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Category: किताब कोठी
रितु बरनन
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तपत कुरू भइ तपत कुरू
असीस देवे वो देवारी अउ दुकाल-अकाल बेटी के बिदा पन्द्रह अगस्त मडई देखे जाबो उँकरे बर सनमान मडइके के मया इही किसम होना चाही तपत कुरु लछमी – पारवती गोठ ले दे मोर खर लुगरा भज लेबे गा तोरेच खातिर अन्नपुरना गउरी सास डोकरी लेवना चोरी निक लागय चन्दा लेहूं अरझ गेहे तुलसी के कहिनी […]
नील पद्म शंख
अघवा: मया के सपना पिछवा: घोर कसमकस परदा भीतरी ले मया आगि हवय, कोन्हों बुता नी सकंय। मया धंधा हवय, कोन्हो जान नी सकंय।। मया मिलाप हवय, कोन्हों छॉंड़ नी सकंय। मया अमर हवय, कोन्हों मेटा नी सकंय।। जान चिन्हार नील – नायिका पद्म – नायिका शंख – नायक रतन – शंख का मितान कैंची […]
जब समाज मं शांति हा बसथय शांति पात जिनगानी। दुख शत्रुता अभाव भगाथय उन्नति पावत प्रानी।। मारपीट झगरा दंगा ले होवत कहां भलाई। मंय बिनवत हंव शांति ला जेहर बांटत प्रेम मलाई।। लगे पेड़ भर मं नव पाना, दसमत फूल फुले बम लाल लगथय – अब नूतन युग आहय, क्रांति ज्वाल को सकत सम्हाल! अब […]
शोषण अत्याचार हा करथय हाहाकार तबाही। तब समाज ला सुख बांटे बर बजथय क्रांति के बाजा।। करंव प्रार्थना क्रांति के जेहर देथय जग ला रस्ता । रजगज के टंटा हा टूटत आथय नवा जमाना ।। गांव के सच वर्णन नइ होइस, फइले हे सब कोती भ्रांति जब सच कथा प्रकाश मं आहय, तभे सफलता पाहय […]
छत्तीसगढ़ी उपन्यास “कका के घर” – रामनाथ साहू
जग मं जतका मनसे प्राणी सब ला चहिये खाना । अन्न हवय तब जीयत जीवन बिना अन्न सब सूना ।। माता अन्न अमर तयं रहि नित पोषण कर सब जन के। तयं रहि सदा प्रसन्न हमर पर मंय बिनवत हंव तोला।। बिरता हरा हाल के झुमरय, बजय बांसरी मधुर अवाज गाय गरूकूदत मेंद्दरावंय, शुद्ध हवा […]
172 पेज के संपूर्ण किताब.
गांव शहर तुम एका रहिहव राष्ट्र के ताकत दूना । ओकर ऊपर आंच आय नइ शत्रु नाक मं चूना ।। गांव शहर तुम शत्रु बनव झन रखत तुम्हर ले आसा । करत वंदना देश के मंय हा करत जिहां पर बासा ।। ऊगे ठाड़ ‘गाय धरसा’ हा.पंगपंगाय पर कुछ अंधियार खटियां ला तज दीस गरीबा, […]