ह ससुरार म घलो मइके कस मया अउ दुलार म राहय। ससुर काहय बेटी हमरो बेटी ह घलो ककरो… Read More

13 years ago

मोला कभू पति झन मिलय – कहिनी

धान कोचिया राधे हर हुत करात अइस- सदानंद ठेलहा हस का रे? चल खातुगोदाम मेर मेटाडोर खड़े हे। विसउहा तेली… Read More

13 years ago

राजा – नान्हे कहिनी

देवकी अपन बैसाखी ल देख के सोचे का होगे ए टूरा मन ल घेरी-बेरी आ-आ के बिहाव के विचार रखंय।… Read More

13 years ago

ढेला अऊ पत्ता

छोटकू म पहिली कक्षा म भरती होयेन त छोटे गुरूजी बिजलाल वरमा हर ढेला अऊ पत्ता के कहिनी सुनाये रिहिस… Read More

13 years ago

बुधारू के जीवन

बूढ़त काल में खेती ल रेंढ़त हस। ते हमला कहिबे न ददा, जा बेटा बुधारू भारा करपा खेती-खार मे परे… Read More

13 years ago

लोक कहिनी : ठोली बोली

छकड़ा भर खार पीये के जिनिस देख के सबे गांव वाला मन पनछाय धर लिन कब चूरय त कब सपेटन।ए… Read More

13 years ago