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भोलापुर के कहानी : कहानी संग्रह

भूमिका भोलापुर के कहानी : उपन्यास के सुवाद वाला कहानी संग्रह डॉ. जीवन यदु चाहे संस्कृत भासा होय के चाहे हिन्दी भासा होय – कविता के रचना पहिली होइस। पाछू कहिनी-लेख-नाटक लिखे गे हे। संस्कृत म त आने-आने गियान के पोथी मन ल घलो कविता म लिखे के परंपरा रहिस। बइद-गुनिया मन के ग्रंथ ल […]

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गियान के जोत

पऊर साल मैं ह बालोद गे रहेंव। बालोद गेस त गंगा मइया के दरसन करना तो जरूरी हे। मैं ह ऊंहा दरसन करे बर आयेंव। मन खुस होगे एकदम खुल्ला जगह हे। बड़े जन अंगना देखके अइसे लगीस के थोरिक देर बइठ जाथंव। मैं ह अंगना के छांव म बइठ गेंव। थोरिक देर म तीन-चार […]

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रात कइसे बीतिस

एक झन जोगी बाबा ह घुमत फिरत एक शहर में पहुंचगे। रात होगे रहय अऊ जलकला के दिन रहय शहर के खरपाट ह चारो मुड़ा ले बंद होगे रहय। जोगी बाबा ल जाड़ लागीस। जाड़ में हाथ गोड़ ह कांपत रहय। गरम कपड़ा धरे नई रहय। सुते बइथे बर जगा खोजीस उही कर भट्ठी चुलहा […]

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लालच के फल

एक गांव म एक झन मरार डोकरा अउ मरारिन डोकरी रिहिस। दूनों झन बखरी म साग-भाजी बोय अउ बेंचे। मरार डोकरा ह रोज बखरी ल राखे बर जाय। इन्द्र के घोड़ा ह डोकरा के बखरी म रात के बारा बजे रोज आय अउ साग-भाजी ल चर देय। मरार डोकरा अपन डोकरी ल बताथे काकर गरवा […]

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जलदेवती मैय्या के वरदान

एक गांव म एक साहूकार रहय। साहूकार के सोला साल के सज्ञान बेटी रहय। साहूकार के पूरा परिवार धार्मिक रहय। साहूकार के दुवारी मं आय कोन्हो मंगनजोगी कभु दुच्छा हाथ नई जाय। भूखन ला भोजन देना, पियासे ला पानी पिलाना अउ भटके ला रस्ता बताना साहूकार के परिवार अपन धरम समझे। साहूकार के बेटी निसदिन […]

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सुक्खा तरिया म पानी

गांव म पहली पानी बिना अकाल परय। जेमा आदमी मन भूख के मारे मरयं। बिना भात-बासी के शरीर एकदम कमजोर हो जाय, जेकर ले आदमी तड़प-तड़प के मर जाय। दुकलहा समय के एक झन सीताराम नाव के डोकरा रहय थोरकिन पढ़े-लिखे रहिसे। सब अपन हालत ल जानत रहिसे दुकाल के दीन ल। एक दिन ये […]

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फरहार के लुगरा अउ रतिहा के झगरा

एक बार वर्मा जी के घर गे रेहेंव। वर्मा जी ह अपन सबो लइका मन बर एके रंग के कुरता अउ एके रंग के पेंठ बनवा दे राहय। देवारी के भीड़ में भी वर्मा जी के लइका मन कलर कोड से चिनहारी आवय। अइसे लगय जइसे सबो झन एके इसकूल के पढ़इया लइका आयं। मैं […]

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टेंशन वाली केंवटिंन दाई 1

केंवटिन धमतरी राजिम के गाड़ी तीर धमतरी टेसन म चना मुर्रा बेचय। पचास साल ले टेशन मास्टर रहे बंगाली बाबू एक दिन अइस अऊ केंवटिन ल रयपुर घुमाय बर गाड़ी म बइठार के लान लिस। केंवटिन के पहिली बेर गाड़ी म बइठे अउ घूमेके अनुभव ले पढ़व।‘ए दाई भालो आहे।’‘अरे बंगाली बाबू, भालो हे, सुग्घर […]

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सच्चा चेला

सुन्दरपुर म एक झन बहुत बढ़िया साधु रहय। जेन हर रोज भगवान भक्ति म लीन रहय। येकर कुटिया म बहुत झन चेला रहय जेन मन अपन गुरुजी के बताय मार्ग, रस्ता म रेंगय। इही म एक झन किरपाल नाम के चेला रहीस। तेन हर अपन गुरुजी के संझा बिहनिया पांव परय अउ हर कहना ल […]

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बांझ के पीरा-बांझ के सुख

लघुकथा‘तें मोला टूरा-टूरी नइ देस ना सुन्दरी, मे दूसर बिहाव करहूं तें मोला दोसदार मत कबे, काबर नी देत हस मोला तेंहा टूरा-टूरी। दू बच्छर ले जादा होगे फेर तोर पांव भारी नी होवत हे।’ भुलऊ ह अपन सुन्दरी नाम के गोसइन ल धमका के काहत राहय।‘मोर किस्मते मा नइ हे तेला का करहूं, तोला […]