परेमीन गली म पछुवाएच हे, धनेस दउड़त आके अंगना म हॅफरत खड़ा होगे। लइका के मिले लइका, सियान के मिले सियान..। नरेस ह धनेस ल देख खुसी के मारे फूले नई समइस। चिल्लावत बताइस-दाइ ! बुवा मन आगे। भगवनतीन कुरिया ले निकलके देखथे डेढ़सास परेमीन अउ भॉचा धनेस अंगना म खडे हे। भगवन्तिन लोटा भर […]
Category: कहानी
नान्हे कहिनी: धन होगे माटी(अनुवाद)
एक दिन कुम्हार ह माटी ल सानके चिलम बनावत रहिसे। चिलम बनावत-बनावत जाने कुम्हार ल काय सुझिस कि ओहा ओ चिलम ल मिझार दिस अउ ओ माटी ल सानके चाक ऊपर चढ़ा के मरकी बनाय लागिस। चाक ऊपर माटी ल चघाएच रिहिसे कि माटी बोले लागिस-“मेहा माटी बनके धन-धन होगेव कुम्हार बाबू तोर जय होवय”। […]
जइसे उनखर दिन फिरिस
आज के बैवस्था ल देख ले गुस्साये मय बडबड़ात रहेव तभे मुस्टी आगे, कइथे का होगे म? कुछु नई मुस्टी, सासन, परसासन के बवस्था ल देख के गुस्ता आत हे। बात करत बीच म रोक के मुस्टी ह मोला कइथे, तय ह गुस्सा झन हो बल्कि सान्तचीत हो के मोर बात ल सुन। मय ह […]
मुर्रा के लाड़ू : नान्हे कहिनी
घातेच दिन के बात आय। ओ जमाना म आजकाल कस टीवी, सिनेमा कस ताम-झाम नई रहिस। गांव के सियान मन ह गांव के बीच बइठ के आनी-बानी के कथा किस्सा सुनावयं। इही कहानी मन ल सुनके घर के ममादाई, ककादाई मन अपन- अपन नाती-पोता ल कहानी सुना-सुना के मनावयं। लइका मन घला रात-रात जाग के […]
अड़हा दिमाग के कमाल
आवव संगी तुमन ला सुनावथ हव दशरू बबा के कहानी ला बबा हा निचट अड़हा रहय फेर जिन्दगी मा पढ़े नी रहीस पर कढ़े जरूर रहीस हे दशरू बाबा बड़ गरीब रहय घर मा ढोकरी दाई अऊ बबा रहय दुनो झन बनी भुती करके जिन्दगी चलावय दिन रात हरी गुन ला गावय सुख सुख दिन […]
बुढ़ुवा कोकड़ा
छत्तीसगढ़ी लोककथा : राजा के मया
एकठन राज मा एक राजा के बने-बने राजकाज चलत रहय। तइसने मा राजा ला एक मिट्ठू ले मया हो जाथे। राजा मिट्ठू बर बढ़िया सोना-चांदी रत्न ले गढ़े fपंजरा बनवाइस अऊ मिट्ठू ला पिंजरा मा धांध दिस। राजा मिट्ठू के मया मा रोज, दिन मा तीन बार मिट्ठू ला देखे बर आय अऊ अपन हाथ […]
समारू के दु मितान कालू-लालू
ये कहानी हा हमर छत्तीसगढ़ के किसान अऊ ओकर मितान बईला के हरय। कईसे येक किसान हा अपन मितान ला जतन के रखथे त ओकर मितान बईला हा ओकर कईसे साथ देथे। ऐकठन गाँव मा बड़ गरिबहा किसान रहाय ओ किसान के नाम रहय समारू। समारू ह बड़ गरीब रहय बेचारा हा बनी करके खाय […]
अगहन महीना के कहानी
मेकराजाला अउ फेसबुकिया, जम्मो संगवारी मन ल जय -जोहर, राम -राम …। संगवारी हो हमर छत्तीसगढ़ तीज तिहार के राज हे, बारहो महीना कुछु न कुछु तिहार आथे। हमर सियान मन बड़ गुनी, दूरदर्शी ज्ञानी रहिन। धरती मैय्या, बहु -बेटी, सियान, नोनी- बाबू, झाड़-झडऊखा, प्रकृति के जम्मो जिनिस के महत्व ल परख ले रहिन। मनुस […]
बुढ़वा कोकड़ा : हरप्रसाद ‘निडर’
हरप्रसाद ‘निडर’ जी के 42 कहानी मन के किताब ‘बुढ़वा कोकड़ा’