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मया के रंग : लघु कथा

सुकलू ह होली तिहार के दिन परछी मं बइठे रहिस। ओकर टुरा किशन ह अपन दाई ल बतावत रहिस, काकी ह अड़बड़ अकन रोटी बनावत हे, जतका झन काकी घर आवत हे, ओतका झन ल रोटी बांटत हे, फेर मोला नइ दिस हे। अपन लइका किशन के गोठ ल सुनके सुकलू ह अपन लइकापन ल […]

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कहानी : डाक्टर बिलवा महराज के बेटा पीच दारू

आज गाँव म स्वक्षता अभियान बर रैली निकले हे,मेडम-गुरु जी मन आगू-पाछु रेंगत हे ! स्कूल के जतका लइका हें सब लाईन लगाय ओरी-ओर रेंगत हवैं अउ नारा लगात हें ! स्वक्षता लाना हे.. गाँव बचाना हे, बोलव दीदी बोलव भईया हर-हर…शौंचालय बनवाबो घर-घर नारा ल चिल्लावत रैली ह जावत हे ! भक्कल अपन दुकान […]

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लघुकथा : कन्या भोज

आज रमेश घर बरा, सोंहारी, खीर, पुरी आनी बानी के जिनीस बनत राहय। ओकर सुगंध ह महर महर घर भर अऊ बाहिर तक ममहावत राहय। रमेश के नान – नान लइका मन घूम घूम के खावत रिहिसे। कुरिया में बइठे रमेश के दाई ह देखत राहय, के बहू ह मोरो बर कब रोटी पीठा लाही। […]

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कहानी : सेमी कस बँटागे मनखे

रामपुर नाव के एक ठन सुग्घर गाँव रीहिस, जिहाँ के सब मनखे सुनता सलाह अउ संगी मितानी, छोट-बड़े ला मान देवईया रीहिन, सिरतोन मा रामपुर मा रामराज हावय सरीख लागे। उहाँ के मुखिया रामदास घलो सबके हित सोचईया रीहिस, पूरा गाँव ला वोहा एके घर बरोबर समझे अउ जनता ला अपन लोग लइका बरोबर मया […]

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छत्‍तीसगढ़ी लघु कथा : दांड़

सुन्ना घर पइस त सुकालू ह सुखिया के हाथ-बांह ल धर दिस। ये गोठ ह आगी सरीक गांव भर मं फइलगे, फेर का गांव मं पंचइत सकलइस, पंचइत मं पंच मन ह दुनों झिन ल पूछिस, अउ दुनों डहार के गोठ ल सुन के कहिस, सुकालू ल सुखिया करन बिहाव करे ल परही, सुकलु तंय […]

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नान्हे कहिनी – मन के पीरा

आज बिहनिया जुवार चंपा अउ रमेसरी नल मेर पानी भरे के बेरा म संघरिन त चंपा ह रमेसरी ल ठिठोली करत पूछथे-का होइस बहिनी! काली तो तोला देखे बर सगा उतरे रिहिस का? रमेसरी ओकर सवाल के अनमनहा जुवाब देवत किथे-हव रे! सगा मन आइन। चहा पीइन अउ फोन नंबर मांगके चलते बनिन। चंपा फेर […]

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काकर लइका होइस – छत्‍तीसगढ़ी लघु कथा

सुखिया ह नवा-नवा बहू बनके आय रहिस। गांव के मन नवा बहूरिया ल देखे बर आवय त काहय,मनटोरा तय हर अपन सास-ससुर के एके झन बहू अउ तोर घलो एके झन टुरा,एक के एक्कइस होवय बहिनी, एक दरजन होवन देबे, झट कुन अपरेसन झन करवाबे। मनटोरा ह कहिस,नइ करवांवव बहिनी, महूं लउहा अपरेसन नइ करवाय […]

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नवा साल : कहानी

जोहत कका ह हमर तीर-तार भर म नामही मंदहा बढई के नांव ले जाने जाथे। फेर ओकर गुन ले जादा ऐब ह ओकर चिन्हारी बनगे हवय । ओला खाय बर अन्न भले झन मिलय फेर संझउती बेरा म ओला दारु होना चाही। घर म बडका बेटा ललित,मंझली बेटी किरन अउ छोटकू बेटा हेमंत के संग […]

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नवा बछर के शुरुआत : कहानी

स्कूल के लइका मन गोठियावत रइथे कि ये पइत नवा बछर के शुरुआत कोन ढ़ंग ले करबो, त जम्मों झन अपन-अपन योजना अउ संगे संग पऊर नवा बछर के सुवागत कइसे करे रीहिन वहू ला सुरता करत राहय, एक झन कइथे हमन तो परवार भर के जम्मों झन जुरिया के दर्शन करे बर अउ पिकनिक […]

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इस्कूल : छत्‍तीसगढ़ी कहानी

राज-छत्तीसगढ़, जिला-कवरधा, गांव- माताटोला, निवासी- गियारा बारा अक सौ, इस्कूल- सरकारी पराइमरी, कच्छा- पांचमी तक,  गुरुजी-तीन, कुरिया- चार। बरामदा -पहिली दूसरी के, तीसरी चौथी बर एक कुरिया, एक कुरिया- पांचमी के,अउ एक गुरुजीमन बर। कच्छा- पांचमी, लइकन- तीस, बत्तीस। गुरुजी- गनित बिसय के, होमवर्क जाँचत रहिस। “सब झन अपन होमवर्क करके आये हव?” सब झन […]