– वीरेन्द्र सरल एक गाँव म एक झन डोकरी रहय। ओखर एक झन बेटा रहय, नाव रहय कल्लू। कल्लू ह निचट अलाल अउ घुम्मकड़ रहय। कल्लू के छोटे रहत ले डोकरी ह कुटिया पिसिया बनी भूति करके वोला पोस डारिस फेर जब कल्लू ह जवान होगे तब कमती आमदनी म महतारी बेटा दुनो के गुजारा होना मुश्किल होगे। घर मे रोजी मजूरी के छोड़ अउ कोन्हो आमदनी के साधन नई रिहिस। एक दिन डोकरी ह कल्लू ला समझावत किहिस -कल्लू अब तैहा जवान होगे हावस, मैहा सियान होगे हवं, कमाय…
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ईमानदार चोर
– वीरेन्द्र सरल एक राज मे एक झन राजा राज करय। राजा के तीन बेटा रहय। दु झन बेटा के बिहाव होगे रहय फेर तीसरा बेटा ह कुवांरा रहय। एक दिन राजा सोचिस कि अब मोर बुढ़ापा आगे हावे, ये जीव कब छूट जही तेखर कोई ठिकाना नइहे। मरे के पहिली मै अपन संपत्ति ला तीनो बेटा म बांट देथवं नही ते येमन मोर मरे के बाद आपस मे झगड़ा झंझट होही। राजपंडित ले शुभ मुहरूत निकलवा के एक दिन राजा ह अपन तीनो बेटा ला राजमहल मे बुलावा भेजिस…
Read Moreकहानी : मुर्रा के लाडू
घातेच दिन के बात आवय ओ जमाना म आज काल कस टीवी, सिनेमा कस ताम झाम नई रहिस । गांव के सीयान मन ह गांव के बीच बइठ के आनी बानी कथा किस्सा सुनावय । इही कहानीमन ल सुनके घर के ममादाई, ककादाई मन अपन अपन नाती पोता ल कहानी सुना सुना के मनावाय लईका मन घला रात रात जाग के मजा ले के अऊ अऊ कहिके कहानी सुनय । ओही जमाना के बात ये जब मै छैय सात बरस के रहे हो हूं । हमन तीन भाई अऊ ममा…
Read Moreलोककथा :असली गहना
राजा रावन खिसिया के कथे अरे मूरख जेकर महल में देवता दिगपाल मन पानी भरथे, गोबर-कचरा डारथे तेला तेहा ‘कर’ मांगथस तोला लाज नई लागे! तब परजा ह विनती करथे आप मन मोर संग समुंदर तीर चलो, रावन ल डर तो रहय नहीं खिसिया के चल दिस। परजा ह लंका में जइसे चार ठन दरवाजा हे तइसन दरवाजा अउ हुबहु बालू में लंका बना दिस। अउ कथे अइसने हावे न लंका ह! रावन खुस होगे। कथे तैं तों बढ़िया कारीगर हावस जी। परजा कथे रावन धियान देके देख। रावन हंसे…
Read Moreकथाकार आस्कर वाइल्ड के कहानी द मॉडल मिलियनेअर के अनुवाद : आदर्श करोड़पति
मूल – The Model Millionair (द मॉडल मिलियनेअर) कथाकार – Oscar Wilde (आस्कर वाइल्ड) अनुवादक — कुबेर जब तक कोई धनवान न हो, दिखे म सुंदर होय के कोई फायदा नइ हे। प्रेम करना घला भरे-बोजे, पोट मनखे मन के बपौती आय, निठल्लू मन के काम नो हे। गरीब मन ल तो बस रांय-रांय कमाना अउ लस खा के सुतना भर चाही (व्यवहारिक और नीरस होना चाहिए)। (आदमी खातिर) मनमोहक होय के बदला कमाई के स्थायी साधन होना ही बेहतर हे। इही ह आधुनिक जीवन के परम सच्चाई आय, जउन…
Read Moreसुन संगवारी
सुन संगवारी सरला शर्मा के कविता, निबंध अउ कहानी के संघरा किताब
Read Moreप्रेम दीप
प्रदीप वर्मा जी एवं स्व.श्रीमती प्रेमलता वर्मा जी के किताब प्रेम दीप डाउनलोड कड़ी
Read Moreएक मुठा माटी
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Read Moreजयलाल कका के नाच
जयलाल कका ह फुलझर गॉव म रहिथे। वोहा नाचा के नाम्हीं कलाकार आय। पहिली मंदराजी दाउ के साज म नाचत रिहिस। अब नई नाचे । उमर ह जादा होगे हे। बुढ़ुवा होगे हे त ताकत अब कहां पुरही । संगी साथी मन घलो छूट गे हे। कतको संगवारी मन सरग चल दिन। एक्का दुक्का बांचे हे, तउनो मन निच्चट खखड़ गेहें। गॉव के जम्मों लोगन वोला कका कहिथें। सब छोटका बड़का वोला गजब मान देथें। कतरों झन रोजाना वोकर तीर म संकलाथें अउ वोकर गोठ बात ल सुनथें। तईहा जमाना…
Read Moreइतवार तिहार
एक दिन के बात आय। मैं हर जावत रहेंव आलू बिसाय। झालो घर रटपिट-रटपिट रेंगत हबक ले एक झन मनसे मेर लड़ई खागे। काय-काय समान धरे रहिस। बंदन-चंदन झंडा ला साडा करिया। कस बाबू तैं अतका जल्दी-जल्दी काबर रेंगत हावच बइगा मोला पूछिस। मैं हर न बइगा, आलू बिसाय जावत हवं। झालो घर रांधे बर बेरा होत हावय कहिके जल्दी-जल्दी रेंगत हंव फेर तैं काय-काय धरे हावच। बइगा कहां जावत हस। जगमोहन बइगा कहिबे तै निच्चट बुध्दू हावच जी। आज तो इतवार आय अउ हमार गांव म इतवार तिहार मानत…
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